निशाने पर विपक्ष, कांग्रेस को लेकर पीएम मोदी की बातों से असहमत होना कठिन
कांग्रेस किस तरह नकारात्मक राजनीति का परित्याग नहीं कर पा रही है यह गत दिवस लोकसभा में ही तब देखने को मिला जब सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने बालाकोट में की गई एयर स्ट्राइक पर सवाल खड़े किए। ध्यान रहे ऐसे ही सवाल पाकिस्तान खड़े करता रहा है। आखिर उन्हें पाकिस्तान को रास आने वाला बयान देने की जरूरत क्यों पड़ गई?
लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा के समय विपक्ष की ओर से उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केवल उसके नकारात्मक, विरोध के लिए विरोध और विभाजनकारी रवैये को ही उजागर नहीं किया, बल्कि अपने इस आत्मविश्वास का भी खुलकर प्रदर्शन किया कि उनकी सरकार और बड़े बहुमत से तीसरी बार सत्ता में आने जा रही है।
उन्होंने अपना यह लक्ष्य भी स्पष्ट कर दिया कि आगामी लोकसभा चुनाव में अकेले भाजपा कम से कम 370 सीटें जीतने जा रही है। इस दावे के जरिये उन्होंने जम्मू-कश्मीर से विभाजनकारी अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के अपनी सरकार के साहसिक फैसले को ही रेखांकित किया। उन्होंने अपनी सरकार की दस वर्ष की उपलब्धियां गिनाते हुए यह भी बता दिया कि उनका तीसरा कार्यकाल बड़े फैसलों और देश को विकसित बनाने का होगा।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राजनीति में परिवारवाद से उनका क्या आशय है और वह क्यों उसके विरोधी हैं? इस पर आश्चर्य नहीं कि उन्होंने कांग्रेस को खास तौर पर निशाने पर लिया। उन्होंने यह जो कहा कि कांग्रेस विपक्ष का दायित्व निभाने में विफल रही और उसने अच्छा विपक्ष बनने का अवसर गंवा दिया, उससे असहमत होना कठिन है।
विपक्षी दल के रूप में कांग्रेस की विफलता का कारण है सरकार के हर निर्णय एवं नीति को खारिज करने की आदत। निःसंदेह किसी विपक्षी दल से यह अपेक्षा नहीं की जाती और न ही की जानी चाहिए कि वह सरकार की प्रशंसा करे, लेकिन कम से कम उसे हर मामले में और यहां तक कि राष्ट्रहित से जुड़े मामलों में भी विरोध के लिए विरोध वाली राजनीति तो नहीं ही करनी चाहिए। दुर्भाग्य से कांग्रेस ऐसा ही करती रही है।
कांग्रेस किस तरह नकारात्मक राजनीति का परित्याग नहीं कर पा रही है, यह गत दिवस लोकसभा में ही तब देखने को मिला, जब सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने बालाकोट में की गई एयर स्ट्राइक पर सवाल खड़े किए। ध्यान रहे ऐसे ही सवाल पाकिस्तान खड़े करता रहा है। आखिर उन्हें पाकिस्तान को रास आने वाला बयान देने की जरूरत क्यों पड़ गई? हैरानी नहीं कि प्रधानमंत्री को यह कहना पड़ा कि वह देश की सेना के खिलाफ एक भी शब्द सहन नहीं करेंगे।
अधीर रंजन चौधरी ने यह विभाजनकारी आरोप भी उछाला कि केंद्र सरकार गैर भाजपा शासित राज्यों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। उन्होंने कर्नाटक का उल्लेख करते हुए एक तरह से दक्षिण के राज्यों की अनदेखी करने वाले उन विभाजनकारी बयानों को ही हवा दी, जो कर्नाटक से कांग्रेस सांसद डीके सुरेश और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने अंतरिम बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दिए थे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अधीर रंजन चौधरी को फटकार ही नहीं लगाई, बल्कि यह भी साफ किया कि कर्नाटक किन कारणों से वित्तीय रूप से कठिनाइयों से घिरा है।














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