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    'नाबालिग का हाथ पकड़ना और प्यार का इजहार करना 'यौन मंशा' नहीं', बॉम्बे HC ने दी आरोपी को अग्रिम जमानत

    By AgencyEdited By: Nidhi Avinash
    Updated: Tue, 28 Feb 2023 09:09 AM (IST)

    Bombay High Court बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने कहा कि नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ना कोई यौन मंशा का संकेत नहीं देता है। कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए आरोपी को अग्रिम जमानत भी दे दी है।

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    'नाबालिग का हाथ पकड़ना और प्यार का इजहार करना 'यौन मंशा' नहीं

    मुंबई, एजेंसी। Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने कहा कि नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ना कोई 'यौन मंशा' का संकेत नहीं देता है। कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए आरोपी को अग्रिम जमानत भी दे दी है। बता दें कि पीड़िता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि शख्स ने उसका हाथ पकड़ा और उससे छेड़छाड़ की थी।

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    छेड़छाड़ का लगाया था आरोप

    न्यायमूर्ति भारती डांगरे ने 10 फरवरी को आरोपी ऑटोरिक्शा चालक की गिरफ्तारी पूर्व जमानत याचिका मंजूर कर ली है। विस्तृत आदेश 13 फरवरी को उपलब्ध कराया गया है। 17 वर्षीय पीड़िता के पिता ने आरोपी के खिलाफ यवतमाल के एक पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने आरोपी ऑटोरिक्शा चालक पर छेड़छाड़ के लिए भारतीय दंड संहिता के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया था।

    पीड़िता का करता था पीछा

    शिकायतकर्ता के अनुसार, कॉलेज और ट्यूशन जाने के लिए उसकी बेटी ने कुछ समय के लिए आरोपी के ऑटोरिक्शा से आना-जाना किया था। लेकिन जब उसने उसके ऑटोरिक्शा से जाना बंद कर दिया, तो आरोपी ने इसका कड़ा विरोध किया और पीड़िता का पीछा करना शुरू कर दिया।

    शिकायत में कहा गया है कि 1 नवंबर, 2022 को आरोपी ने मोटरसाइकिल पर बैठने के लिए पीड़िता को कहा लेकिन जब लड़की ने मना कर दिया तो आरोपी ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे प्रपोज भी किया। शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया कि आरोपी उसे घर छोड़ना चाहता था, लेकिन लड़की ने इसका विरोध किया और मौके से भाग गई।

    यौन इरादे से नहीं पकड़ा हाथ

    अदालत ने अपने आदेश में कहा, 'लगाए गए आरोपों से, यह देखा जा सकता है कि, ये कोई यौन उत्पीड़न का कोई मामला नहीं है क्योंकि आवेदक ने किसी यौन इरादे से उसका हाथ नहीं पकड़ा था।

    अदालत ने कहा कि आरोपी ने केवल अपनी पसंद व्यक्त की और लड़की के बयान से ये कोई यौन इरादा नहीं लगता है। इसलिए प्रथम दृष्टया, आरोपी गिरफ्तारी से सुरक्षा का हकदार है। अदालत ने आरोपी को चेतावनी दी कि वह ऐसा दोबारा नहीं करेगा और अगर उसने ऐसा किया तो उसे दी गई सुरक्षा वापस ले ली जाएगी।