Chunavi किस्सा: जब सुख-दुख में टूट जाती थीं सियासी बंदिशें, पढ़ें बीते दौर की राजनीति का दिलचस्प किस्सा
Chunavi किस्सा आज के दौर की राजनीति में मिठास कम और कड़वाहट अधिक भर गई है नेता कई बार एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी में राजनीतिक मर्यादा को भी लांघ जाते हैं लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था। बीते दौर की राजनीति में सुख-दुख में टूट सियासी बंदिशें जाती थीं और नेता विपक्ष को भी गले लगाते थे। पढ़ें ऐसा ही एक किस्सा....
आनंद मिश्र, फर्रुखाबाद। राजनीति में एक दौर वह भी था, जब चुनावी मैदान में नेता भले ही एक-दूसरे का जमकर विरोध करते थे पर सुख दुख में सियासी बंदिशें टूट जाती थीं। ऐसा ही वाकया है 1994 का। कांग्रेस के पूर्व विधायक विमल प्रसाद तिवारी की पुत्री के विवाह समारोह में तत्कालीन मुख्यमंत्री सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव पहुंचे तो लोगों ने उनके इस कदम की जमकर सराहना की।
इस दौरान कांग्रेस नेता विमल प्रसाद के सपा में शामिल होने की अटकलों ने जोर पकड़ा तो मुलायम सिंह ने खुद आगे आकर कहा कि कोई किसी पार्टी में शामिल नहीं हो रहा है। वह सिर्फ बिटिया को आशीर्वाद देने आए हैं। फर्रुखाबाद के मुहल्ला सेठगली निवासी और उप्र कांग्रेस कमेटी में सचिव रहे आदेश तिवारी बताते हैं कि पिता स्वर्गीय विमल प्रसाद तिवारी तीन बार कांग्रेस से विधायक रहे।
विपक्ष का सम्मान
आदेश कहते हैं कि उनके पिता चुनाव मैदान में सपा प्रत्याशी का खूब विरोध करते थे, लेकिन सपा मुखिया रहे मुलायम सिंह यादव विपक्षी नेताओं को पूरा सम्मान देते थे। वह बताते हैं कि 1994 में बहन रंजना की शादी थी। मुलायम सिंह यादव तब प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। पिता ने उनको भी शादी में बुलावा भेजा था। मुलायम सिंह ने भी न्योते का मान रखा और राजनीतिक भेदभाव भुलाकर बहन व बहनोई को आशीर्वाद दिया।
ये भी पढ़ें- जब यूपी में ग्वालियर की राजमाता ने फैलाई झोली... दहेज में मांगी जीत, लोगों ने बदले में जो दिया वो इतिहास बन गया