जम्मू-कश्मीर में अब इंसान को अपने सबसे वफादार साथी से ही लग रहा डर, लगातार बढ़ रही हैं कुत्तों के हमलों की संख्या
जम्मू-कश्मीर में कुत्तों के काटने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार हर साल हजारों लोग कुत्तों का शिकार हो रहे हैं जिनमें से कुछ रैबीज के कारण अपनी जान भी गंवा रहे हैं। बीते ढाई वर्षों में 18 लोगों की रैबीज से मौत हुई है। डॉक्टरों का कहना है कि समय पर इलाज न कराने से खतरा बढ़ जाता है।

रोहित जंडियाल, जागरण, जम्मू। कुत्ते को इंसान का सबसे वफादार साथी माना जाता है लेकिन जम्मू-कश्मीर में लोगों को अब अपने ही सबसे अधिक वफादार साथी से डर लग रहा है।
कारण लगातार खुंखार होते जा रहे कुत्तों के काटने के मामले हर महीने और हर वर्ष बढ़ते जा रहे हैं। आवारा कुत्तों के कांटने के मामले ही अधिक आते हैं। हालत यह हो गई है कि इन हमलों को नजरअंदाज करने वाले रैबीज से पीड़ित होकर हर वर्ष जान भी गंवा रहे हैं।
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार जम्मू-कश्मीर में हर वर्ष कुत्तों के काटने के मामले बढ़ रहे हैं। दो वर्ष पहले 2023 में जम्मू-कश्मीर के विभिन्न अस्पतालों में कुत्तों के काटने के 34,464 मामले दर्ज हुए थे। हर महीने औसतन तीन हजार के करीब मामले अस्पतालों में आते थे।
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एक वर्ष में 51027 मामले अस्पतालों में हुए दर्ज
रियासी जिला सबसे कम प्रभावित था और जम्मू जिला सबसे अधिक प्रभावित था। वर्ष 2024 में यह आंकड़ा पचास हजार को भी पार कर गया। एक वर्ष में ही 51027 मामले अस्पतालों में दर्ज हुए। सिर्फ जम्मू जिले में ही एक तिहाई अर्थात 17,434 मामले दर्ज हुए।
हर महीने औसतन 4 हजार मामले हो रहे दर्ज
अस्पतालों में हर महीने औसतन चार हजार मामले दर्ज हुए। इस वर्ष स्थिति और खराब है। वर्ष के पहले सात महीनों में ही 37,762 मामले दर्ज हो चुके हैं। जम्मू जिले में 13,440 मामले दर्ज हुए हैं। हर महीने अब औसतन पांच हजार लोगों को कुत्ते अपना शिकार बना रहे हैं।
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डाक्टरों का कहना है कि यह आंकड़े चिंताजनक हैं। जीएमसी जम्मू में कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग के एचओडी डा. राजीव कुमार का कहना है कि अधिकांश मामले आवारा कुत्तों के काटने के ही होते हैं।
ढाई वर्ष में रैबीज के कारण 18 लोगों की मौत
कुत्तों के काटने के बाद अधिकांश लोग अस्पतालों में आ जाते हैं लेकिन कुछ झाड फूंक में विश्वास रखते हैं। यही कारण है कि कई लोगों की रैबीज के कारण मौत हो जाती है। आंकड़ों के अनुसार बीते ढाई वर्ष में जम्मू-कश्मीर के विभिन्न जिलों में 18 लोगों की रैबीज के कारण मौत हो चुकी है।
जम्मू और बडगाम जिलों में सबसे अधििक तीन-तीन मौतें हुई। वहीं रामबन जिले में दो लोगों की रैबीज के कारण मौत हुई। रियासी में सबसे कम मामले दर्ज होने के बावजूद दो लोगों की मौत हुई। इसके अतिरिक्त उधमपुर में एक, बारामुला में दो, डोडा में एक, कुपवाड़ा में एक, पुलवामा में एक, सांबा में दो लोगों की मौत हुई। डाक्टरों का कहना है कि समय पर इलाज न करवा पाने के कारण ही लोगों की मौत हुई।
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एक हजार लोगों पर 23 कुत्ते
जम्मू: मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के 2019 के आंकड़ों के अनुसार जम्मू-कश्मीर में प्रति 1000 लोगों पर 22.9 कुत्ते हैं। ओडिशा में 1000 लोगों पर 39.7 कुत्ते हैं और यह पहले स्थान पर है। जम्मू-कश्मीर दूसरे स्थान पर है। यही कारण है कि जम्मू-कश्मीर में कुत्तों के काटने के मामले भी अधिक हैं।
सुबह और शाम को खुंखार होते हैं कुत्ते
जम्मू-कश्मीर में कुत्तों के काटने के मामले अधिकांश सुबह और शाम के समय दर्ज होते हैं। सुबह और देर शाम को जब सड़कों पर कुत्तों का कहर होता है तो हर कोई सहम जाता है। किसी भी संबंधित विभाग का कोई कर्मचारी उस समय नजर नहीं आता।
वे सुबह 10 बजे से लेकर शाम को चार बजे तक की ड्यूटी देकर घरों में होते हैं। अस्पतालों का रिकार्ड कहता है कि 80 प्रतिशत कुत्तों के काटने के मामले सुबह व शाम के समय आते हैं। जम्मू जिला सबसे अधिक प्रभावित है। इसके शहरी क्षेत्रों में सबसे अधिक मामले आते हैं। पुराने शहर के अतिरिक्त छन्नी हिम्मत, गांधीनगर जैसे क्षेत्रों में कुत्ते सबसे अधिक खुंखार हैं।
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समय पर करवाएं इलाज
जीएमसी जम्मू में कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग के एचओडी डा. राजीव कुमार का कहना है कि अगर किसी को कोई भी कुत्ता काटता है तो उसे झाड़-फूंक नहीं पड़ना चाहिए। पीड़ित को तुरंत अस्पताल में जाकर एंटी रैबीज वैक्सीन लगावानी चाहिए। समय पर इलाज करवाने से पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
अगर घर में कुत्ते को वजीएमसी में जानवरों के काटने के जितने मामले आते हैं, उनमें अधिकांश कुत्तों के काटने के ही होते हैं। उनका कहना है कि बहुत से लोग कई बार खरोंच देखकर उनकी उपेक्षा कर देते हैं लेकिन इलाज करवाने की जरूरत है। अगर घर में रखे कुत्ते को वैक्सीन दी है तो भी अगर वे काटता है तो इलाज करवाना चाहिए।
जम्मू-कश्मीर में किसी भी जगह पर कुत्ते के काटने का मामला अब रिकार्ड में होता है। अगर किसी को कुत्ता काटता है और वह 24 घंटे के भीतर वैक्सीन और सीरम न ले तो उसमें रैबीज की आशंका हो जाती है। रैबीज उन्हीं को होता है जो अपना इलाज नहीं करवाते। अगर रैबीज हो जाए तो मरीज के बचने की संभावना न बराबर रहती है। जानवर के काटने के 10 दिन से लेकर छह महीने तक सबसे अधिक खतरा रहता है। डा. हरजीत राय, एपीडेमालोजिस्ट
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कुत्ता काटे तो क्या करें
अगर कुत्ता काटता है तो जख्म को उसी समय बहते हुए पानी में साबुन से दस मिनट तक साफ करें। इससे 80 प्रतिशत संक्रमण दूर हो जाएगा। 24 घंटों के भीतर अस्पताल में जाएं और डाक्टर की सलाह के अनुसार सीरम या वैक्सीन लें।
जिला वर्ष 2023 2024 2025
जम्मू: 11877 17437 13440
कठुआ 1457 3644 2764
किश्तवाड़ 432 572 350
डोडा 246 864 899
पुंछ: 369 789 339
राजौरी: 1372 2114 1382
रामबन 647 959 406
रियासी 30 421 464
सांबा 852 2257 1671
उधमपुर 1303 3301 2622
कुपवाड़ा 1493 913 418
अनतंनाग 595 1027 917
बडगाम 2300 2971 2336
बांडीपोरा 1378 1474 1090
बारामुला 1982 2911 2133
गांदरबल 944 901 505
कुलगाम 1635 1993 1382
पुलवामा 627 802 847
शोपियां 590 201 211
श्रीनगर: 4535 5526 3586
कुल 34464 51027 37762
मौतें
2023 04
2024 07
2025 07
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