Loksabha Election 2019 : कांग्रेस के टिकट पर धौरहरा से ही लड़ेंगे जितिन प्रसाद
पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने खुद ऐलान किया कि वह धौरहरा छोड़कर नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि धौरहरा उनका परिवार है और वह यहीं से चुनाव लड़ेंगे।
लखनऊ, जेएनएन। मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रहे जितिन प्रसाद के धौरहरा से लडऩे का सस्पेंस अब खत्म हो गया है। धौरहरा से पहले सांसद जितिन प्रसाद अब यहीं से लोकसभा चुनाव 2019 में ताल ठोकेंगे।
पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने खुद ऐलान किया कि वह धौरहरा छोड़कर नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि धौरहरा उनका परिवार है और वह यहीं से चुनाव लड़ेंगे। यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे जितिन प्रसाद दो चुनावों से धौरहरा लोकसभा से लड़ रहे हैं। इस बार भी पार्टी ने पहली लिस्ट में उनका नाम धौरहरा लोकसभा सीट के लिए घोषित किया था। इसके बाद अचानक जतिन के लखनऊ से लडऩे की चर्चाएं तेज हो गई। इसी के साथ धौरहरा लोकसभा में कांग्रेस का प्रचार अभियान भी धीमा हो गया।
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इन अटकलों और खबरों के बीच आज जितिन प्रसाद खुद मीडिया के सामने आए। उन्होंने बताया कि वह धौरहरा लोकसभा सीट छोड़कर कहीं नहीं जा रहे हैं। जितिन प्रसाद ने दो दिन पहले उनके समर्थन में हुए जोरदार प्रदर्शन का जिक्र करते हुए कहा कि पार्टी आलाकमान ने धौरहरा की जनता की भावनाओं का सम्मान किया है। जितिन प्रसाद ने कहा कि धौरहरा उनका सिर्फ चुनाव क्षेत्र ही नहीं, उनका परिवार भी है। इसे देखते हुए पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उनको धौरहरा सीट से चुनाव लडऩे की अनुमति दे दी है। उन्होंने कहा कि धौरहरा की जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए केंद्रीय नेतृत्व में धौरहरा से चुनाव लडऩे की अनुमति दी है। जितिन प्रसाद ने कहा कि पांच वर्ष में धौरहरा में का कोई विकास नहीं हुआ। भाजपा ने यहां की जनता को गुमराह किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस न्याय योजना से देश की गरीबी मिटाएगी।
धौरहरा लोकसभा 2008 अस्तित्व में 2008 में आई थी। यह लोकसभा क्षेत्र लखीमपुर खीरी और सीतापुर के क्षेत्र में है। 2009 में धौरहरा से पहले सांसद कांग्रेस के जितिन प्रसाद चुने गये थे। 2014 में यहां से सांसद रेखा वर्मा चुनी गईं। 2008 परिसीमन के बाद वर्चस्व में आई धौरहरा लोकसभा सीट इस समय भारतीय जनता पार्टी के खाते में है। सीट शाहजहांपुर से अलग होकर वर्चस्व में आई थी।
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2009 में यहां पहली बार चुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस के जितिन प्रसाद जीते लेकिन अगले ही चुनाव में चली मोदी लहर में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। मोदी लहर में उनका पत्ता पूरी तरह से साफ हो गया। भाजपा की रेखा वर्मा ने जीत दर्ज की थी। बसपा प्रत्याशी दूसरे व सपा का तीसरे स्थान पर था। जितिन प्रसाद यहां चौथे नंबर पर रहे थे, उन्हें सिर्फ 16 फीसदी ही वोट मिले थे। अब 2019 के चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन होने के साथ ही यहां की लड़ाई दिलचस्प हो गई है।
धौरहरा लोकसभा सीट सीतापुर जिले के अंतर्गत आती है। सीतापुर जिला देश के 250 सबसे पिछड़े जिलों में से एक है। इस लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं। जिसमें धौरहरा, कास्ता, मोहम्मदी, मोहाली और हरगांव शामिल हैं। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां की सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी।