जलवायु परिवर्तन नहीं थमा तो वर्षा क्रम में बड़े पैमाने पर होगा बदलाव : डा. दिव्या शर्मा

भारत एक विकासशील देश है। हर एक प्राकृतिक आपदा देश की अर्थव्यवस्था को कई वर्षों पीछे ले जाएगी। इसके अलावा यदि विकास की रफ्तार को देखें तो अगले 30 वर्ष...और पढ़ें
जागरण न्यू मीडिया में एग्जीक्यूटिव एडिटर के पद पर कार्यरत। दो दशक के करियर में इन्होंने कई प्रतिष्ठित संस्थानों में कार ...और जानिए
भारत में जलवायु परिवर्तन से जुड़ी घटनाओं में सतत बढ़ोतरी हो रही है। इसके प्रतिकूल प्रभाव लगातार देखने में आ रहे हैं। इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं को लेकर क्लाइमेट ग्रुप, भारत की कार्यकारी निदेशक डा. दिव्या शर्मा से बात की।
जलवायु परिवर्तन भारत जैसे कृषिप्रधान एवं प्रकृति पर निर्भर अर्थव्यवस्था वाले देशों के लिए एक बड़ा संकट है । वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक (Global Climate Risk Index) के अनुसार, 2019 में भारत सातवें सबसे संवेदनशील देशों में से एक था। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा 2020 में भारत पर जलवायु परिवर्तन के आकलन पर एक रिपोर्ट जारी हुई थी, जिसमें ये स्पष्ट विज्ञान बताया गया है कि अगर जलवायु परिवर्तन का रुख थमा नहीं तो देश में वर्षाक्रम में बड़े पैमाने पर बदलाव, तापमान में वृद्धि, समुद्र के स्तर में वृद्धि, हिमनदों का पिघलना, कृषि और खाद्य सुरक्षा पर संकट देखा जायेगा ।
वास्तव में हम प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति और तीव्रता में इन प्रभावों का अनुभव कर ही रहे हैं, जैसे कि इस वर्ष के गर्मी के महीनों में लंबी और तीव्र ताप की लहर। इसके अलावा, भारत की धरती कई सारी हिमनदियों से सिंचित होती है। जलवायु परिवर्तन इन नदियों के अस्तित्व को जोखिम में डाल रहा है एवं इससे जल की उपलब्धता पर संकट पड़ रहा है। इसके अलावा, समुद्र स्तर में वृद्धि, चक्रवातों की तीव्रता तथा आवृत्ति में वृद्धि, तथा लंबे समय तक सूखे का सामना , ये सभी दुष्प्रभावों की पुनरावृत्ति बढ़ेगी।
भारत के सामने कुछ कठिन प्रश्न हैं । भारत एक विकासशील देश है। हर एक प्राकृतिक आपदा देश की अर्थव्यवस्था को कई वर्षों पीछे ले जाएगी। इसके अलावा यदि विकास की रफ्तार को देखें तो, अगले 30 वर्षों में देश की ऊर्जा आवश्यकता वैश्विक औसत से 1.5 गुना तक बढ़ जाएंगी। ऊर्जा आवश्यकता को जीवाश्म ईंधन से अब और नहीं पूरा किया जा सकता है क्योंकि वह जलवायु परिवर्तन का कारण हैं। पर इससे भी आवश्यक प्रश्न ये है कि ये विकास यदि हरित विकास नहीं होगा तो न केवल हम ग्रीन हाउस गैसेस को पर्यावरण में उत्सर्जित करेंगे अपितु अनियंत्रित विकास के दुष्परिणाम स्वरूप हम अपनी समृद्ध जैव विविधता को भी खो देंगे।

अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट के चलते असहनीय होगी गर्मी, बच्चों और बुजुर्गों के लिए बढ़ेगा खतरा


दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर 'बेहद खराब' श्रेणी तक पहुंचा, अगले कुछ दिन नहीं मिलेगी राहत


बढ़ती गर्मी और प्रदूषण से हवा मे बढ़ रहा ओजोन का स्तर, वैज्ञानिकों ने जताई चिंता

सब्सक्रिप्शन प्लान के ज़रिये जागरण PRIME का हिस्सा बनें और प्रीमियम अनुभव पाएं
गहन रिसर्च, विशेषज्ञों से बातचीत और विश्लेषण पर आधारित कंटेंट

प्रीमियम ऑफ़लाइन इवेंट्स,और मेंबर्स-ओनली कॉन्फ्रेंस के लिए विशेष निमंत्रण पाएं

रोज़ाना पाइए जागरण अख़बार का ई-पेपर

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।