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    स्‍कूल में चाकू मारकर क्‍यों छात्र ने ले ली दूसरे की जान, मनोचि‍क‍ित्‍सक ने बतायी चौंकाने वाली वजह, आप भी पढ़ें...

    Updated: Mon, 18 Aug 2025 07:21 PM (IST)

    Gazipur Crime news गाजीपुर में कम उम्र के किशोरों द्वारा बढ़ते अपराध चिंता का विषय है। मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डा. शिवकुमार के अनुसार गलत समाजीकरण अनुशासन की कमी और नकारात्मक प्रभावों के कारण किशोर अपराध की ओर प्रवृत्त होते हैं। वे अपनी पहचान और शक्ति दिखाने के लिए अपराध करते हैं।

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    किशोरों में बढ़ते जघन्य अपराध समाज और परिवेश की देन।

    जागरण संवाददाता, गाजीपुर। अभ‍िभावकों के ल‍िए गाजीपुर के स्‍कूल में चाकू से छात्र की दूसरे छात्र द्वारा हत्‍या अलर्ट करने वाली घटना है। दरअसल 18 वर्ष से कम आयु के किशोर-किशोरियों द्वारा बढ़ते जघन्य अपराध हमारे बदलते और बजबजाते समाज तथा परिवेश की ओर ध्यान खींचते हैं। परिवार, विद्यालय और समाज अपने भावी नागरिकों को सही तरीके से संभालने में पिछड़ रहे हैं। इसका नकारात्‍मक असर अपराध के रूप में भी सामने आ रहा है। 

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    राजकीय महिला डिग्री कालेज के मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डा. शिवकुमार ने सनबीम स्कूल में हुई चाकूबाजी की घटना पर कहा कि किशोरावस्था उत्तेजना, हलचल, रोमांच और जोखिम की उम्र होती है। मोबाइल की दुन‍िया से लेकर आस पड़ोस के व्‍यवहार उनको बदलाव के प्र‍त‍ि प्रेर‍ित करते हैं। 

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    दोषपूर्ण समाजीकरण, अपरिपक्व सामाजिक व्यवहार, अनुशासन और प्रोत्साहन का अभाव, संवेदनशील साथियों की कमी और लापरवाह जीवनशैली किशोर ऊर्जा को गलत दिशा में ले जाती है। कई बार नकारात्मक चरित्रों की प्रशंसा और समाज में उन्हें मान्यता मिलने से किशोर आसानी से उनका अनुसरण करने लगते हैं। परिवार, संगी-साथी और विद्यालय का वातावरण इस प्रवृत्ति को प्रभावित करता है।

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    उन्‍होंने बताया क‍ि छोटे-छोटे आपराधिक कृत्य अक्सर किशोर अपनी पहचान और शक्ति दिखाने के लिए करते हैं। जघन्य अपराध अधिकतर तात्कालिक आवेग, उकसावे, वर्चस्व की लड़ाई या समूह की प्रतिष्ठा बनाए रखने के दबाव में किए जाते हैं। संगी-साथियों के बीच खुद को साबित करने के लिए कई बार वे अतिरेक और अपराध की हद तक चले जाते हैं।

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    असामान्य व विचलित व्यवहार वाले किशोरों की पहचान कर उन्हें सुधारने के लिए कुशल परामर्शदाताओं की सहायता लेनी चाहिए। साथ ही विद्यालय, शिक्षक, अभिभावक और विद्यार्थी सभी को मिलकर निरोधात्मक उपाय अपनाने होंगे। यह विद्यालयों की बड़ी जिम्मेदारी है कि वे अपने विद्यार्थियों को सही दिशा दें और ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति रोकें।

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