Interview: कानपुर में जाम की समस्या से कब और कैसे मिलेगी निजात, डीसीपी ट्रैफिक ने बताया पूरा प्लान
DCP Traffic Ravindra Kumar Interview कानपुर शहर में यातायात व्यवस्था को लेकर डीसीपी ट्रैफिक ने जागरूकता की कमी बताई। उन्होंने कहा कि जाम का मुख्य कारण फ्लाईओवर और अंडरपास का अभाव है अतिक्रमण नहीं। ई-रिक्शा पंजीयन अभियान के बाद भी कई वाहन बिना पंजीकरण के चल रहे हैं। नो हेलमेट नो फ्यूल अभियान जारी है और सड़क हादसों को रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

जागरण संवाददाता, कानपुर। कानपुर शहर का सबसे व्यस्ततम घंटाघर चौराहा जिसे शहर का हार्ट कहा जाता है यहां से रोज लाखों वाहन गुजरते हैं।सोमवार दोपहर एक बजकर 25 मिनट पर डीसीपी ट्रैफिक रवीन्द्र कुमार, एडीसीपी ट्रैफिक अर्चना सिंह पुलिसकर्मियों के साथ यातायात व्यवस्था का निरीक्षण कर रहे हैं। तभी जागरण संवाददाता ने शहर की यातायात व्यवस्था को सुधारने और जाम की समस्या से निजात दिलाने के मुद्दे पर उनका साक्षात्कार किया।
डीसीपी ट्रैफिक रवीन्द्र कुमार ने कहा कि यातायात लोगों की सुरक्षा से जुड़ा मामला है। उनका उद्देश्य केवल लोगों के चालान करना ही नहीं है बल्कि यातायात नियमों के प्रति लोगों को जागरूक करना भी है। उन्होंने कहा कि यातायात नियमों को लेकर लोगों को सामाजिक रूप से जागरूक होना पड़ेगा तभी शहर की यातायात व्यवस्था को सुधारा जा सकता है। उन्होंने कहा कि शहर में वाहनों के दबाव को देखते हुए नए फ्लाईओवर, आरओबी और अंडरपास बनाने होंगे तभी जाम की समस्या से निजात मिल सकेगी।
- शहर में ई-रिक्शा पंजीयन अभियान की क्या स्थिति है, अब तक कितने पंजीयन हुए, चार बार समय बढ़ाया गया अब क्या कार्रवाई होगी?
- शहर में सुगम यातायात व्यवस्था के लिए रूटवार निर्धारण के लिए 21 अप्रैल से ई-रिक्शा व ई-आटो के पंजीयन की शुरुआत की गई। जिसे अब तक चार बार बढ़ाया जा चुका है। इसके बावजूद अब तक काफी ई-रिक्शा चालकों ने पंजीयन नहीं कराया। आरटीओ के रिकार्ड के अनुसार शहर में 27 हजार ई-रिक्शा पंजीकृत है जिसमें शनिवार तक 11501 ई-रिक्शा का पंजीकरण हो चुका है वहीं 6918 को क्यूआर कोड भी मिल चुका है। 31 अगस्त से पंजीयन का अभियान खत्म हो चुका है। एक सितंबर से इसके लिए बिना पंजीयन के शहर में चल रहे ई-रिक्शा व ई-आटो के खिलाफ अभियान चलाकर सीज करने की कार्रवाई शुरु कर दी गई है।
- शहर में जाम के प्रमुख कारण क्या है शहर का अतिक्रमण क्यों नहीं हट पा रहा है?
- शहर के जाम का प्रमुख कारण यहां का नगरीय ढांचा खराब होना है। अतिक्रमण तो जब चाहे तब हटाया जा सकता है। शहर में करीब 20 लाख वाहन पंजीकृत हैं उसके सापेक्ष यहां पर उतने फ्लाईओवर,अंडरपास और आरओबी नहीं है। जिसकी वजह से लोगों को जाम से जूझना पड़ता है। जिस तेजी से शहर में रोज नए वाहनों का पंजीकरण हो रहा है इससे सड़कों पर दबाव बढ़ रहा है लेकिन इससे निपटने के लिए संसाधन नहीं मिले। जीटी रोड पर अनवरगंज से लेकर कल्याणपुर तक पड़ने वाली रेलवे क्रासिंग पर एक बार ट्रेन गुजरने पर भीषण जाम लग जाता है। इससे निपटने लिए पर्याप्त फ्लाईओवर नहीं है जिससे लोगों को जाम से जूझना पड़ता है। सीपीसी एशिया का सबसे बड़ा माल गोदाम है यहां से खाद,सीमेंट व अन्य माल लादकर जाने वाले भारी वाहनों को पूरा शहर घूमते हुए बाहर जाना पड़ता है जिससे जाम लगता है। यही हाल ट्रांसपोर्ट नगर का है जो शहर के बीच में है। यहां आने वाले सैकड़ों ट्रक शहर में घुसते हैं जिससे जाम लगता है अगर इन्हें बाहर स्थानांतरित कर दिया जाए तो काफी हद तक जाम से राहत मिल सकती है। करोड़ों रुपये खर्च करके विकास नगर में सिग्नेचर सिटी बस अड्डा बनाया गया था ताकि झकरकटी बस अड्डे का लोड कम किया जा सके। इसके बावजूद यहां से बसें नहीं चलती है। यहां से अगर पूर्वांचल की बसे बैराज होकर जाए तो झकरकटी बस अड्डे पर बसों का दबाव काफी कम हो सकता है। यातायात नियमों को लेकर लोगों में सामजिक जागरूकता नहीं है। यूपी के लोग जब दिल्ली जाते हैं तो चालान के डर से बचने के लिये हेलमेट लगाते हैं और सीटबेल्ट बांधते हैं जबकि यहां ऐसा नहीं करते हैं।
- नो हेलमेट,नो फ्यूल अभियान को कैसे सफल बनाएंगे?
- शासन के आदेश पर दोपहिया वाहन चालकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए ‘नो हेलमेट, नो फ्यूल’ अभियान शुरूआत की है। यह विशेष सड़क सुरक्षा अभियान एक सितंबर से 30 सितंबर तक चलेगा। इसका मुख्य उद्देश्य हेलमेट के उपयोग को बढ़ावा देना और सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाना है। इस अभियान में आरटीओ, पुलिस, खाद्य एवं आपूर्ति,राजस्व और जिला प्रशासन के अधिकारी मिलकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। अभियान को सफल बनाने के लिए सभी विभागों की भूमिका रहेगी। इसके बावजूद यदि कोई व्यक्ति पंपकर्मियों पर बिना हेलमेट के पेट्रोल देने का दबाव बनाता है या उनसे मारपीट अभद्रता करता है। तो ऐसे में वह वाहन का नंबर नोट कर संबंधित थाने में इसकी शिकायत कर सकते हैंं उनके खिलाफ मुकदमा दर्जकर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वैसे भी पेट्रोल पंपों पर सीसी कैमरे लगे हैं जिससे ऐसा करने वालों की गाड़ी का नंबर और फोटो कैमरों में कैद हो जाएगा।
- सड़क हादसों को रोकने के लिए क्या प्लान किया है कितने पुलिसकर्मियों को इसमें लगाया गया है?
- सड़क हादसों को रोकने के लिए लोगों को लगातार जागरूक किया जा रहा है। हादसों की रोकथाम के लिए वाहनों चालकों को सलाह दी जाती है कि वह बिना हेलमेट के दोपहिया वाहन न चलाएं,सीटबेल्ट लगाएं, शराब पीकर वाहन न चलाए, अपनी लेन में चलें,यू-टर्न और रांग साइड से बचें आदि नियमों का पालन करें। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ रोज चालान करके कार्रवाई की जा रही है। शहर में यातायात व्यवस्था को सुगम और बेहतर बनाने के लिये 10 टीआइ,110 टीएसआइ,350 सिपाही और करीब 500 हाेमगार्ड लगाएं गए हैं।
- शहर में कुल कितने ब्लैक स्पाट हैं इनकी संख्या घटी है या बढ़ी है?
- शहर में कुल 17 ब्लैक स्पाट हैं,इनकी संख्या घटती बढ़ती रहती है। इनमें इनमें छोटे,मध्यम और बड़े ब्लैक स्पाट हैं। नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे पर पांच हादसे और 10 मौतें होने के बाद संबंधित जगह को ब्लैक स्पाट मान लिया जाता है। इनका लगातार विश्लेषण किया जाता रहता है। ब्लैक स्पाट के लिए यातायात पुलिस के साथ ही लोक निर्माण विभाग, एनएचएआइ और नगर निगम भी जिम्मेदार है। ब्लैक स्पाट के लिए अकेले यातायात पुलिस ही जिम्मेदार नहीं है।
यह भी पढ़ें- कानपुर में मौत का जाम, घायल वृद्ध को लेकर जा रही पुलिस की गाड़ी फंसी, मौत
यह भी पढ़ें- Kanpur Jam News: कानपुर का जाम बना काल, बेटी के जन्मदिन से पहले उठी मां की अर्थी
यह भी पढ़ें- पहले पिता, अब पत्नी की जान ले गया कानपुर का जाम, हार्ट अटैक पीड़िता ने पति की गोद में तोड़ा दम
यह भी पढ़ें- कानपुर का महाजाम, यहां वीआइपी भी फंसते, यूपी के पूर्व डिप्टी सीएम दो किमी तक जाम से जूझे
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।