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जब यूपी में ग्वालियर की राजमाता ने फैलाई झोली... दहेज में मांगी जीत, लोगों ने बदले में जो दिया वो इतिहास बन गया

Lok Sabha Election 2024 ग्वालियर की राजमाता विजया राजे सिंधिया से जुड़ा एक रोचक चुनावी किस्सा है। 1996 में वे उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले की टूंडला विधानसभा सीट पर प्रचार करने पहुंची। यहां उन्होंने लोगों से दहेज में जीत मांगी थी। दरअसल राजमाता के पिता का पैतृक गांव गींगना इसी क्षेत्र में पड़ता है। यही वजह है कि उन्होंने लोगों को अपनापन दिखाया।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Published: Thu, 02 May 2024 07:17 PM (IST)Updated: Thu, 02 May 2024 07:17 PM (IST)
लोकसभा चुनाव 2024: राजमाता विजया राजे सिंधिया। (फाइल फोटो)

जागरण, फिरोजाबाद। 1996 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव रोचक था। फिरोजाबाद की टूंडला विधानसभा सीट पर भाजपा ने शिव सिंह चक को मैदान में उतारा था। वहीं, सपा ने मोहनदेव शंखवार और बसपा ने नवनेश वरुण को खड़ा किया था।

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तीनों के बीच मुकाबला कड़ा था, लेकिन भाजपा का एक ये पक्ष कमजोर था कि उसे इस सीट पर पहले कभी जीत नहीं मिली थी। इसलिए चक की जीत सुनिश्चित करने के लिए पार्टी ने ग्वालियर की राजमाता विजया राजे सिंधिया को यहां प्रचार के लिए भेजा।

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जब राजमाता ने दिखाया अपनापन

नारखी क्षेत्र का गांव गींगना राजमाता के पिता ठाकुर महेंद्र सिंह का पैतृक गांव था, जो बाद में जालौन के डिप्टी कलेक्टर बने। राजमाता का बचपन का नाम लेखा देवेश्वरी देवी था। प्रचार के लिए उन्हें गींगना आने का मौका मिला तो उन्होंने ग्रामीणों से अपनापन दिखाया। बसपा प्रत्याशी नवनेश वरुण के पक्ष में माहौल बना था।

दहेज में मांगी थी जीत

पूर्व विधायक शिव सिंह चक बताते हैं कि राजमाता ने ठाकुर बाहुल्य नारखी क्षेत्र में वहां की बेटी होने का हवाला देते हुए दहेज में झोली फैलाकर उनकी जीत मांगी थी। वह यहां दो दिन रहीं।

ग्वालियर की राजमाता होने के कारण उन्हें देखने के लिए ग्रामीणों की भीड़ जुट जाती थी। उनके कुशल नेतृत्व व दूरगामी सोच का ही परिणाम था कि भाजपा पहली बार जीत का दरवाजा खोल सकी। 1993 में हुए चुनाव में भाजपा के रामबहादुर चक सपा के रमेश चंद्र चंचल से हारे थे।

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