कश्मीर घाटी के सेब उत्पादकों के लिए एक और नई चुनौती, मौसम विभाग की चेतावनी ने बढ़ाई चिंता
कश्मीर में मौसम विभाग ने 5 से 7 अक्तूबर तक पश्चिमी विक्षोभ के कारण भारी बर्फबारी और बारिश की चेतावनी दी है। इससे सेब उत्पादकों की चिंता बढ़ गई है जो पहले से ही नुकसान झेल रहे हैं। किसान अपनी फसल को बचाने के लिए तेजी से कटाई कर रहे हैं।

जागरण संवाददाता, श्रीनगर। मौसम विभाग ने 5 से 7 अक्तूबर तक घाटी में पश्चमी विक्षोभ के प्रभाव के चलते घाटी में मौसम के मिजाज फिर से बिगड़ने तथा इस बीच ऊपरी इलाकों में सामान्य से भारी बर्फबारी तथा निचले इलाकों में बारिश की संभावना जताई है।
इस चेतावनी ने घाटी के सेब उत्पादकों को चिंतित कर दिया है, जो पहले से ही इस सीज़न में भारी नुकसान से जूझ रहे हैं। जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग के लंबे समय तक बंद रहने के कारण उनका माल देश की अन्य मंडियों तक नहीं पहुंच पाया था, जिससे उन्हें भारी नुकसान हुआ था।
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कटाई का काम तेज
मौसम विभाग की चेतावनी के बाद, सेब उत्पादकों ने अपने फलों को तेजी से तोड़ना शुरू कर दिया है, ताकि वे प्रतिकूल मौसम आने से पहले अपनी फसल को सुरक्षित कर सकें। शोपियां, कुलगाम, पुलवामा और अनंतनाग जिलों के ऊपरी इलाकों में किसानों ने बेमौसम बारिश से भारी नुकसान की आशंका के चलते सेब तोड़ने का काम तेज़ कर दिया है।
किसानों की समस्या
किसानों को डर है कि अगर मौसम विभाग की चेतावनी सच साबित होती है, तो उनकी फसल को भारी नुकसान हो सकता है। पुलवामा के एक सेब उत्पादक गुलाम हसन ने कहा, "2018 की तरह समय से पहले हुई बर्फबारी हमारी मुश्किलें और बढ़ा सकती है।" शोपियां स्थित मेगा फ्रूट मंडी के अध्यक्ष मोहम्मद अशरफ वानी ने बताया कि दक्षिण कश्मीर के ऊपरी इलाकों में लगभग 60 से 70 प्रतिशत सेब की फसल अभी भी पेड़ों पर ही है।
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अतिरिक्त मजदूर लगाने पर मजबूर कर दिया
उन्होंने कहा, मौसम के पूर्वानुमान ने किसानों को जल्द से जल्द सेब की कटाई के लिए अतिरिक्त मजदूर लगाने पर मजबूर कर दिया है। जिले के चेक सैदपुरा के एक सेब उत्पादक इद्रीस ने बताया कि उन्होंने दो दिन पहले ही सेब की कटाई शुरू की है, लेकिन अभी भी ज़्यादातर फसल नहीं काटी जा सकी है। उन्होंने कहा, हमने बारिश और बर्फबारी से पहले सेब लाने के लिए अतिरिक्त मजदूर लगा दिए हैं।
मौसम विभाग की सलाह
मौसम विभाग की सलाह में कहा गया है, "दक्षिणी कश्मीर के क्षेत्र एक पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव में है, जिससे अनंतनाग, कुलगाम, शोपियां, ज़ोजिला दर्रा, पीर की गली, राजदान दर्रा, सिंथन दर्रा और कुपवाड़ा-साधना दर्रा सहित ऊचाई वाले इलाकों में मध्यम से भारी बर्फबारी होने की संभावना है।"
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जबकि घाटी के मैदानी इलाकों में हल्की से भारी बारिश हो सकती है। जम्मू में अलग-अलग जगहों पर भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है, साथ ही गरज के साथ बौछारें, बिजली गिर सकती है और 40-50 किमी/घंटा की तेज़ हवाएं चल सकती हैं, जो 60-70 किमी/घंटा तक पहुंच सकती हैं।
बीस दिनों तक बंद रहा हाईवे
यहां पर यह बताना असंगत नही होगा कि इस महीने के आरम्भ में घाटी में खराब मौसमी परिसिथितियों के चलते श्रीनगर-जम्मू हाइवे के लगभग 20 दिनों तक बंद रहने के चलते घाटी के फल उत्पादक अपना माल देश की अन्य मंडियों तक नही पहुंचा सके और मार्ग के विभिन्न हिस्सों में फंसी ट्रकों में उनका माल सड़ गल गया। वहीं घाटी की मंडियों के साथ साथ उप्तापदों का माल उनके बाग बगीचों में ही पड़ा रह गया।
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1200 करोड़ से अधिक रुपयों का हुआ नुकसान
कुल मिलाकर बागबानी क्षेत्र को 1200 करोड़ से अधिक रुपयों का नुकसान हुआ। हालांकि फल उत्पादकों की दयनीय हालत को देख और बागबानी क्षेत्र को और अधिक नुकसान से बचाने के लिए प्रशासन ने पार्सल ट्रेन सेवा भी शुरू कर दी जिसके माध्यम से घाटी के फल देश की अन्य मंडियों तक पहुंचाए गए अलबत्ता इसके बावजूद भी इस क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचा जिसकी भरपाई बकौल हित्धारकों के बसरों तक भी नही हो सकती।
प्रशासन की तैयारी
प्रशासन ने भी मौसम विभाग की चेतावनी के बाद तैयारी शुरू कर दी है। प्रशासन ने किसानों से अपनी फसल को सुरक्षित करने के लिए कहा है और आवश्यक कदम उठाने का आश्वासन दिया है।
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