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Mulayam Singh Yadav Death: राम मंदिर आंदोलन के बाद निधौलीकलां से लड़े थे चुनाव, एटा में तैयार की सपा

Mulayam Singh Yadav Death मुलायम जब मुख्यमंत्री बने तो एटा का दौरा करने में उन्होंने कभी कमी नहीं रखी। जब सत्ता से विमुख हो गए तब भी आना जाना बना रहा। नेताजी जब निधौलीकलां विधानसभा से चुनाव जीते तो उन्होंने बाद में यह सीट खाली कर दी।

By Anil Kumar GuptaEdited By: Abhishek SaxenaPublished: Mon, 10 Oct 2022 11:24 AM (IST)Updated: Mon, 10 Oct 2022 11:24 AM (IST)
Mulayam Singh Yadav: एटा जनपद में मुलायक सिंह ने तैयार की थी सपा की जमीन

एटा, जागरण टीम। Mulayam Singh Yadav Death समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का एटा से गहरा नाता रहा। यहां के नेताओं से सीधी रिश्तेदारी, निधौलीकलां विधानसभा सीट से वर्ष 1993 में चुनाव लड़ना एटा से उनके रिश्ते को और ज्यादा प्रगाढ़ बनाता है। वे यहां के तमाम नेताओं को नाम से पुकारते थे, लेकिन जब से अस्वस्थ हुए तब से वे बहुत कुछ भूल गए। आज नेताजी के जाने के बाद सपा के पुराने लोग यादों में खो गए हैं।

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मुलायम सिंह यादव ने एटा में तैयार की सपा के लिए जमीन

मुलायम सिंह यादव ही वह शख्शियत हैं, जिन्होंने एटा में सपा के लिए खुद जमीन तैयार की और यहां के नेताओं को मुकाम तक पहुंचाया। सपा में आज जो पुराने चेहरे प्रभावशाली रूप में दिखाई देते हैं, वे मुलायम की ही देन है। उन्होंने जब सपा का गठन किया तो यहां के लोगों को जोड़ा और सजातियों के बीच दिन पर दिन उनका कद बढ़ता चला गया।

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राम मंदिर आंदोलन के बाद लड़ा था निधौली कलां से चुनाव

राम मंदिर आंदोलन के बाद वर्ष 1993 में जब विधानसभा का चुनाव हुआ तो मुलायम सिंह यादव ने जसवंत नगर, शिकोहाबाद और निधौलीकलां तीन सीटों पर एक साथ चुनाव लड़ा था। निधौलीकलां में उन्हें 41 हजार 683 वोट मिले। विपक्षियों ने मुलायम को मात देने के लिए उन्हीं के नाम का एक प्रत्याशी खड़ा कर दिया। हालांकि उसे 200 वोट भी नहीं मिले। एटा में मुलायम ने पूर्व विधायक रामेश्वर सिंह यादव, विधान परिषद के पूर्व सभापति रमेश यादव सरीखे नेताओं समेत कई यादव नेताओं को मुकाम तक पहुंचाया। यह अलग बात है कि कुछ दूसरे दलों में चले गए तो कुछ अभी भी सपा में ही हैं।

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मुलायम सिंह पहचानते थे कार्यकर्ताओं की नब्ज

सपा के गठन के समय मुलायम से सीधे जुड़े सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष मुहम्मद उमर बताते हैं कि नेताजी अपने कार्यकर्ता की नब्ज को पहचानते थे। कुछ चेहरे तो वे इस तरह पहचानते थे कि विभिन्न कार्यक्रमों में नाम लेकर पुकार लेते थे। यह उन्हीं की पारखी नजर थी कि वे कार्यकर्ता की क्षमता को बखूबी समझ लेते थे और उसके अनुसार ही उन्हें पद देते थे। सत्ता के साथ उन्हें संगठन की भी चिंता रहती थी। पार्टी का कार्यकर्ता संगठन में कहां फिट हो सकता है, इसकी चिंता वे स्वयं करते थे।

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नेताजी की कमी पार्टी को हमेशा खलेगी

सपा के पूर्व विधायक अमित गौरव यादव मुलायम को याद करते हुए कहते हैं कि कि नेताजी की कमी पार्टी को हमेशा खलेगी। वे आशीष प्रदाता थे। उन्हीं के सामाज्य को उनके पुत्र अखिलेश यादव आगे बढ़ा रहे हैं। मुलायम के सगे साले लाखन सिंह यादव यहां पुलिस विभाग में नौकरी करते हैं। भाई प्रो. रामगोपाल यादव की रिश्तेदारी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जुगेंद्र सिंह यादव से जुड़ने के बाद मुलायम की भी नातेदारी जुड़ गई। 

जब भी मुख्यमंत्री बने खूब आए एटा

निधौलीकलां से चुनाव जीतने के बाद मुलायम सिंह ने बाद ये सीट छोड़ दी थी। यहां के लोग कुछ निराश हुए और उन्हें लगा कि नेताजी अब एटा से थोड़ी दूरी बना रहे हैं, लेकिन समर्थकों के मन में क्या चल रहा है यह उन्होंने भांप लिया। सपा के कई नेता बताते हैं कि नेताजी ने उस समय कहा था कि निधौलीकलां मेरे लिए लखनऊ से ज्यादा दूर नहीं है। यहां के हर वाशिंदे का सम्मान मैं जीवनभर करता रहूंगा। 


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