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    Maharashtra: महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष ने की सीमा विवाद के समाधान की मांग

    By AgencyEdited By: Shashank Mishra
    Updated: Tue, 28 Feb 2023 06:09 AM (IST)

    महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा का मुद्दा 1957 में भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद का है। महाराष्ट्र ने कर्नाटक के बेलगावी जिले पर अपना दावा किया था जो तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा था क्योंकि यहां मराठी भाषी आबादी अच्छी खासी है।

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    विपक्षी सदस्यों ने राज्य में सत्तारूढ़ एकनाथ शिंदे-भारतीय जनता पार्टी की सरकार को "ईडी" सरकार कहा।

    मुंबई, पीटीआई। महाराष्ट्र विधानमंडल के बजट सत्र के पहले दिन सोमवार को विपक्षी सदस्यों ने किसानों को खाद्यान्न का उचित मूल्य देने, कर्नाटक के साथ सीमा विवाद के समाधान और ऐतिहासिक शख्सियतों के सम्मान की मांग की। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), कांग्रेस, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट और अन्य दलों के विधायक विधान भवन की सीढ़ियों पर एकत्र हुए और अपनी मांगों को रखने के लिए नारे लगाए।

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    विपक्ष ने सत्तारूढ़ पार्टी की सरकार को ईडी सरकार कहा

    एक विधायक ने कहा, "राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य में ऐतिहासिक शख्सियतों का सम्मान हो। सरकार को खाद्यान्न के उचित मूल्य सुनिश्चित करने के साथ-साथ लंबित महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा मुद्दे को हल करने की योजना के साथ आने की जरूरत है।" विपक्षी सदस्यों ने राज्य में सत्तारूढ़ एकनाथ शिंदे-भारतीय जनता पार्टी की सरकार को "ईडी" सरकार भी कहा।

    बता दें पिछले साल नवंबर में एक विवाद खड़ा हो गया था जब महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा था कि योद्धा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज 'पुराने समय के प्रतीक' थे और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर से लेकर नितिन गडकरी जैसे व्यक्तित्व राज्य के आधुनिक प्रतीक थे।

    भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद हुआ विवाद

    महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा का मुद्दा 1957 में भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद का है। महाराष्ट्र ने कर्नाटक के बेलगावी जिले पर अपना दावा किया था, जो तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा था, क्योंकि यहां मराठी भाषी आबादी अच्छी खासी है।

    इसने 814 मराठी भाषी गांवों पर भी दावा किया जो वर्तमान में दक्षिणी राज्य का हिस्सा हैं। कर्नाटक, हालांकि, राज्य पुनर्गठन अधिनियम और 1967 महाजन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भाषाई आधार पर किए गए सीमांकन को अंतिम मानता है।