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    आप जानते हैं उपवास का असली अर्थ? जानें शास्त्रों के अनुसार व्रत कैसे बदलता है आपका भाग्य

    Updated: Mon, 29 Dec 2025 03:26 PM (IST)

    पद्म पुराण और शिव पुराण के अनुसार, उपवास एक ऐसी तपस्या है जो मनुष्य को शारीरिक रूप से स्वस्थ, मानसिक रूप से शांत और आध्यात्मिक रूप से उन्नत बनाती है। ...और पढ़ें

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    व्रत का असर आपके जीवन पर पड़ता है? (Image Source: AI-Generated)

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    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में 'उपवास' (Vrat and Upvas) केवल भोजन का त्याग करना नहीं है। बल्कि, यह शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का एक सशक्त माध्यम है। हमारे प्राचीन पुराणों के गहन विश्लेषण को जोड़कर देखा जाए, तो उपवास के धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व का सुंदर संगम दिखाई देता है।

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    यहां उपवास के लाभों को पुराणों के संदर्भ के साथ विस्तार से दिया गया है:

    1. उपवास का शाब्दिक और आध्यात्मिक अर्थ

    'उपवास' दो शब्दों से मिलकर बना है, 'उप' (निकट) और 'वास' (रहना)। इसका अर्थ है ईश्वर के पास रहना। अग्नि पुराण में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि उपवास का अर्थ केवल जठराग्नि (पाचन की अग्नि) को शांत रखना नहीं है। बल्कि, अपनी दसों इंद्रियों पर विजय पाकर परमात्मा के सानिध्य में समय बिताना है। यह आत्मा को सात्विक गुणों से भर देता है।

    2. शारीरिक शुद्धि और आरोग्य (पद्म पुराण का संदर्भ)

    वैज्ञानिक रूप से उपवास 'डिटॉक्सिफिकेशन' (Detoxification) की प्रक्रिया है। पद्म पुराण के अनुसार, जिस तरह सोने को आग में तपाने पर उसकी अशुद्धियां दूर हो जाती हैं, उसी तरह उपवास करने से शरीर के भीतर के विषैले तत्व नष्ट हो जाते हैं। आयुर्वेद और पुराणों का मानना है कि सप्ताह में एक दिन उपवास करने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बढ़ती है।

    3. मानसिक एकाग्रता और संकल्प शक्ति

    स्कंद पुराण में 'एकादशी व्रत' की महिमा का वर्णन करते हुए बताया गया है कि उपवास से मन की चंचलता कम होती है। जब हम भोजन जैसी अपनी सबसे मूलभूत आवश्यकता पर नियंत्रण पाना सीखते हैं, तो हमारी संकल्प शक्ति (Will Power) अद्भुत रूप से बढ़ती है। यह अनुशासन हमें जीवन की बड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए मानसिक रूप से तैयार करता है।

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    4. कर्मों का शोधन और आत्म-साक्षात्कार

    गरुड़ पुराण और शिव पुराण में उल्लेख है कि विशेष तिथियों (जैसे पूर्णिमा, अमावस्या या शिवरात्रि) पर उपवास करने से संचित नकारात्मक कर्मों का प्रभाव कम होता है। उपवास के दौरान जब हम कम बोलते हैं और मौन का पालन करते हैं, तो आत्म-चिंतन का अवसर मिलता है। जिससे क्रोध, लोभ और मोह जैसे विकारों का नाश होता है।

    5. ग्रहों के दोषों का निवारण

    ज्योतिषीय और पौराणिक दृष्टि से भी उपवास का बड़ा महत्व है। भविष्य पुराण के अनुसार, सप्ताह के विभिन्न दिनों के व्रत (जैसे सोमवार को शिव, गुरुवार को विष्णु) संबंधित ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम करते हैं। उदाहरण के लिए, सूर्य देव की उपासना के लिए किया गया रविवार का व्रत व्यक्ति को आरोग्य और तेज प्रदान करता है।

    क्या कहता है पद्म पुराण?

    पद्म पुराण और शिव पुराण के अनुसार, उपवास एक ऐसी तपस्या है जो मनुष्य को शारीरिक रूप से स्वस्थ, मानसिक रूप से शांत और आध्यात्मिक रूप से उन्नत बनाती है। यह संयम का वह मार्ग है जो भक्त को 'स्व' से हटाकर 'सर्वस्व' (ईश्वर) की ओर ले जाता है। सच्ची श्रद्धा के साथ किया गया उपवास न केवल वर्तमान जीवन को सुखी बनाता है, बल्कि परलोक की राह भी सुगम करता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।