वो 5 महापाप जिनकी सजा देख कांप उठेगी आत्मा, नर्क में तड़पना तय
गरुड़ पुराण मृत्यु के बाद के सफर और पापों के परिणामों का वर्णन करता है। इसमें भगवान विष्णु ने उन 5 महापापों का उल्लेख किया है, जिनके लिए यमलोक में भया ...और पढ़ें
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ये काम भूलकर भी ना करें (Image source: AI-generated)

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धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म के 18 पुराणों में 'गरुड़ पुराण' का एक विशेष महत्व है। जहां अन्य पुराण हमें देवताओं की स्तुति और जीवन जीने के तरीके सिखाते हैं। वहीं, गरुड़ पुराण हमें मृत्यु के बाद के सफर और हमारे द्वारा किए गए पापों के परिणामों के प्रति सचेत करता है। इसमें भगवान विष्णु ने विस्तार से उन 'महापापों' का वर्णन किया है, जिनकी सजा यमलोक में बहुत ही भयानक होती है।
आइए जानते हैं कि वो 5 महापाप कौन से हैं, जिन्हें करने वाले को कभी माफी नहीं मिलती-
1. भ्रूण हत्या और निर्दोष की हत्या
गरुड़ पुराण में भ्रूण हत्या (Abortion) को सबसे भीषण पाप माना गया है। किसी अजन्मे बच्चे की जान लेना या किसी निर्दोष व्यक्ति की हत्या करना अक्षम्य है। ऐसे पाप करने वालों को यमलोक में 'कुम्भीपाकम' नर्क में डाला जाता है, जहां उन्हें खौलते हुए तेल के कड़ाहों में डालकर प्रताड़ित किया जाता है।
2. महिलाओं और कन्याओं का अपमान
किसी स्त्री की अस्मत से खेलना, उसका शोषण करना या कन्याओं का अपमान करना महापाप की श्रेणी में आता है। गरुड़ पुराण कहता है कि जो व्यक्ति स्त्रियों को मानसिक या शारीरिक पीड़ा देते हैं, उन्हें नर्क में लोहे के गरम खंभों से बांधकर रखा जाता है और कोड़ों से पीटा जाता है।

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3. विश्वासघात और झूठी गवाही
किसी ऐसे व्यक्ति को धोखा देना जिसने आप पर अटूट भरोसा किया हो, एक बड़ा अपराध है। इसके अलावा, किसी निर्दोष को फंसाने के लिए कोर्ट या समाज में झूठी गवाही देना भी नर्क का द्वार खोलता है। ऐसे पापी को 'महारौरव' नर्क में सांपों और बिच्छुओं के बीच छोड़ दिया जाता है।
4. गुरु और माता-पिता का निरादर
गुरु हमें ज्ञान देते हैं और माता-पिता हमें जीवन देते हैं। जो इंसान अपने वृद्ध माता-पिता की सेवा नहीं करता या अपने गुरु का अपमान करता है, उसे मृत्यु के बाद कभी शांति नहीं मिलती। ऐसे लोगों को नर्क में भूखा और प्यासा रखा जाता है और वे तिनके-तिनके के लिए तरसते हैं।
5. धरोहर या अमानत को हड़पना
अगर कोई व्यक्ति आपके पास अपनी कोई अमानत या धन भरोसे के साथ छोड़कर गया है और आप उसे हड़प लेते हैं, तो यह चोरी से भी बड़ा पाप है। दूसरों की संपत्ति पर बुरी नजर रखने वालों को नरक की आग में तपाया जाता है।
इस शिक्षा का उद्देश्य क्या है?
गरुड़ पुराण का उद्देश्य किसी को डराना नहीं, बल्कि मनुष्य को 'सत्य' और 'धर्म' के मार्ग पर लाना है। यह हमें याद दिलाता है कि भले ही दुनिया की अदालत से आप बच जाएं, लेकिन कर्मों के हिसाब-किताब से कोई नहीं बच सकता। आज के आधुनिक, युग में भले ही हम इन बातों को काल्पनिक मानें, लेकिन इनका नैतिक संदेश साफ है-इंसानियत और ईमानदारी ही सबसे बड़ा धर्म है। बुरे कर्मों का फल इसी जन्म में या अगले, भुगतना ही पड़ता है।
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