Karwa Chauth 2025: कब और क्यों मनाया जाता है करवा चौथ? यहां पढ़ें धार्मिक महत्व और तिथि
सनातन धर्म में कार्तिक माह का विशेष महत्व है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस माह की शुरुआत 08 अक्टूबर (Kartik Month 2025) से हो रही है। इस माह में करवा चौथ (Karwa Chauth 2025) का पर्व बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन करवा माता की पूजा का विधान है। साथ ही निर्जला व्रत किया जाता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में करवा चौथ (Karwa Chauth 2025) का त्योहार बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस पर्व का सुहागिन महिलाएं बेसब्री से इंतजार करती हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा चौथ मनाया जाता है।
इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं और चंद्र दर्शन करने के बाद ही व्रत का पारण करती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि करवा चौथ का व्रत क्यों किया जाता है। अगर नहीं पता, तो आइए इस आर्टिकल में जानते हैं इसकी वजह के बारे में।
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करवा चौथ 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Karwa Chauth 2025 Date and Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 09 अक्टूबर को देर रात 10 बजकर 54 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 10 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 38 मिनट पर होगा। ऐसे में करवा चौथ व्रत 10 अक्टूबर (Kab hai Karwa Chauth 2025) को किया जाएगा। इस दिन चंद्रोदय शाम को 07 बजकर 42 मिनट पर होगा। पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम को 05 बजकर 16 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 29 मिनट तक है।
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करवा चौथ का धार्मिक महत्व (Karwa Chauth Significance)
करवा चौथ का पर्व हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं और शाम को पूजा और चंद्र दर्शन करने के बाद ही व्रत का पारण करती हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, करवा चौथ का व्रत विधिपूर्वक करने से पति को दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वैवाहिक जीवन में खुशियों का आगमन होता है। अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही पति-पत्नी के रिश्ते मजबूत होते हैं।
क्या है सरगी
करवा चौथ व्रत की शुरुआत सरगी में शामिल चीजों का सेवन करने के बाद से होती है। करवा चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में सरगी की परंपरा निभाई जाती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले सास अपनी बहू को सरगी देती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, करवा चौथ व्रत में मां पार्वती ने सरगी की परंपरा की शुरुआत की थी।
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