Surya Grahan 2022: सूर्य ग्रहण का सूतक लगते ही बंद हुए मंदिरों के कपाट, घर में इन बातों का रखें विशेष ख्याल
Surya Grahan 2022 सूतक की शुरुआत से लेकर ग्रहण के अंत तक का समय शुभ नहीं माना जाता है। इस दौरान पूजा-अर्चना और खाना-पीना मना है। सूतक लगते ही मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए गए और खाने-पीने के सामान में तुलसी के पत्ते डाल दिए गए हैं।
हापुड़/गढ़मुक्तेश्वर, जागरण संवाददाता। मंगलवार यानी आज लगने वाले सूर्य ग्रहण का सूतक भोर से ही लग गए। पूजा-पाठ बंद होने के साथ तहसील क्षेत्र गढ़ नगर के मुक्तेश्वरा मंदिर, गंगा मंदिर, काली मंदिर, नक्का कुंआ मंदिर, दुर्गा मंदिर, सिंभावली के लाल मंदिर, शिव मंदिर सहित क्षेत्र के सभी मंदिरों के पट बंद हो गए। शाम 06 बजकर 32 मिनट के बाद जब ग्रहण मोक्ष होगा तब मंदिरों के पट खुलेंगे। इसके बाद देवी- देवताओं की मूर्तियों को स्नान कराने के बाद पूजन किया जाएगा।
पंडित विनोद शास्त्री ने बताया कि हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण का धार्मिक दृष्टि से बहुत विशेष महत्व होता है। इसे हिंदू धर्म में शुभ नहीं माना जाता है। ग्रहण काल में ईश्वर की आराधना करनी चाहिए। वह बताते हैं कि सूर्य और चंद्रमा के बीच जब पृथ्वी एक सीधी रेखा में आ जाती है तो यह ज्यामितीय स्थिति में ग्रहण कहलाती है।
सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन ही घटित होता है। ग्रहण मोक्ष के बाद पूजा-पाठ के साथ शुभ कार्य शुरू होते है। दीपावली के अगले दिन पड़ने वाला साल का आखिरी सूर्य ग्रहण है। इस बार सूर्य ग्रहण की अवधि लगभग चार घंटे 31 मिनट की होगी।
सूर्य ग्रहण में कैसे करें बचाव
पंडित विनोद शास्त्री ने बताया कि साल का आखिरी सूर्य ग्रहण तुला राशि में लगने वाला है। सूर्य ग्रहण के समय बुजुर्ग, गर्भवती स्त्रियों, रोगियों और बच्चों का विशेष ख्याल रखना चाहिए। इन्हें घर से बाहर न जाने दें। नग्न आंखों से ग्रहण के दर्शन न करने दें। इस अवधि में कुछ भी खाने-पीने से बचें। विशेषकर बासी भोजन तो बिल्कुल न खाएं। संभव हो तो घर में बैठकर हनुमान चालीसा आदि का पाठ कर सकते हैं। उससे ग्रहण असर उनके ऊपर प्रभावहीन रहेगा।
सूतक से पहले खाने-पीने की चीज में डाल दिए गए तुलसी के पत्ते
पंडित विनोद शास्त्री ने बताया कि सूर्य ग्रहण से करीब 12 घंटे पहले सूतक शुरू हो गए हैं। सूतक की शुरुआत से लेकर ग्रहण के अंत तक का समय शुभ नहीं माना जाता है, इसलिए इस दौरान पूजा आदि करना और कुछ भी खाना-पीना मना है। सूतक लगाते ही मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए गए।
साथ ही सूतक काल शुरू होने से पहले ही खाने-पीने के सामान में तुलसी के पत्ते डाल दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि ऐसा माना जाता है कि जिस चीज में तुलसी का पत्ता गिरता है, वो चीज अशुद्ध नहीं होती। ग्रहण काल समाप्त होने के बाद इसको फिर से उपयोग किया जा सकता है।
क्या होते हैं सूतक
पंडित विनोद शास्त्री ने बताया कि सूतक सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले और चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले लगता है। ज्योतिष शास्त्र में यह माना जाता है कि राहु-केतु ग्रहण के समय सूर्य और चंद्रमा को परेशान करते हैं। इस वजह से वे काफी कमजोर हो जाते हैं। ऐसे में ग्रहण से चंद घंटे पहले प्रकृति काफी संवेदनशील हो जाती है। वातावरण में कई नकारात्मक स्थितियां उत्पन्न होती हैं। इसे सूतक काल कहते हैं।
शास्त्रों में सूतक से ग्रहण काल के अंत तक का समय अशुभ माना गया है। इसलिए इस दौरान खाने-पीने, पूजा-पाठ आदि पर पाबंदी है,हालांकि गंभीर रूप से बीमार मरीजों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कुछ नियमों के साथ छूट दी गई है।
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