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    Ahoi Ashtami 2025 Date: 13 या 14 अक्टूबर, कब किया जाएगा अहोई अष्टमी व्रत? यहां पढ़ें सही तिथि और मुहूर्त

    Updated: Tue, 30 Sep 2025 11:17 AM (IST)

    हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami 2025 Date) का व्रत किया जाता है। इस व्रत को निर्जला किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।

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    Ahoi Ashtami 2025: अहोई अष्टमी के दिन क्या करें और क्या न करें

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि (Ahoi Ashtami 2025 Kab Hai) का विशेष महत्व है। इस दिन अहोई अष्टमी का पर्व बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं निर्जला करती हैं और तारों के दर्शन एवं अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है।

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    धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से संतान को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही बच्चे के करियर में तरक्की होती है। ऐसे में आइए इस आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं अहोई अष्टमी की डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में।

    (Pic Credit-Freepik)

    अहोई अष्टमी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Ahoi Ashtami 2025 Date and Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार अहोई अष्टमी का पर्व 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

    कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत- 13 अक्टूबर को रात 12 बजकर 24 मिनट पर

    कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का समापन- 14 अक्टूबर को रात 11 बजकर 9 मिनट पर

    पूजा करने का शुभ मुहूर्त- शाम 5 बजकर 53 मिनट से शाम 7 बजकर 8 मिनट तक

    तारों को देखने का समय- शाम 6 बजकर 17 मिनट तक

    भूलकर भी न करें ये काम

    अहोई अष्टमी के दिन भूलकर भी काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। किसी के बारे में गलत न सोचें और किसी से वाद-विवाद न करें। किसी से लड़ाई-झगड़ा न करें। व्रत का पारण करते समय सात्विक भोजन का सेवन करें।

    (Pic Credit-Freepik)

    अहोई अष्टमी के दिन करें काम?

    • अहोई अष्टमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें।
    • अहोई माता की पूजा-अर्चना करें।
    • व्रत कथा का पाठ करें।
    • अहोई माता से संतान के जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें।
    • इस दिन अन्न-धन समेत आदि चीजों का दान करने का विशेष महत्व है।

    अहोई माता की होती है पूजा

    अहोई अष्टमी के अवसर पर भगवान शिव और माता पार्वती के संग अहोई माता की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन महादेव की पूजा करने से साधक को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति होती है और जीवन के सभी दुख-संकट दूर होते हैं। इस दिन पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ करने से संतान के जीवन में जुड़ी समस्या दूर होती है। संतान के जीवन में तरक्की के मार्ग खुलते हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।