Lok Sabha Election 2024: पंजाब में पहली बार चारों दल आमने-सामने, कांग्रेस के नेता दूसरी पार्टियों के लिए बने संजीवनी
Lok Sabha Election 2024 पंजाब में पहली बार चारों पार्टियां साथ में चुनाव लड़ने जा रही हैं। कांग्रेस के लीडरों का सबसे ज्यादा प्रभाव भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी पर ज्यादा दिखाई दे रहा है। पिछले तीन वर्षों में कांग्रेस से टूट कर दूसरी पार्टियों में जाने वालों की संख्या दो दर्जन से भी अधिक की हो गई है।
कैलाश नाथ, चंडीगढ़। Punjab Lok Sabha Election 2024: पंजाब में पहली बार चार पार्टियां आमने-सामने है। चार पार्टियों के चुनाव मैदान में होने के कारण कांग्रेस को छोड़ दिया जाए तो सभी पार्टियों को प्रत्याशियों की कमी से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में कांग्रेस सभी पार्टियों के लिए ‘लीडरों की फैक्ट्री’ बन गई है।
हालांकि कांग्रेस के लीडरों का सबसे ज्यादा प्रभाव भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी पर ज्यादा दिखाई दे रहा है। पिछले तीन वर्षों में कांग्रेस से टूट कर दूसरी पार्टियों में जाने वालों की संख्या दो दर्जन से भी अधिक की हो गई है। वहीं, कांग्रेस से जाने वाले नेता दूसरी पार्टियों के लिए संजीवनी का भी काम कर रहे है।
रवनीत बिट्टू ने भी कांग्रेस से झटका हाथ
लोक सभा चुनाव की ही बात करें तो होशियारपुर और फतेहगढ़ साहिब में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से आए डॉ. राजकुमार चब्बेवाल और गुरप्रीत जीपी की उम्मीदवार बनाया। जबकि कांग्रेस से आए सुशील रिंकू आप के हाथों छिटक गए और वह भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उन्हें टिकट दिया। भाजपा के पास इस सीट पर मजबूत उम्मीदवार की कमी थी।
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इसी प्रकार लुधियाना में रवनीत बिट्टू कांग्रेस से टूट कर भाजपा में आ गए। पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार घोषित किया। हालांकि पटियाला से परनीत कौर की स्थिति कुछ जुदा रही। वह कांग्रेस से निलंबित थी और उनका भाजपा में जाना तय था लेकिन इस सीट पर भाजपा को बैठे-बैठाए एक बड़ा नेता मिल गया। अब भाजपा की नजर फतेहगढ़ साहिब और खडूर साहिब पर टिकी हुई है।
कांग्रेस से जाने वाले नेताओं की संख्या बढ़ी
कांग्रेस से टूट कर जाने का क्रम 2022 में ही शुरू हो गया था। जोकि अभी तक जारी है। पूर्व मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी, कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रताप सिंह बाजवा के छोटे भाई व पूर्व विधायक फतेहजंग बाजवा, केवल ढिल्लो जैसे नेता पहले भाजपा में गए। उसके उपरांत सुनील जाखड़ और दो बार के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे नेता भाजपा में शामिल हो गए थे।
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लोकसभा ही नहीं बल्कि विधानसभा में कांग्रेस से जाने वाले नेताओं की संख्या काफी अधिक है। आप सरकार में कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा, गुरमीत सिंह खुडिया भी कभी कांग्रेस में ही हुआ करते थे। पंजाब में हरित क्रांति के जनक व कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय प्रताप सिंह कैरों के पुत्र आदेश प्रताप कैरो ने भी अपना राजनीतिक कैरियर शिरोमणि अकाली दल में आकर संवारा। पंजाब में कांग्रेस लीडरों को तैयार करने वाली फैक्ट्री है।
दलित राजनीतिक की मां पार्टी है बसपा
पंजाब में आबादी के अनुपात में दलित आबादी करीब 34 फीसदी है। दलित राजनीति में बहुजन समाज पार्टी सभी की मां पार्टी है। वित्तमंत्री हरपाल चीमा हो या शिअद विधायक डॉ. सुखविंदर सुक्खी, शिअद के पूर्व विधायक पवन टीनू हो या आदमपुर से कांग्रेस के विधायक सुखविंदर कोटली सभी कभी न कभी बहुजन समाज पार्टी से जुड़े रहे है। बसपा से राजनीति का गुण सुख कर अब यह अलग-अलग पार्टियों का प्रतिनिधित्व कर रहे है।