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    Fatehpur Tomb Temple Dispute: मंदिर-मकबरा की जमीन के मालिकाने हक के लिए कोर्ट में 30 को सुनवाई, जानें क्या है पूरा मामला

    Updated: Fri, 29 Aug 2025 08:32 PM (IST)

    Fatehpur tomb temple dispute फतेहपुर के मंदिर-मकबरा प्रकरण में प्रशासन ने विवादित भूमि को सुरक्षित करने का फैसला लिया है। प्रशासन ने विवादित जमीन को कटीले तार से सुरक्षित करने का फैसला किया। वहीं सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए मकबरा के पास अस्थायी पुलिस चौकी खोलने की तैयारी भी चल रही है। उधर 30 अगस्त को सिविल जज की अदालत में भूमि पर मालिकाना हक को लेकर सुनवाई होनी है।

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    मंदिर-मकबरा की जमीन को कंटीले तार से सुरक्षित करेगी पालिका।

    जागरण संवाददाता, फतेहपुर। Fatehpur Tomb Temple Dispute: मंदिर-मकबरा प्रकरण में जमीन के दावों के बीच अब प्रशासन उसे सुरक्षित करने में जुट गया है। विवाद के बाद जिले में कमिश्नर ने डेरा डालकर डीएम को दिशा निर्देश दिए थे। कमिश्नर की मंशा पर डीएम ने पूरी जमीन को सुरक्षित कराने के लिए सदर पालिका को कंटीले तार लगाने के निर्देश दिए हैं। नगर पालिका ने निर्माण खंड से जो एस्टीमेट बनाया है उसके मुताबिक इस काम में 4 लाख 37 हजार रुपये खर्च होंगे।

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    सदर पालिका के रेड़इया मोहल्ले में एक जमीन में मंदिर और मकबरा का अलग अलग दावा किया जा रहा है। 11 अगस्त को हिंदूवादी संगठनों ने खासा हंगामा किया तो दूसरा पक्ष भी सामने आ गया था। प्रशासन की खासी किरकिरी हुई थी। प्रकरण में दस नामजद और 150 अज्ञात पर मुकदमा भी हुआ था। जमीन के दावों पर अभी प्रशासन निर्णय नहीं ले पाया है। इसलिए जमीन को सुरक्षित करने का निर्णय लिया है। नगर पालिका कंटीले तारों से जमीन को बैरीकेड्स कराएगी।

    अधिशासी अधिकारी रविन्द्र कुमार ने बताया कि विवादित जमीन पर कंटीले तार लगाने के आदेश मिला है। एस्टीमेट बनाया गया है जिसमें 4 लाख 37 हजार रुपये खर्च किए जाएंगे। जल्द ही काम भी शुरू करवाकर पूरा कर लिया जाएगा।

    अस्थायी पुलिस चौकी खोलने की तैयारी

    मंदिर-मकबरा विवाद के बाद 11 अगस्त में मकबरा की ओर जाने वाले रास्तों समेत आसपास भारी पुलिस बल तैनात है। एक सप्ताह पहले गैरजनपद की पुलिस तो भेज दी गई लेकिन जिले की पुलिस चौकसी के साथ तैनात है। 24 घंटे की रखवाली के साथ ड्यूटी में मजिस्ट्रेट भी लगाए गये है। विवाद लंबे समय तक चलने की संभावना पर प्रशासन मकबरा के पास अस्थायी पुलिस चौकी खोलने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए स्थान की तलाश की जा रही है।

    कोर्ट में आज होगी सुनवाई

    सिविल जज जूनियर डिवीजन की अदालत में मंदिर-मकबरा प्रकरण की भूमि में मालिकाना हक को लेकर तीस अगस्त को सुनवाई लगी हुई है। मठ-मंदिर संरक्षण संघर्ष समिति अधिवक्ता के माध्यम में जमीदारी एक्ट के समय के दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए ठाकुर द्वारा मंदिर होने का दावा कर रहे है। बताते है कि सौ साल पुराने दस्तावेजों से इस स्थान पर मंदिर होने का दावा किया जा रहा है। उधर मकबरा की पैरवी में मुगलकालीन इतिहास से दस्तावेजों को लिया गया है जिसमें मुगल बादशाह औरंगजेब के फौजदार अबू समद का मकबरा बताया जा रहा है।

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    ये था मामला

    11 अगस्त को मकबरा मंदिर विवाद गहरा गया था। मठ मंदिर संघर्ष समिति के बैनर तले भाजपा जिला अध्यक्ष मुखलाल पाल और पूर्व विधायक विक्रम सिंह की अगुआई में भाजपाइयों ने डाक बंगले से मकबरा स्थल तक जुलूस निकाला था। मकबरे में हनुमान चालीसा का पाठ किया था। वहीं हिंदू महासभा के प्रांत उपाध्यक्ष मनोज त्रिवेदी ने 300 भक्तों की टुकड़ी लेकर मकबरा के अंदर प्रवेश कर आरती पूजन किया तो तनाव फैल गया। इस दौरान हिंदू पक्ष के लोगों ने मकबरा के अंदर बनी दो मजारों को डंडा मार कर तोड़ दिया था। पथराव शुरू हुआ तो मुस्लिम और हिंदू पक्ष के लोगों को पुलिस ने खदेड़ा। तब से वहां तनाव को रोकने लिए पुलिस बल तैनात है। इसके बाद राजनीति शुरू हो गई। चर्चा जमीन के मालिकाने हक की आने लगीं। राजस्व के दस्तावेजों की माने तो वर्ष 2012 में मकबरा का नाम खतौनी में दर्ज हुआ इसके पहले ही मकबरे व ठाकुर द्वारे के नाम दर्ज भूमि की बिक्री कर ली गई। मकबरा के पास बेशकीमती भूमि को लेकर कई भूमाफिया पहले से सक्रिय हैं।

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