Odisha Train Accident: प्राथमिक जांच में मिली सिग्नल की गड़बड़ी, रेलवे ने कहा- डिजिटल रिकॉर्ड को किया गया सीज
ओडिशा में हुए भीषण ट्रेन हादसे के पीछे प्रथम दृष्टया सिग्नल में गड़बड़ी की बात सामने आ रही है। रेलवे ने यह भी दावा किया है कि दुर्घटना के जिम्मेदार भी चिन्हित कर लिए गए हैं। फाइल फोटो।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ओडिशा में हुए भीषण ट्रेन हादसे के पीछे प्रथम दृष्टया सिग्नल में गड़बड़ी की बात सामने आ रही है। रेलवे बोर्ड का कहना है कि मौके पर पटरी से लेकर पूरा ढांचा तहस-नहस हो चुका है, इसलिए वहां की स्थिति से दुर्घटना के कारणों का पता नहीं लगाया जा सकता कि कोरोमंडल एक्सप्रेस पहले डिरेल हुई या लूप लाइन में खड़ी मालगाड़ी से टकराई।
सीआरएस ने अपने जांच में क्या कहा?
रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) की प्राथमिक जांच में पता चला है कि सिग्नल की गड़बड़ी से हादसा हुआ। रेलवे ने यह भी दावा किया है कि दुर्घटना के जिम्मेदार भी चिन्हित कर लिए गए हैं। रेलवे बोर्ड का कहना है कि ट्रैक या सिग्नल में छेड़छाड़ और तोड़फोड़ के बिंदु को भी जांच में शामिल किया गया है। इसके लिए गृह मंत्रालय भी मदद कर रहा है।
हादसे में तीन ट्रेनों की भिड़ंत कहना गलत
बोर्ड की ओर से स्पष्ट किया गया कि एनआइए नहीं, बल्कि गृह मंत्रालय की ओर से राहत एवं बचाव तथा जांच में मदद की जा रही है। रेलवे बोर्ड की सदस्य (आपरेशंस एंड बिजनेस डेवलपमेंट) जया वर्मा सिन्हा ने रविवार को यहां स्पष्ट किया कि इस हादसे को तीन ट्रेनों की भिड़ंत कहना गलत है। सिर्फ कोरोमंडल एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हुई, जिसकी चपेट में लूप लाइन में खड़ी मालगाड़ी और वहां से चेन्नई की तरफ से आ रही यशवंतपुर एक्सप्रेस के पीछे के दो डिब्बे आ गए।
स्वीकृत गति से कम स्पीड पर चल रही थी दोनों ट्रेन
उन्होंने दावा किया कि मालगाड़ी में आयरन ओर भरा था। इसलिए अधिक वजन के कारण मालगाड़ी पर कोई असर नहीं पड़ा और सारा प्रभाव कोरोमंडल एक्सप्रेस पर आया। ओवरस्पीडिंग यानी ट्रेनों की गति अधिक होने की बात को उन्होंने खारिज किया। उन्होंने कहा कि उस ट्रैक पर स्वीकृत गति 130 किलोमीटर प्रतिघंटा है, जबकि कोरोमंडल 128 और यशवंतपुर एक्सप्रेस 126 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चल रही थी।
हादसे के कारण पर क्या बोले रेलवे बोर्ड के सदस्य?
हादसे के कारण पर रेलवे बोर्ड सदस्य ने कहा कि सीआरएस द्वारा कारणों की जांच की जा रही है। डिजिटल रिकार्ड, लोको लाग आदि को सीज कर लिया गया है। कारण को स्पष्ट तरीके से जांच पूरी होने के बाद ही बताया जा सकता है। हालांकि, प्राथमिक तौर पर यही सामने आ रहा है कि सिग्नल में गड़बड़ी के कारण ऐसा हुआ होगा।
इलेक्ट्रनिक इंटरलाकिंग की विश्वनीयता पर भी दिया जवाब
ट्रेनों को मेन लाइन या लूप लाइन पर डालने वाले सिस्टम इलेक्ट्रनिक इंटरलाकिंग की विश्वनीयता पर प्रश्न उठाए जाने पर रेलवे के प्रमुख कार्यकारी निदेशक सिग्नलिंग संदीप माथुर ने कहा कि यह फेल सेफ सिस्टम है। यदि सिस्टम फेल होता है तो सारे सिग्नल लाल हो जाएंगे तो ट्रेनों को जहां के तहां रोक दिया जाता है।
चालक को मिला था ग्रीन सिग्नल
सदस्य जया वर्मा सिन्हा ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में यही आशंका मानी जा सकती है कि कहीं कोई केबिल कट गई हो, शार्ट सर्किट हो गया हो या मौसम का प्रभाव हो। हालांकि, इस मामले में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। उन्होंने बताया कि कोरोमंडल एक्सप्रेस के चालक ने होश में रहते बताया कि उन्हें सिग्नल ग्रीन मिला था।
कोरोमंडल की चपेट में आए यशवंतपुर एक्सप्रेस के दो डिब्बे
यशवंतपुर एक्सप्रेस के टीटीई के मुताबिक उनकी ट्रेन लगभग पार कर गई थी, सिर्फ पीछे के दो डिब्बे कोरोमंडल की चपेट में आ गए। वह डिरेल होकर बिखर गए। वहीं, मालगाड़ी खड़ी थी। चालक और गार्ड निरीक्षण कर रहे थे। तभी कोरोमंडल का इंजन उस गार्ड कोच को ही रौंदते हुए निकल गया।
कवच पर गर्व, दुनिया की कोई तकनीक नहीं टाल पाती ये हादसा
ट्र्रेनों को सीधी टक्कर से बचाने के लिए विकसित किए गए कवच पर भी प्रश्न उठ रहे हैं। इस पर रेलवे बोर्ड सदस्य ने दावा किया कि यह बहुत सुरक्षित प्रणाली है और इस पर हमें गर्व है। साथ ही कहा कि इस हादसे में सिग्नल ग्रीन था, इसलिए कवच होता भी तो रिएक्ट नहीं करता। लगभग सौ मीटर दूरी पर मालगाड़ी थी, इसलिए इतनी जल्दी कवच क्या, दुनिया की कोई भी तकनीक इस हादसे को टाल नहीं सकती थी।