कश्मीर सीमेंट उद्योग में बड़ा बदलाव, मालगाड़ी सेवा के बाद कीमतें टूटी, राष्ट्रीय ब्रांडों की बिक्री भी बढ़ी
श्रीनगर में मालगाड़ी सेवा शुरू होने से सीमेंट की कीमतों में भारी गिरावट आई है जिससे उपभोक्ताओं को काफी फायदा हो रहा है। राष्ट्रीय ब्रांड अब स्थानीय ब्रांडों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं जिससे बाजार में बदलाव आया है। माल ढुलाई की लागत कम होने से सीमेंट 30-35 रुपये प्रति बैग सस्ता हुआ है। इससे स्थानीय निर्माताओं को परेशानी हो रही है।

जागरण संवाददाता, श्रीनगर। घाटी तक मालगाड़ी सेवा शुरू होने के दो महीने बाद ही घाटी में सीमेंट तेज़ी से सस्ते में और ज़्यादा मात्रा में पहुंच रहा है।
सीमेंट की कीमतों में 30 से 35 रुपये प्रति बैग की गिरावट आई है जबकि राष्ट्रीय ब्रांड अब स्थानीय उत्पादकों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। जिससे उपभोक्ताओं को बड़ी बचत हो रही है और घाटी के निर्माण बाजार का स्वरूप बदल रहा है।
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माल ढुलाई की लागत में भारी कमी
आपको बता दें कि 9 अगस्त को पीर पंजाल पर्वत श्रृंखलाओं को पार करके घाटी पहुंंचने वाली इस ट्रेन सेवा ने माल ढुलाई की लागत में भारी कमी की है और अंबुजा तथा अल्ट्राटेक जैसे राष्ट्रीय ब्रांडों को पहली बार स्थानीय निर्माताओं के साथ सीधे प्रतिस्पर्धा करने का अवसर दिया है।
कई वर्षों तक घाटी के सीमेंट उद्योग पर नौ स्थानीय उत्पादकों का दबदबा रहा, जो कम कीमतों और रसद संबंधी लाभों के कारण फल-फूल रहे थे। लेकिन नई मालगाड़ी सेवा ने परिवहन लागत इतनी कम कर दी है कि राष्ट्रीय ब्रांड अब लगभग घरेलू ब्रांडों के समान ही दरों पर बिक रहे हैं।
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प्रति बैग लगभग 30 से 35 रुपये की बचत
अनंतनाग के दोनीपावा से एमबीए स्नातक 40 वर्षीय वसीम राजा, जिन्होंने 2019 में अनंतनाग में अंबुजा सीमेंट के एक प्रमुख वितरक बनने के लिए एचडीएफसी बैंक की नौकरी छोड़ दी थी, ने कहा कि यह बदलाव परिवर्तनकारी रहा है।
राजा ने कहा, पहले जब हम उधमपुर या होशियारपुर से सीमेंट लाते थे, तो माल ढुलाई की ऊंची लागत के कारण छोटे ग्राहकों को लाभ नहीं मिल पाता था। अब हम सीधे रेलवे स्टेशन से डिलीवरी कर सकते हैं और हर ग्राहक को प्रति बैग लगभग 30 से 35 रुपये की बचत होती है।
माल ढुलाई में लगभग 35 रुपये की कमी आई
9 अगस्त से पहले, अंबुजा सीमेंट की कीमत घर पर 470 से 480 रुपये प्रति बैग के बीच थी। उन्होंने कहा, अब यह 435 से 450 रुपये में बिकता है। माल ढुलाई में लगभग 35 रुपये की कमी आई है और जीएसटी 28 से घटकर 18 प्रतिशत हो गया है।
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उत्तर रेलवे ने 7 अगस्त को अनंतनाग स्टेशन को माल डिपो घोषित किया। तब से, लगभग 9.5 लाख सीमेंट बैग ट्रेन से आ चुके हैं लगभग 7 लाख अंबुजा से 2 लाख अल्ट्राटेक से और बाकी श्री सीमेंट से। अनंतनाग में अंबुजा के एक अन्य वितरक रमीज अहमद ने कहा कि कीमतों में गिरावट से माँग में तेज़ी आई है।
हमारी बिक्री दोगुनी हो गई
दो महीने पहले, उधमपुर में 433 रुपये का सीमेंट का एक बैग सड़क परिवहन के बाद कश्मीर पहुंचकर 510 रुपये में मिलता था। अब, वही बैग ट्रेन से लगभग 400 रुपये में पहुंचता है।
व्यापारियों का कहना है कि प्रति सीमेंट बैग माल ढुलाई लागत सड़क मार्ग से 55 रुपये से 90 रुपये से घटकर रेल मार्ग से केवल 10 रुपये से 25 रुपये रह गई है। नतीजतन, राष्ट्रीय ब्रांड का सीमेंट, जो कभी 480 से 530 रुपये में बिकता था, अब 410 से 440 रुपये में बिक रहा है जो लगभग स्थानीय ब्रांडों के बराबर है। रमीज ने कहा, इससे हमारी बिक्री दोगुनी हो गई है। लोग अब बाहरी ब्रांडों को पसंद करते हैं।
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बदलाव से स्थानीय निर्माता परेशान
इस बदलाव ने स्थानीय निर्माताओं को परेशान कर दिया है, जो अपनी बाजार हिस्सेदारी बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। एक व्यापारी ने कहा, पहले, स्थानीय ब्रांडों को कीमत में बढ़त मिलती थी लेकिन अब हम लगभग बराबरी पर हैं। उपभोक्ताओं के लिए, यह अंतर काफी बड़ा है।
स्थानीय निवासी अहमद नसीर ने कहा, मैं बिजबिहारा में अपना घर बना रहा हूं और लागत में बहुत अंतर है। पहले मुझे लगभग 480 रुपये प्रति बोरी स्थानीय सीमेंट खरीदना पड़ता था, लेकिन अब मैं लगभग 430 रुपये में अंबुजा सीमेंट खरीदता हूं। इससे मुझे हज़ारों रुपये की बचत हो रही है।
घाटी में लगभग 50,000 लोग सीमेंट उद्योग पर निर्भर
नवीनतम आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, निर्माण क्षेत्र जम्मू-कश्मीर के सकल राज्य मूल्य वर्धन में 42.46 प्रतिशत का योगदान देता है और लगभग 15 प्रतिशत कार्यबल को रोजगार देता है।
घाटी में लगभग 50,000 लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सीमेंट उद्योग पर निर्भर हैं। यहां नौ चालू सीमेंट संयंत्र - जिनमें से अधिकांश पुलवामा ज़िले में हैं - प्रतिदिन लगभग 600 ट्रक सीमेंट भेजते हैं, जो लगभग 5000 टन है।
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राजमार्ग बंद न होता तो बिक्री और भी ज़्यादा होती
सस्ते माल ढुलाई और सीधी रेल कनेक्टिविटी के साथ, उद्योग के जानकारों का कहना है कि शक्ति संतुलन राष्ट्रीय ब्रांडों की ओर बढ़ रहा है। अहद ने कहा, अगर श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग बंद न होता तो बिक्री और भी ज़्यादा होती। दो महीने में, घाटी जाने वाली मालगाड़ी ने न केवल दूरी कम कर दी है, बल्कि घाटी के सबसे बड़े उद्योगों में से एक को उपभोक्ताओं के स्पष्ट लाभ के लिए नया रूप भी दिया है।
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