हौसले की उड़ान, कांग्रेस की तकदीर गोहिल बदल पाएंगे या नहीं?
बहरहाल इस नजीर से गुजरात में कांग्रेस की तकदीर गोहिल बदल पाएंगे या नहीं यह तो 2027 में ही पता चलेगा। चौबे का चौकाबिहार की राजनीति में भाजपा नेता अश्विनी चौबे अपने उल्टे-पुल्टे बयानों के लिए जाने जाते हैं। नीतीश कुमार की लाइन से अलग चलने वाले बाबा ने जब भी मुंह खोला है-हलचल ही मचाई है। इस बार उन्होंने नीतीश कुमार को उप प्रधानमंत्री बनाने की मांग की है।
राजनीतिक पार्टियां अपने अधिवेशन के मंथन से वर्तमान तथा भविष्य की जरूरतों-चुनौतियों का कुछ न कुछ रास्ता निकालने की कोशिश करती हैं। अधिकांश राज्यों में सियासी वनवास झेल रही मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस साबरमती तट पर इस हफ्ते हुए अपने अधिवेशन में यही कोशिश करती दिखी।
इस मंथन से निकला सियासी अमृत पार्टी को कितनी संजीवनी देगा यह तो वक्त बताएगा मगर गुजरात में लंबे अर्से से प्रभावी नेता रणनीतिकार की उसकी खोज शक्ति सिंह गोहिल के रूप में पूरी होती दिखी। भाजपा के इस सबसे मजबूत गढ़ में तीन दशक से सत्ता से कांग्रेस के बाहर होने के बावजूद अधिवेशन का प्रभावी तरीके से आयोजन करने के गोहिल के प्रबंधन ने हाईकमान को भी हैरान कर दिया।
शायद तभी शिकायत रहित इस आयोजन की खुली प्रशंसा में हाईकमान ने भी कंजूसी नहीं दिखाई। लगातार छह विधानसभा चुनाव की पराजय की पृष्ठभूमि के बावजूद अधिवेशन में गुजरात कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के हौसलों की उड़ान तथा लड़ने के जज्बे ने यूपी, बिहार, दिल्ली तथा मध्यप्रदेश जैसे राज्यों के नेता भी हतप्रभ नजर आए। ऐसे कुछ नेता यह कहते सुने गए कि दो चुनावों की हार ने ही हमारे उत्साह को छीन लिया मगर इतनी शिकस्तों के बाद भी गुजरात में कार्यकर्ताओं का ऐसा हौसला दूसरों राज्यों के कांग्रेसियों के लिए नजीर है।
बहरहाल इस नजीर से गुजरात में कांग्रेस की तकदीर गोहिल बदल पाएंगे या नहीं यह तो 2027 में ही पता चलेगा। चौबे का चौकाबिहार की राजनीति में भाजपा नेता अश्विनी चौबे अपने उल्टे-पुल्टे बयानों के लिए जाने जाते हैं। नीतीश कुमार की लाइन से अलग चलने वाले बाबा ने जब भी मुंह खोला है-हलचल ही मचाई है। इस बार उन्होंने नीतीश कुमार को उप प्रधानमंत्री बनाने की मांग की है, जिसके बाद से बिहार में बवाल मचा हुआ है। लोग इसका सीधा अर्थ लगा रहे हैं कि बाबा ने नीतीश की तारीफ की है, लेकिन खबर है कि भाजपा के लोग परेशान हैं कि बाबा के ऐसा बोलने से नीतीश के समर्थक भड़क सकते हैं। इसलिए बाबा के बयान को तुरंत निजी विचार बताने में देर नहीं की गई।
नीतीश के समर्थकों को साधे रखने का इसे सीधा प्रयास माना जा रहा है, लेकिन अंदर की खबर है कि भाजपा के एक गुट का मानना है कि लोकसभा चुनाव में बेटिकट होने से बाबा बेहद खफा हैं। इसकी भरपाई वह विधानसभा चुनाव में अपने पुत्र को भाजपा से टिकट दिलाकर करना चाहते हैं। किन्तु दिक्कत यह है कि डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी से बाबा का रिश्ता छत्तीस का है। इसलिए बाबा सारे विकल्पों को खुला रखना चाहते हैं।बेटर लक नेक्स टाइमकई बार आप कोई सामान खरीदते हैं उसके पैकेट पर लिखा होता है कि इसके अंदर एक कार्ड मिलेगा जिसे स्क्रेच करने से ईनाम मिलेगा लेकिन जब आप पैकेट खोल कर कार्ड स्क्रेच करते हैं तो उसमें ईनाम नहीं निकलता बल्कि लिखा होता है बेटर लक नेक्स टाइम। र्माकेटिंग की यह रणनीति कई बार वकीलों पर भी लागू होती है।
हाल ही में अदालत में एक वकील साहब बहस कर रहे थे मगर कोर्ट उनकी दलीलों से सहमत नहीं था। तभी वकील साहब ने सहानुभूति लेने के लिए कहा सुप्रीम कोर्ट में उनका यह पहला केस है। बस छूटते ही कोर्ट ने कहा पहली ही बार में इतना कमजोर केस लेकर यहां आए। प्रौढ़ उम्र में प्रवेश कर चुके वकील साहब से यह भी पूछ लिया कि वकालत में इतनी देर से क्यों आए। वकील ने कहा कि वे दूसरी नौकरी में थे।
बहरहाल कोर्ट ने प्रौढ़ावस्था में नए वकील बनने पर पहले उन्हें शुभकामनाएं दी और अंत में केस खारिज कर दिया और बेचारे वकील साहब बेटर लक नेक्स टाइम का अहसास लिए अदालत से लौट गए।ब्रे¨कग से पहले सब्र करो न्यूज चैनल ब्रे¨कग के चक्कर में इतने उतावले रहते हैं कि सही-गलत को समझे-परखे बिना न्यूज को फ्लैश कर देते हैं। 26/11 के मास्टरमाइंड आतंकी तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाने के दौरान भी कुछ ऐसा ही हुआ। असल में टेलीविजन चैनल राणा के आगमन से कई घंटे पहले ही एयरपोर्ट पहुंच गए थे।
उन्हें यह भी पता था कि राणा को आम पब्लिक वाले गेट से बाहर नहीं लाया जाएगा, सो न्यूज चैनल वाले उन गेट पर अपनी नजर गड़ाए हुए थे जिनसे वीआइपी आते-जाते हैं। राणा के आने से करीब घंटा भर पहले सेना के एक शीर्षस्थ अधिकारी का आगमन हुआ जिस वजह से वीआइपी गेट पर हलचल हो गई। इस हलचल को देख न्यूज चैनल वाले आव न देखा ताव, चैनल पर ब्रे¨कग खबर चल गई कि राणा को भारत लाया गया।
इससे पहले एक बड़े कैबिनेट मंत्री के एयरपोर्ट से बाहर निकलने की हलचल को चैनलों ने राणा के आने की ब्रे¨कग न्यूज फ्लैश कर दी। मगर दोनों ही बार इस उतालेवन को वापस उल्टे चबाते हुए वापस लेना पड़ा। तभी महकमे से जुड़े कुछ लोगों ने कहा अरे भाई ब्रेकिंग से पहले जरा सब्र कर पहचान तो कर लो।
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