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    कानपुर के करोड़पति लेखपाल आलोक दुबे का एक और राजफाश, अपने खातों में मुआवजे की ली थी धनराशि

    Updated: Fri, 17 Oct 2025 10:35 PM (IST)

    रिंग रोड परियोजना में भूमि अधिग्रहण के दौरान मुआवजे के गबन के आरोपी लेखपाल आलोक दुबे की मुश्किलें बढ़ रही हैं। जांच में पाया गया कि उसके और उसके परिवा ...और पढ़ें

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    alok dubey case

    जागरण संवाददाता, कानपुर। रिंग रोड परियोजना में भूमि अधिग्रहण के दौरान करोड़ों रुपये के मुआवजा डकारने में फंसे आरोपित लेखपाल आलोक दुबे की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। एंटी करप्शन विभाग की जांच के साथ अब भूमि अध्यापित विभाग भी सक्रिय हो गया है। जिलाधिकारी के निर्देश पर आलोक दुबे की जमीन खरीद-बिक्री और मुआवजा प्राप्ति से जुड़े सभी रिकार्ड खंगाले जा रहे हैं। भूमि अध्यापित विभाग की रिपोर्ट में अब तक एक करोड़ रुपये से अधिक मुआवजा उसके और परिजनों के खातों में जाने की पुष्टि हो चुकी है।

    सिंहपुर कछार निवासी अधिवक्ता संदीप सिंह ने दिसंबर 2024 में डीएम से शिकायत की थी कि फर्जी प्रपत्रों के जरिए उनकी चार बीघा जमीन बेची गई है। जांच में तत्कालीन कानूनगो आलोक दुबे की संलिप्तता सामने आई। इसके बाद फरवरी 2025 में डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने आलोक को निलंबित कर तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की। एडीएम न्यायिक की अध्यक्षता में बनी इस समिति की रिपोर्ट में सामने आया कि आलोक दुबे ने 41 बैनामे कराए, जिनकी कुल कीमत लगभग 30 करोड़ रुपये है। साथ ही, उसके परिवार के नाम पर 35 बीघा से अधिक भूमि दर्ज मिली है।

    आलोक दुबे वर्ष 1993 में लेखपाल पद पर नियुक्त हुआ था और लंबे समय तक सदर तहसील में तैनात रहा। इसी दौरान उसने भूमिगत नेटवर्क बनाकर जमीनों के सौदे शुरू किए। वर्ष 2015 से 2022 तक वह लेखपाल संघ का तहसील अध्यक्ष रहा, जिससे उसने प्रशासनिक स्तर पर भी मजबूत पकड़ बना ली। 2023 में कानूनगो पद पर पदोन्नति मिलने के बावजूद उसने नई तैनाती नहीं ली और स्वयं को फिर से सदर तहसील से संबद्ध करा लिया।

    जांच में यह भी सामने आया कि आलोक दुबे ने बिल्डरों के एजेंट की तरह काम किया। अधिवक्ता संदीप सिंह की गाटा संख्या 207 स्थित भूमि को मई 2024 में उसने 15 लाख रुपये में खरीदा और पांच माह बाद बिल्डर आरएनजी इंफ्रा को 24.75 लाख रुपये में बेच दिया। इसी तरह, रामपुर भीमसेन की एक अन्य जमीन को 20 लाख में खरीदकर 32.50 लाख रुपये में आगे बेचने का मामला भी उजागर हुआ है। अधिवक्ता की शिकायत पर मार्च 2025 में मुकदमा दर्ज हुआ, जिसकी जांच पूरी कर पुलिस ने अब चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर चुकी है। इसके साथ ही एंटी करप्शन भी इस मामले में अलग से जांच कर रहा है।

    जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि आरोपित लेखपाल के खिलाफ कई स्तरों पर कार्रवाई चल रही है। भूमि अध्यापित विभाग ने अब उसके मुआवजा रिकार्ड की गहन जांच की है, जिसमें एक करोड़ रुपये से अधिक का मुआवजा लेने की पुष्टि हुई है। तथ्य और साक्ष्य के आधार जांच की जा रही है।

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