अब आयुर्वेद अस्पताल जम्मू में भी गुंजती हैं बच्चों की किलकारियां; लोगों का आयुर्वेद पर बढ़ा विश्वास
जम्मू-कश्मीर में जागरूकता और सुविधाओं के बढ़ने से आयुर्वेद पर लोगों का विश्वास बढ़ा है। पहली बार आयुर्वेदिक अस्पताल में नवजात शिशुओं की किलकारियां गूंज रही हैं। लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों और अन्य रोगों के इलाज के लिए भी मरीज आ रहे हैं। हर दिन औसतन 300 मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। सुप्रजा योजना के तहत गर्भवती महिलाएं प्रसव के लिए आ रही हैं।

रोहित जंडियाल, जागरण, जम्मू। लगातार चलाए जा रहे जागरूकता अभियान व सुविधाओं में बढ़ोतरी से लोगों का विश्वास अब जम्मू-कश्मीर में आयुर्वेद पर बढ़ रहा है।
आलम यह है कि पहली बार अब आयुर्वेद अस्पताल में भी नवजात बच्चों की किलकारियां सुनने को मिल रही हैं। वहीं लाइफ स्टाइल बीमारियों से लेकर अन्य कई प्रकार के रोगों का उपचार करवाने के लिए भी मरीज यहां पर लगातार आ रहे हैं।
औसतन 300 मरीज इलाज के लिए आ रहे आयुर्वेदिक अस्पताल
जम्मू संभाग के सबसे बड़े आयुर्वेद अस्पताल के आंकड़ों के अनुसार यहां हर दिन औसतन 300 मरीज अपना इलाज करवाने के लिए आते हें जबकि कुछ वर्ष पहले तक इस अस्पताल में हर दिन औसतन 100 मरीज भी जांच करवाने के लिए नहीं आता था।
इस अस्पताल में पहली बार सुप्रजा योजना के तहत अब गर्भवती महिलाएं प्रसव करवाने के लिए भी आ रही हैं। हालांकि अभी सात ही प्रसव हुए हैं लेकिन स्त्री एवं प्रसूति विभाग में हर दिन औसतन चालीस से पचास महिलाएं अपनी जांच करवाने के लिए आती हैं।
रोजना पचास गर्भवती महिलाएं आ रही
विभाग के प्रभारी डा. अरुण कुमार का कहना है कि पहले मात्र चार से पांच महिलाएं ही जांच करवानेे को आती थी लेकिन अब इनकी संख्या हर दिन पचास के करीब हैं। नि:संतान महिलाएं जो कि बच्चे की उम्मीद छोड़ चुकी होती हैं, वे उनके यहां आती हैं।
आइवीएफ हर कोई नहीं करवा सकती है। लेकिन यहां आने से बहुत ही महिलाओं की गोद भरी है।यहां हम गर्भाधारण के पहले महीने से प्रसव होने तक आयुर्वेद औषधि देेते हैं। उनका डाइट प्लान किया जाता है।
योग और मेडिटेशन के माध्यम से गर्भवती महिलाओं को रखा जाता है स्वस्थ
योगा कराया जाता है। सुप्रजा कार्यक्रम के तहत आयुर्वेदिक दवाओं, योग और मेडिटेशन के माध्यम से गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ रखा जाता है। आयुर्वेद अस्पताल को सुप्रजा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है।
वहीं लाइफ स्टाइल बीमारियों से जूझ रहे मरीज भी आयुर्वेद अस्पताल का रुख कर रहे हैं। अस्पताल में विशेषज्ञ डा. शिवानी पाधा का कहना है कि गैर संक्रामक रोगों से पीड़ित बहुत से मरीज आयुर्वेद पर अपना विश्वास जता रहे हैं।
व्यायाम व जीवनशैली में सुधार के लिए किया जाता है प्रेरित
यहां पर आने वाले मरीजों को दवाइयां के स्थान पर व्यायाम व जीवनशैली में सुधार करने के लिए प्रेरित किया जाता है। लीवर की बीमारी से पीड़ित कई मरीज अब आयुर्वेद में इलाज करवाने के लिए आ रहे हैं।वजन कम करने के लिए लोग यहां आते हैं। लोगों को विश्वास है कि जीवनैशली से जुड़े रोगों का बेहतर इलाज आयुर्वेद से ही है।
वहीं आयुर्वेद अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डा. वंदना डोगरा का कहना है कि लोगों का आयुर्वेद पर बहुत विश्वास बढ़ा है।हजारों मरीज ऐसे हैं जो कि सीधे इसी अस्पताल में इलाज करवाने के लिए आते हैं।हर महीने पचास से साठ हजार मरीज इस अस्पताल में इलाज करवाने के लिए आ रहे हैं।
चार दशक बाद खुला था आयुर्वेद कालेज
जम्मू-कश्मीर में आयुर्वेद को बढ़ावा मिलने का एक कारण आयुर्वेद कालेज का खुलना भी था। पहले 1975 में जम्मू में पहला आयुर्वेद कालेज खुला था। मरीजों का रूझान भी बढ़ा था लेकिन वर्ष 1981 में अज्ञात कारणों से इसे बंद कर दिया गया था।
अब वर्ष 2017 में फिर से आयुर्वेद कालेज खुला है। इसके बाद फिर से मरीजों का रूझान आयुर्वेद पर बढ़ा है। वहीं भारतीय चिकित्सा पद्वति ने इस कालेज के लिए पहली बार पीजी की 35 सीटों को मंजूरी दी है।
वर्ष 2025-26 सत्र से यह पीजी कोर्स शुरू होगा। आयुर्वेद संहिता, संस्कृत और सिद्धांत क्रिया शरीर, रचना शरीर, कायाचिकित्सा, पंचकर्मा, शल्य तंत्र और कौमारभृत्य बाल रोग में पीजी शुरू हो रही है।
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