कश्मीर की ताजा बेगम: मात्र 15 हजार रुपये से शुरू किया काम, बन गई मिल्क विलेज की मालकिन
जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा की ताजा बेगम ने मेहनत से अपने गांव की तकदीर बदल दी। 2016 में स्वयं सहायता समूह बनाकर 15 हजार रुपये का ऋण लिया और मुर्गी पालन शुरू किया। बाद में गाय खरीदकर दूध बेचना शुरू किया। गांव में मिल्क कलेक्शन सेंटर खुलने से उन्हें हर दिन 20 हजार रुपये कमीशन मिलने लगा।

रोहित जंडियाल, जागरण, जम्मू। घर में तीन बेटियां और एक बेटा, पति श्रमिक। आय इतनी नहीं कि बच्चों को पढ़ाया जा सके। लेकिन ताजा बेगम ने अपनी मेहनत और साहस से पूरे परिवार का ही नहीं बल्कि गांव की तकदीर भी बदल ली।
मात्र पंद्रह हजार रुपये लोन लेकर काम शुरू करनेे के मात्र दस वर्ष मं ही वह लखपति दीदी बन गई और उसके गांव को भी मिल्क विलेज का नाम दिया गया।
बात 2016 की है जब कुपवाड़ा से दस किलोमीटर दूर तरथपोरा, हमाल में जम्मू-कश्मीर ग्रामीण आजीविका मिशन की टीम पहुंची और उन्होंने वहां की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए जागरूक किया।
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इसका असर यह हुआ कि ताजा बेगम ने महक नाम से स्वयं सहायता समूह बनाया। इसमें सात और महिलाओं को अपने साथ जोड़ा। मिशन की ओर से 15 हजार रुपये ऋण दिया गया।
समूह में शामिल किसी अन्य महिला ने इसका इस्तेमाल नहीं किया। लेकिन ताजा ने इससे मुर्गियां खरीदी और अंड़े बेचना शुरू कर दिया। इससे उसे कमाई होने लगी और उसकी हिम्मत बढ़ गई। इसके बाद उसने चालीस हजार रुपये और ऋण लिया। कुल 70 हजार रुपयों से एक गाय खरीदी। एक गाय उसके पास पहले से ही थी।
हर दिन 500-600 किलो दूध आने लगा
दो गायोंं से मिलने वाले दूध को उसने वर्ष 2017 में बेचना शुरू किया। उसकी मेहनत देख गांव में आटाेमैटिक मिल्क कलेक्शन सेंटर बनाया गया और उसका आपरेटर बना दिया।
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सारे गांव की महिलाओं जिनकी संख्या सौ के करीब है, उन्होंने अपने घरों से गायों का दूध इस सेंटर में देना शुरू कर दिया। सेंटर में हर दिन औसतन 500 से 600 किलोग्राम दूध आना शुरू हो गया।
ताजा बेगम और गांव की महिलाओं की मेहनत रंंग लाई और इस गांव को सरकार ने मिल्क विलेज का दर्जा दे दिया।इस सेंटर से उसे सिर्फ ताजा को हर दिन बीस हजार रुपये कमीशन के तौर पर मिलते हैं।
गांव की अन्य महिलाएं भी आत्मनिर्भर बनी
वहीं गांव की अन्य महिलाएं भी यहां पर दूध बेच अात्मनिर्भर बन गईं। ताजा बेगम को इससे हिम्मत बंधी और उसने अपनी बड़ी बेटी अतीका वानी, अफरोजा, सुमैया और अकरा के साथ मिलकर पाली हाउस भी बनाया।इससे भी उसे हर वर्ष लाखों में आय होने लगी। ताजा बेगम का कहना है कि उसकी मासिक आय एक लाख रुपयों के आसपास है।
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उसका कहना है कि अब उसके पति मोहम्मद शफी भी उसके साथ ही काम करते हैं। गांव की सौ से अधिक महिलाएं भी उसके साथ जुड़ी हुई है।उनका प्रयास है कि गांव की सभी औरतें लखपति दीदी बनें। इसके लिए जम्मू-कश्मीर ग्रामीण आजीविका मिशन और मिल्क फेडरेशन उनकी पूरी सहायता कर रहा।
बच्चों की पढ़ाई करवाई
ताजा की बड़ी बेटी अतीका वानी इतिहास में पीजी कर चुकी हैं। छोटी बेटी आसिया बारहवीं, अक्सा छठी कक्षा और बेटा फिजाज ग्रेजुएशन कर रहा है। अतीका ने बताया कि उनकी पढ़ाई का सारा खर्च उनकी मां ताजा बेगम ही दस वर्ष से उठा रही है। उनकी मां ने जिस प्रकार से गांव की महिलाओं को प्रेरणा दी, उससे उन्हें भी प्रेरणा मिली। उनके साथ काम कर रही अफरोजा का कहना है कि ताजा बेगम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है।
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