पश्चिम एशिया का संकट, पश्चिमी देशों और इस्लामी जगत के बीच कोई समझबूझ कायम करने के लिए सक्रिय हो भारत
आखिर क्या कारण है कि हमास की सहायता करने और उसके नेताओं को संरक्षण देने वाले देश उस पर इसके लिए दबाव नहीं बना रहे हैं कि वह बंधकों को तत्काल छोड़े? ऐसे देशों को हमास की पैरवी करने और उसके हमले को जायज ठहराने से भी बाज आना चाहिए क्योंकि यह आतंकी संगठन इजरायल के अस्तित्व को मिटाने पर आमादा है।
अपने नागरिकों पर आतंकी संगठन हमास के बर्बर हमले के बाद इजरायल जो जवाबी कार्रवाई कर रहा है, उसके चलते पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ रहा है तो इसी कारण कि इस कार्रवाई के चलते गाजा में आम लोगों को भी जान गंवानी पड़ रही है। निःसंदेह इजरायल को इसका अधिकार है कि वह गाजा में हमास के ठिकानों को ध्वस्त करे और उसके आतंकियों का सफाया करे, लेकिन ऐसा करते हुए उसे यह देखना होगा कि आम लोगों को जान-माल का नुकसान न उठाना पड़े।
इजरायल की जवाबी कार्रवाई से गाजा में जो गंभीर मानवीय संकट पैदा हो गया है, उसकी न तो इस्लामी जगत अनदेखी कर सकता है और न ही शेष विश्व। यह सही है कि गाजा के आम लोग इजरायल की सैन्य कार्रवाई का निशाना इसलिए बन रहे हैं, क्योंकि हमास यहां के लोगों को सुरक्षित ठिकानों में जाने से जबरन रोक रहा है, लेकिन एक राष्ट्र होने के नाते इजरायल को इसका ध्यान रखना होगा कि हमास की करतूतों की सजा गाजा के नागरिकों को न मिले।
हमास के खिलाफ इजरायल की सैन्य कार्रवाई के बीच जो देश और विशेष रूप से इस्लामी देश युद्ध विराम की जो मांग कर रहे हैं, उसे अनुचित नहीं कहा जा सकता, लेकिन यह सुनिश्चित करना उनकी भी जिम्मेदारी है कि हमास बंधकों को रिहा करे।
आखिर क्या कारण है कि हमास की सहायता करने और उसके नेताओं को संरक्षण देने वाले देश उस पर इसके लिए दबाव नहीं बना रहे हैं कि वह बंधकों को तत्काल छोड़े? ऐसे देशों को हमास की पैरवी करने और उसके हमले को जायज ठहराने से भी बाज आना चाहिए, क्योंकि यह आतंकी संगठन इजरायल के अस्तित्व को मिटाने पर आमादा है।
कोई भी इसकी अनदेखी नहीं कर सकता कि हमास की वीभत्स आतंकी हरकत के कारण ही इजरायल गाजा पर सैन्य कार्रवाई करने के लिए विवश हुआ है। हमास ने इजरायली लोगों के खिलाफ अपनी बर्बरता से एक तरह से जानबूझकर गाजा के लोगों को संकट के मुहाने पर खड़े करने का काम किया है। यह संभव ही नहीं कि उसे इसका आभास न रहा हो कि उसकी जघन्य कार्रवाई पर इजरायल चुप होकर बैठने वाला नहीं।
इजरायल के साथ खड़े पश्चिमी देशों और फलस्तीनियों के हितों की आवाज उठा रहे देशों को समस्या के किसी सार्वमान्य समाधान की ओर बढ़ना चाहिए। ऐसा कोई समाधान तभी निकल सकता है, जब यहूदियों का सफाया करने की सनक से ग्रस्त हमास एवं हिजबुल्ला जैसे आतंकी संगठनों पर लगाम लगे और इजरायल यह समझे कि फलस्तीनियों का भी अपना अलग देश होना चाहिए।
यह अच्छा हुआ कि भारत ने जहां हमास की हरकत को आतंकी हमला करार देने में संकोच नहीं किया, वहीं फलस्तीनियों के पक्ष में आवाज उठाई और उन्हें मदद भी भेजी। उचित यह होगा कि वह पश्चिमी देशों और इस्लामी जगत के बीच कोई समझबूझ कायम करने के लिए सक्रिय हो।
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