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    Lok Sabha Election 2019: विवादित बयानों से बुरे फंसे आजम, जयाप्रदा ने बढ़ाई बेचैनी

    By Dhyanendra SinghEdited By:
    Updated: Mon, 22 Apr 2019 08:23 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश की रामपुर लोकसभा सीट से सपा उम्मीदवार कई आपत्तिजनक टिप्पणी कर चुके हैं। आजम द्वारा किए गए आपत्तिजनक बयानों को जयाप्रदा मुद्दा बना रही है ...और पढ़ें

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    Lok Sabha Election 2019: विवादित बयानों से बुरे फंसे आजम, जयाप्रदा ने बढ़ाई बेचैनी

    रामपुर, संजय मिश्र। उत्तर प्रदेश की रामपुर सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां और फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा आमने-सामने हैं। सपा के टिकट पर दो बार सांसद रह चुकीं जयाप्रदा भाजपा की उम्मीदवार हैं। आजम से उनके रिश्ते काफी तल्ख हैं। राज्यसभा सदस्य अमर सिंह भी जयाप्रदा के समर्थन में यहां डेरा डाले हैं। उनके आने से रामपुर की सियासत गरमा गई है। आजम-अमर की अदावत जगजाहिर है। अमर सिंह जगह-जगह जनसभाएं कर उन पर निशाना साध रहे हैं।

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    इस चुनावी जंग का विजेता कौन होगा, यह अनुमान लगाना आसान नहीं है लेकिन, जयाप्रदा की घेरेबंदी ने आजम की बेचैनी बढ़ा दी है। अपने विवादित बयानों के कारण आजम ही यहां सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा हैं। विरोधी उन्हें हर मंच पर घेरते हैं। चार दिन पूर्व आजम ने जयाप्रदा पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिस पर देशभर में उनकी आलोचना हुई। इसकी शिकायत चुनाव आयोग तक पहुंची। उनकी टिप्पणी को महिला सम्मान के खिलाफ बताते हुए भाजपा ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया है।

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    अमर व जयाप्रदा हर जनसभा में आजम पर बेहद तीखे हमले बोल रहे हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुरादाबाद की जनसभा में बिना नाम लिए आजम को दलित विरोधी ठहराया था। उन्होंने कहा था कि बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर को भूमाफिया बताने वाले नेता का प्रचार मायावती कैसे करेंगी। शनिवार को बसपा सुप्रीमो मायावती व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रामपुर में संयुक्त रैली कर आजम के लिए वोट मांगा। उन्हें विकास कराने वाला नेता बताया। दोनों ने मोदी-योगी की सरकार को निशाने पर रखा।

    इस मंच पर भी आजम ने भाजपा पर बेहद तीखे हमले किए। प्रचार के अंतिम दिन रविवार को जयाप्रदा के समर्थन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनसभा करेंगे। जाहिर है उनके निशाने पर आजम खां ही होंगे।

    आजम पर दर्ज हुए दस मुकदमे :

    अपने विवादास्पद बयानों के कारण अक्सर चर्चा में रहने वाले आजम खां नामांकन करने के बाद से कई बार आपत्तिजनक टिप्पणी कर चुके हैं। उनके खिलाफ विभिन्न थानों में दस मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। उनमें आठ मुकदमें तो आपत्तिजनक टिप्पणी के ही हैं। चुनाव आयोग न सिर्फ उन्हें नोटिस जारी कर चुका है बल्कि उनके प्रचार करने पर 72 घंटे की पाबंदी भी लगा चुका है।

    जयाप्रदा का भावुक अंदाज :

    आजम पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। उनके समर्थक जिताने के लिए जी-तोड़ कोशिश कर रहे हैं तो विरोधी हराने के लिए एकजुट हो रहे हैं। जयाप्रदा उन्हें कड़ी टक्कर दे रही हैं। वह मंचों पर सांसद रहते अपने साथ आजम द्वारा किए गए कथित दुर्व्यवहार को मुद्दा बना रही हैं। वह अपने उत्पीड्न से जुड़े प्रसंग सुनाते हुए तीन बार मंच पर ही रो चुकी हैं। हर जगह वह अपने अपमान का बदला लेने का आह्वान करती हैं। बदला के रूप में वह आजम पर अपनी जीत मांगती हैं। उनका यह भावुक अंदाज जनता को लुभा रहा है।

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    नवाब खानदान के निशाने पर भी आजम:

    चुनावी राजनीति से पहली बार दूर हुआ नवाब खानदान भी आजम को ही मुद्दा बना रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी के साथ वह भी पूरे दमखम से लगा है। रामपुर की सियासत में नवाब खानदान का दबदबा रहा है। इस खानदान से जुड़े लोग नौ बार सांसद रह चुके हैं। लोकसभा के पहले चुनाव को छोड़ बाकी सभी चुनावों में नवाब खानदान के लोग ही कांग्रेस के टिकट पर लड़ते रहे हैं, लेकिन इस बार यह खानदान चुनाव मैदान से बाहर है।

    कांग्रेस ने पहली बार राष्ट्रीय सचिव संजय कपूर के रूप में यहां हिंदू प्रत्याशी मैदान में उतारा है। वह दो बार विधायक रह चुके हैं। आजम खां के ज्यादातर विरोधी नेता विभिन्न दलों से जुड़ रहे हैं। कुछ तो बसपा व रालोद छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश महासचिव पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हुए आसिम खां कहते हैं कि आजम खां ने मंत्री रहते रामपुर के अनेक बेकसूर लोगों को जेल तक भिजवाया। उनका समर्थन कैसे कर सकते हैं। पूर्व विधायक अफरोज अली खां का कहना है कि आजम ने सपा सरकार में मंत्री रहते तानाशाह की तरह काम किया

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