भाजपा सांसद संबित पात्रा ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर विदेशी ताकतों के इशारे पर देश के हितों के खिलाफ काम करने का जो सनसनीखेज आरोप लगाया, उसके बाद दोनों दलों में तकरार और अधिक बढ़ना तय है। इसका असर संसद की कार्यवाही पर भी पड़ सकता है, जो पहले से ही हंगामे का शिकार है।

संबित पात्रा ने इस आधार पर राहुल गांधी को कठघरे में खड़ा किया कि एक फ्रांसीसी मीडिया समूह ने यह रहस्योद्घाटन किया है कि स्वयं को संगठित अपराध और भ्रष्टाचार से लड़ने एवं स्वतंत्र बताने वाला अमेरिकी मीडिया समूह ओसीसीआरपी वस्तुतः न केवल वहां की सरकार की वित्तीय सहायता से चलता है, बल्कि उसकी एजेंसियों के हिसाब से दूसरे देशों और वहां के संस्थानों को निशाना बनाता है।

इतना ही नहीं, ओसीसीआरपी को अमेरिकी निवेशक जार्ज सोरोस के ओपेन सोसायटी फाउंडेशन से भी पैसे मिलते हैं। जार्ज सोरोस के बारे में यह किसी से छिपा नहीं कि वह मोदी सरकार के कटु आलोचक हैं। यह भी किसी से छिपा नहीं कि ओसीसीआरपी किस तरह भारत को नीचा दिखाने वाली खबरें प्रकाशित करता रहा है।

ओसीसीआरपी अदाणी समूह के खिलाफ भी हमलावर रहा है। वह इस समूह के खिलाफ कई खबरें प्रकाशित कर चुका है। ध्यान देने की बात यह है कि उसकी खबरों के आधार पर भारत में हंगामा होता रहा है-संसद में भी और संसद के बाहर भी। राज्यसभा में भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने इसी का उल्लेख किया।

उल्लेखनीय केवल यह नहीं कि ओसीसीआरपी की खबरों के जरिये हंगामा करने और सरकार को कठघरे में खड़ा करने में कांग्रेस आगे रही है, बल्कि यह भी है कि राहुल गांधी इस मीडिया समूह को वित्तीय मदद देने वाले जार्ज सोरोस के ओपेन सोसायटी फाउंडेशन के पदाधिकारियों से संपर्क-संवाद करते रहे हैं।

कहना कठिन है कि राहुल गांधी किस उद्देश्य से ओपेन सोसायटी फाउंडेशन के पदाधिकारियों से मिलते रहे हैं, लेकिन यह कोई रहस्य नहीं कि कुछ विदेशी मीडिया संस्थान और गैर सरकारी संगठन भारत की छवि खराब करने में लगे रहते हैं। उनकी रीति-नीति यही बताती है कि वे भारत के बढ़ते कद को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।

वे इस चेष्टा में भी रहते हैं कि भारत उनके हिसाब से चले। यह कई बार सामने आ चुका है कि यदि उन्हें अपना एजेंडा पूरा होता नहीं दिखता तो वे भारत को बदनाम करने का अभियान छेड़ देते हैं। कोविड महामारी के दौरान ऐसे संगठन भारत में स्थिति बेकाबू बताने में लगे हुए थे।

भाजपा के आरोपों पर कांग्रेस का कुछ भी कहना हो, यह कोई नई-अनोखी बात नहीं कि कई विदेशी ताकतें ऐसी हैं, जो भारत का हित नहीं चाहतीं। उनसे केवल सरकार ही नहीं, विपक्षी दलों को भी सतर्क रहना चाहिए। सबसे लंबे समय तक केंद्र की सत्ता में रही कांग्रेस इससे अपरिचित नहीं हो सकती कि अतीत में भी विदेशी ताकतें भारत में समस्याएं खड़ी करती रही हैं।