कश्मीर में तनाव की नई लहर, लद्दाख के बहाने कहीं घाटी को सुलगाने का षड्यंत्र तो नहीं?
शांत लद्दाख में अशांति के बाद कश्मीर में तनाव बढ़ने की आशंका है। कश्मीर के मुख्यधारा के राजनीतिक दल जो पहले अलगाववादी एजेंडे का समर्थन करते थे अब राज्य के दर्जे की बहाली की मांग कर रहे हैं और दिल्ली पर विश्वासघात का आरोप लगा रहे हैं। वे लद्दाख की तरह कश्मीर में भी विरोध प्रदर्शनों की चेतावनी दे रहे हैं जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो सकती है।

नवीन नवाज, जागरण, श्रीनगर। शांत लद्दाख अशांत क्या हुआ, कश्मीर में बहाल होती सामान्य स्थिति को फिर से तनावपूर्ण बनाने और लोगों को भड़काने की कोशिश शुरु हो गई है इस बार यह कोशिश किसी अलगाववादी संगठन या पाकिस्तान की तरफ से नहीं हो रही है, बल्कि कश्मीर में मुख्यधारा की राजनीति करने वाले उन्हीं राजनीतिक दलों की तरफ से हो रही है, जो परोक्ष रूप से कहीं न कहीं अलगाववादी एजेंडे के सहारे कश्मीरियों को अपना सियासी गुलाम बनाए रखे हुए हैं।
यह राज्य के दर्जे की बहाली की मांग पर जोर देते हुए दिल्ली पर विश्वासघात का आरोप लगाते हुए घाटी में भी लद्दाख की तरह कभी भी लाेगों के सड़क पर उतरने की चेतावनी दे रहे हैं।
लद्दाख में राज्य के दर्जे और छठी अनुसूची के मुद्दे पर गत सप्ताह हिंसा भड़की थी। इसमें चार लोगों की मौत हो गई और 90 से ज्यादा जख्मी हुए हैं। लेह में स्थिति पर काबू पाने के लिए प्रशासन द्वारा लगाया गया कफ्र्य आज लगातार पांचवे दिन भी जारी रहा। अलबत्ता,इस दौरान वहां कुछ समय के लिए कफ्र्य में राहत जरुर दी गई।
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जम्मू-कश्मीर की सियासत लद्दाख हिंसा के बाद तेज
लेह हिंसा को लेकर पूरे जम्मू कश्मीर की सियासत तेज हो गई है। नेशनल कान्फ्रेंस, पीपुल्स कान्फ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, अवामी इत्तिहाद पार्टी के साथ साथ केंद्र सरकार की समर्थक माने जाने वाली जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी भी कहने लगी है केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर में ही नहीं लद्दाख में भी लोगो को विश्वास जीतने में विफल रही है।
पांच अगस्त 2019 को उसका फैसला अब गलत साबित हो चुका है। इनके मुताबिक, पांच अगस्त 2019 को लद्दाख का केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला,जिसका वहां लोगों ने जश्न मनाया था और उन्हें पता चल गया कि अब उनके साथ क्या हो रहा है। जम्मू कश्मीर की जनता से विशेष दर्जा भी लिया गया और राज्य का दर्जा भी, बदले में क्या मिला, कुछ नहीं।
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जम्मू-कश्मीर के लोगों से ज्यादा हुआ विश्वासघात
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री और सत्ताधारी नेशनल कान्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने लेह हिंसा पर कहा कि लद्दाखियों से ज्यादा विश्वासघात तो जम्मू कश्मीर के साथ हुआ है। जम्मू कश्मीर की जनता के साथ राज्य के दर्जे का वादा किया गया था जो आज तक पूरा नहीं हुआहै। यहां लोग अपनी बात कह रहे हैं लेकिन लोकतांत्रिक तरीके से। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के अनुसार, लद्दाख में जो हुआ, वह कश्मीर में भी हो सकता है, क्यों लोगों में यहां भी गुस्सा और आक्रोष पैदा हो रहा है।
वर्ष 2019 के बाद कुछ भी नहीं बदला
वर्ष 2019 के बाद कुछ भी नहीं बदला है। जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के चेयरमैन सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी ने कहा कि लोग कब तक इंतजार करेंगे, सब्र भी एक दिन टूट जाता है। केंद्र सरकार को जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा देना चाहिए।
पीपुल्स कान्फ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन ने कहा कि केंद्र सरकार को लेह के हालात से सबक लेना चाहिए, वह कश्मीरियों के सब्र का इम्तिहान न ले। उन्होंने जम्मू को भी चेतावनी देते हुए कहा कि वह कश्मीर के कारण ही हैं,अगर वह कश्ीमर से अलग हुए तो कहीं के नहीं रहाेगे।
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कश्मीर नेताओं का बयान विमुख्ता का भाव पैदा करेगा
कश्मीर मामलों के जानकार डॉ अजय चिरंगु ने कहा कि लेह में जो हुआ है, उसके बाद जिस तरह से कश्मीर के नेताओं ने बयान दिए हैं, आप उन्हें ध्यान से देखें।
उन्होंने कश्मीर में ही नहीं पूरी दुनिया में यही संदेश दिया है कि लद्दाखियों के साथ विश्वासघात हुआ है, आज लद्दाखी खुद को खतरे में महसूस कर रहे हैं। उनका यह कथन आम कश्मीरियों में भी विमुख्ता का भाव पैदा करेगा।
अलगाववादियों के एजेंडे को भी कहीं न कहीं हवा देगा। वह केंद्र को निशाना बनाने की आड़ मे, लेह के हालात का फायदा उठाकर कश्मीर में बहाल होती सामान्य स्थिति में तनाव पैदा करने के साथ ही जनक्रोष को हवा दे रहे हैं।
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कश्मीर की सियासत तेज
सैयद अमजद शाह ने कहा कि लेह में हिसां और जुलूस के वीडियो कश्मीर में इंटरनेट मीडिया पर खूब वायरल हुए हैं। कश्मीर के नेताओं के जो बयान आ रहे हैं, वह भी कई सवाल पैदा कर रहे हैं। आम कश्मीरी बेशक बोल नहीं रहा है, लेकिन वह सब देख रहा है। अगर कोई यह कहे कि उसकी प्रतिक्रिया क्यों नहीं है तो आप कह सकते हैं कि उसने हिंसा और हिंसक प्रदश्रनों का एक लंबा दौर झेला है, वह उससे थका हुआ है।
इसलिए किसी भी तरह की भड़काऊ बयानबाजी कभी भी उसे भड़का सकती है, सामान्य हाेते हालात बिगाउ़ सकती है और यह बात राजनीतिकों से ज्यादा काई नहीं समझता। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र लद्दाख के आगे झ़ुकता है तो उसका असर कश्मीर में होगा और यहां जो मांग अभी राज्य के दर्जे तक सीमित है, वह उससे आगे बढ़ जाएगी।
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