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    490 इलेक्ट्रिक इंजनों ने रोका पांच लाख टन कार्बन उत्सर्जन, North Central Railway ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में की पहल

    Updated: Sat, 30 Aug 2025 05:03 PM (IST)

    उत्तर मध्य रेलवे ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 490 इलेक्ट्रिक इंजनों ने डीजल इंजनों से होने वाले लगभग पांच लाख टन कार्बन उत्सर्जन को रोका है। रेलवे ने 3294 किलोमीटर रेल मार्ग को इलेक्ट्रिक कर दिया है। इसके साथ ही रेलवे सौर ऊर्जा का उपयोग करके बिजली का उत्पादन कर रहा है जिससे कार्बन उत्सर्जन कम हो रहा है।

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    उत्तर मध्य रेलवे में इलेक्ट्रिक इंजनों से कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है।

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। पूरी दुनिया प्रदूषण से परेशान है, पर्यावरण की चिंता खाए जा रही है, हवा की गुणवत्ता खराब होती जा रही है। ऐसे में रेलवे की एक पहल उम्मीद जगाती है। उत्तर मध्य रेलवे (NCR) के 490 इलेक्ट्रिक इंजनों ने डीजल इंजनों से होने वाले लगभग पााच लाख टन कार्बन उत्सर्जन को भी रोक दिया है।

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    अब रेल लाइनों पर न तो गंदगी गिर रही है और न ही हवा में कार्बन डाई आक्साइड का मिश्रण हो रहा है। इसके फलस्वरूप पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ ट्रेनों का समय पालन भी बेहतर हुआ है। ऊर्जा दक्षता और पर्यावरण संरक्षण में यह ऐतिहासिक उपलब्धि है।

    पर्यावरण बचाने का काम 

    NCR ने पर्यावरण को बचाने के लिए शानदार काम किया है। इसने अपने 3,294 किलोमीटर रेलमार्ग को पूरी तरह इलेक्ट्रिक कर दिया है। अब 490 इलेक्ट्रिक इंजनों की मदद से हर साल सात करोड़ लीटर डीजल बच रहा है।

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    2,000 टन कार्बन कम हुआ

    प्रयागराज, झांसी और आगरा में रेल लाइनों को इलेक्ट्रिक बनाया गया है। इसके अलावा, 142 ट्रेनों में एक खास तकनीक (एचओजी) लगाई गई है, जो बिजली से कोचों को पावर देती है। इससे 3,260 किलोलीटर डीजल बचा और 2,000 टन कार्बन कम हुआ।

    18 मेगावाट और सौर संयंत्र लगाने की योजना

    NCR ने 12.7 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए, जिनसे 118.7 लाख यूनिट बिजली बनी और 5.34 करोड़ रुपये की बचत हुई। अब 18 मेगावाट और सौर संयंत्र लगाने की योजना है, जिससे कुल क्षमता 30 मेगावाट हो जाएगी। रेलवे की 10 इमारतों को ऊर्जा बचाने का सर्टिफिकेट मिला है, और 15 और के लिए काम चल रहा है।

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    सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर प्रदूषण कम कर रहा 

    ये सारे कदम पर्यावरण को साफ रखने और 2,030 तक कार्बन उत्सर्जन शून्य करने के लक्ष्य को पूरा करने में मदद कर रहे हैं। आसान शब्दों में, रेलवे बिजली और सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर प्रदूषण कम कर रहा है और पैसों की भी बचत कर रहा है।

    क्या कहते हैं एनआर के सीपीआरओ

    उत्तर मध्य रेलवे के सीपीआरओ शशिकांत त्रिपाठी ने बताया कि 10 सर्विस बिल्डिंगों को बीईई से शून्य/शून्य-प्लस प्रमाणपत्र मिला, और 15 और के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इससे पर्यावरण संरक्षण और 2030 तक नेट जीरो कार्बन लक्ष्य को गति मिली है।

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    हर वर्ष सात करोड़ लीटर डीजल की बचत

    उत्तर मध्य रेलवे के करीब 3,294 किमी रेलमार्ग पर शत-प्रतिशत विद्युतीकरण हो गया है। इन रेलमार्गों पर लगभग संपूर्ण परिचालन बिजली के लोकोमोटिव से ही हो रहा है। इसके फलस्वरूप विद्युतीकृत रेलमार्गों पर चल रहे 490 इलेक्ट्रिक इंजनों के चलते हर वर्ष सात करोड़ लीटर डीजल की बचत हो रही है।

    प्रयागराज मंडल में 1210 रूट किमी हुआ विद्युतीकरण

    प्रयागराज मंडल में 1210 रूट किमी, झांसी मंडल में 1354 रूट किमी और आगरा मंडल में 730 रूट किमी रेलमार्ग का विद्युतीकरण किया गया। इसके साथ ही, उत्तर मध्य रेलवे के सभी मार्गों पर इलेक्ट्रिक इंजनों का संचालन आरंभ हो गया है। यद्यपि, एनसीआर का प्रथम विद्युतीकृत खंड कानपुर-पनकी (1965) था, जिससे इस क्षेत्र में विद्युत रेल परिचालन की शुरुआत हुई। आज उत्तर मध्य रेलवे भारतीय रेल का एक अग्रणी जोन है, जिसने पूर्ण विद्युतीकरण एवं ऊर्जा दक्षता में ऐतिहासिक मील का पत्थर स्थापित किया है।

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    पावरकार नहीं, एचओजी से मिल रही कोचों को बिजली

    पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए उत्तर मध्य रेलवे ने 142 ट्रेनों के इलेक्ट्रिक इंजनों में हेड आन जेनरेशन (एचओजी) सिस्टम भी स्थापित कर दिया है। एचओजी सिस्टम के माध्यम से कोचों को भी बिजली मिल रही है।

    नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को गति

    वित्त वर्ष 2025-26 में जुलाई 2025 तक 3,260 किलो लीटर हाई स्पीड डीजल (एचएसडी) की बचत हुई है, इससे न केवल रेलवे के राजस्व में बचत हुई है बल्कि कार्बन उत्सर्जन में भी दो हजार टन से अधिक की कमी आई है। जिससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटाकर उत्तर मध्य रेलवे ने भारतीय रेल के वर्ष 2030 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को गति प्रदान की है।

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    ऊर्जा दक्षता की दिशा में उल्लेखनीय उपलब्धि 

    उत्तर मध्य रेलवे ने पर्यावरण संरक्षण एवं ऊर्जा दक्षता की दिशा में उल्लेखनीय उपलब्धि प्राप्त की है। आधुनिक तकनीक हेड-आन-जनरेशन (एचओजी) के प्रयोग से यात्री गाड़ियों में पावर कार के लिए डीज़ल की खपत में भारी बचत सुनिश्चित की गई है। अब एलएचबी कोचों की विद्युत आवश्यकताएं सीधे इलेक्ट्रिक इंजन से ओवरहेड वायर के माध्यम से पूरी होती हैं, जिससे डीजल आधारित पावर कारों की आवश्यकता न्यूनतम हो गई है।

    12.7 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र किया स्थापित 

    इसके साथ ही उत्तर मध्य रेलवे ने कुल 12.7 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र को स्थापित कर वित्त वर्ष 2024-25 में कुल 118.7 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन किया है जो कि पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता मे कमी लाती है साथ ही हमे और अधिक सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने को प्रेरित करती है।

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    सौर ऊर्जा द्वारा बन रही बिजली

    सौर ऊर्जा द्वारा बिजली के इस उत्पादन से वित्त वर्ष 2024-25 मे रेलवे के राजस्व में 5.34 करोड़ रुपये की बचत हुई तथा कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी करके उत्तर मध्य रेलवे ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा मे उल्लेखनीय कार्य किया है। इसी प्रयास को आगे बढ़ाते हुये उत्तर मध्य रेलवे 18 मेगावाट के सौर ऊर्जा सयंत्रों को स्थापित करने की दिशा में भी कार्य कर रहे है जिससे कि कुल स्थापित सौर क्षमता 30 मेगावाट से भी अधिक हो जाएगी एवं यह कार्य आगामी वर्ष तक पूर्ण कर लिया जाएगा। उत्तर मध्य रेलवे अपनी सर्विस बिल्डिगों को भी ऊर्जा दक्ष बनाने एवं ऊर्जा दक्षता प्रमाणित करने की दिशा में महत्तवाकांक्षी कदम उठा रहा है।

    ऊंर्जा दक्षता ब्यूरो की ओर से प्रमाणपत्र

    वर्ष 2024-25 के दौरान 10 सर्विस बिल्डिगों को BEE (ऊर्जा दक्षता ब्यूरो) द्वारा शून्य/शून्य-प्लस प्रमाणपत्र प्रपट कर चुका है एवं इस वर्ष भी 15 और सर्विस बिल्डिगों को प्रमाणपत्र दिलवाने के लिए आवश्यक कदम उठा चुका है।