महिलाओं को सशक्त बनाने का बड़ा कदम, 'नारी वंदन' भारत के उज्ज्वल भविष्य को आकार देने की पहल
भारत महिला सशक्तीकरण की दिशा में जिस तरह आगे बढ़ रहा है उसके सकारात्मक प्रभावों को देखना महत्वपूर्ण है। चुनौतियों के बावजूद लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण के प्रति सरकार की अटल प्रतिबद्धता देश भर में लाखों महिलाओं के लिए आशा की किरण है। शिक्षा स्वास्थ्य देखभाल तथा राजनीतिक और आर्थिक अवसरों के माध्यम से भारत में महिलाएं प्रगति और विकास में योगदान दे रही हैं।
स्मृति इरानी: बीते दिनों ज्यों ही मैं लोकसभा के सम्मानित सदस्यों के समक्ष खड़ी हुई, मेरा हृदय दृढ़निश्चय और उत्तरदायित्व की भावना से भर उठा। हम सभी वहां देश के भविष्य को नया आकार देने का सामर्थ्य रखने वाले एक महत्वपूर्ण विषय-नारी शक्ति वंदन अधिनियम, जिसे आमतौर पर महिला आरक्षण विधेयक के नाम से जाना जाता है, पर चर्चा के लिए एकत्र हुए थे। यह प्रस्तावित संवैधानिक संशोधन लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रविधान करता है, जो राजनीति में महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
जब देश गुलामी की बेड़ियों से आजाद हुआ था, तब भी विभिन्न क्षेत्रों की तमाम साधारण महिलाओं ने अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की बात उठाई थी। देश की आजादी में योगदान देने वाली साधारण परिवारों की वे महिलाएं दूरदर्शी थीं और इससे भलीभांति अवगत थीं कि यदि सामान्य महिलाओं को अवसर नहीं दिया गया, तो आने वाले वर्षों में यह उनके लिए चुनौतीपूर्ण बन सकता है। आज मैं उन दूरदर्शी महिलाओं को नमन करती हूं।
भारत में महिलाओं की स्थिति के संबंध में सरकार ने 1971 में एक समिति का गठन किया था। 1974 में उस समिति ने अपनी रिपोर्ट साझा की। इसके सातवें अध्याय में दर्ज है कि भारतीय जनसंघ ने महिलाओं को संवैधानिक गारंटी दिए जाने की बात कही थी और आरक्षण की वकालत की थी। आज मैं जनसंघ के उन दूरदर्शी विचारकों के प्रति आभार प्रकट करती हूं। भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए यह अत्यंत सम्मान की बात है कि उनकी पार्टी अपने संगठन में महिलाओं को आरक्षण प्रदान करने वाली देश की पहली राजनीतिक पार्टी बनी। हम महिला आरक्षण विधेयक के संबंध में दावों और प्रतिदावों के साक्षी बने हैं।
कहते हैं कि सफलता का श्रेय लेने वाले तो अनेक होते हैं, लेकिन विफलता की जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं होता। इसीलिए जब यह विधेयक आया, तो कुछ लोगों ने इसे ‘हमारा विधेयक’ करार दिया, कुछ ने कहा कि उन्होंने इसके संबंध में पत्र लिखे हैं, कुछ ने कहा कि इसकी संपूर्ण संवैधानिक रूपरेखा उन्होंने तैयार की। संविधान के 73वें और 74वें संशोधन के लिए प्राय: एक परिवार विशेष को श्रेय दिया जाता है। इसी परिवार की एक सम्मानित नेता ने संसद में कहा कि यह कार्य पीवी नरसिंह राव द्वारा किया गया। इन महत्वपूर्ण संशोधनों में योगदान देने वालों को मान्यता दिया जाना आवश्यक है और राव का नाम उस इतिहास में स्थान पाने का सही मायनों में हकदार है।
महिला आरक्षण विधेयक दशकों से एक विवादित मुद्दा रहा है। विवाद का एक प्रमुख बिंदु आरक्षण की अवधि है। मोदी सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि आरक्षण 15 वर्षों तक जारी रहेगा और महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों को प्रत्येक परिसीमन के बाद बदला जाएगा, जिससे दीर्घकालिक प्रभाव सुनिश्चित होगा। इसके विपरीत कांग्रेस ने 10 वर्षों के लिए महिला कोटे का प्रस्ताव रखा था। वह 10 साल बाद महिलाओं का अधिकार छीनना चाहती थी। मैं प्रधानमंत्री और विधि मंत्री की आभारी हूं, जिन्होंने कांग्रेस की यह मंशा पूरी नहीं होने दी।
महिला आरक्षण की अवधि के अलावा कुछ अन्य संवैधानिक प्रविधानों और कानूनी पहलुओं को स्पष्ट करना भी आवश्यक है। कुछ ने अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए कोटा शामिल करने का सुझाव दिया। स्मरण रहे कि मजहब के आधार पर आरक्षण भारतीय संविधान द्वारा स्पष्ट रूप से निषिद्ध है। लोग तथ्यों की पड़ताल करें और महिलाओं को संवैधानिक तरीकों से सशक्त बनाने के सरकार के प्रयासों को पहचानें। संविधान और उसकी गरिमा के लिए हमारी प्रतिबद्धता अटल है। राजनीतिक प्रतिनिधित्व महिला सशक्तीकरण का बुनियादी पहलू है। मोदी सरकार ने राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। शासन के विभिन्न स्तरों पर महिलाओं की भागीदारी की वकालत करते हुए मोदी सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में महिलाओं का पक्ष सुना जाए।
महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए मोदी सरकार ने एक परिवर्तनकारी यात्रा आरंभ की है। समग्र नीतियों और लक्षित पहलों के माध्यम से सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, राजनीतिक प्रतिनिधित्व, आर्थिक सशक्तीकरण और लैंगिक समानता जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर गौर किया है। प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती। स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार हुआ है। राजनीतिक प्रतिनिधित्व बढ़ा है और महिलाओं के लिए आर्थिक अवसर बढ़े हैं।
महिलाओं के विकास के लिए पर्याप्त बजट आवंटन को हमें भूलना नहीं चाहिए। इन आवंटनों में वृद्धि महिलाओं को आगे बढ़ने में मदद करने के प्रति हमारी सरकार के समर्पण को दर्शाती है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में किए गए प्रयासों की बदौलत स्कूली शिक्षा अधूरी छोड़ने वाली लड़कियों की संख्या में काफी कमी आई है। यह केवल राजनीतिक रूप से ही नहीं, बल्कि शिक्षा और आर्थिक अवसरों के माध्यम से भी महिलाओं को सशक्त बनाने की हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
भारत महिला सशक्तीकरण की दिशा में जिस तरह आगे बढ़ रहा है, उसके सकारात्मक प्रभावों को देखना महत्वपूर्ण है। चुनौतियों के बावजूद लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण के प्रति सरकार की अटल प्रतिबद्धता देश भर में लाखों महिलाओं के लिए आशा की किरण है। शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल तथा राजनीतिक और आर्थिक अवसरों के माध्यम से भारत में महिलाएं प्रतिनिधित्व और सशक्तीकरण की अभिनव भावना का अनुभव करते हुए राष्ट्र की प्रगति और विकास में योगदान दे रही हैं।
यदि संवैधानिक गरिमा के दृष्टिकोण से महिला आरक्षण विधेयक पर गौर करें, तो इसके माध्यम से देवी लक्ष्मी ने संवैधानिक रूप ग्रहण किया है। यह महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण का प्रतीक है, जो उनकी आत्मनिर्भरता और आत्मनिर्णय की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। यह विधेयक कोई राजनीतिक औजार नहीं, बल्कि महिलाओं को सशक्त बनाने का साधन है। हमें याद रखना चाहिए कि यह मामला श्रेय लेने या दोष मढ़ने का नहीं है। यह महिलाओं के साथ लोकतंत्र को मजबूत बनाने और भारत के उज्ज्वल भविष्य को आकार देने के अवसरों की पहचान करने को समर्पित है।
(लेखिका केंद्रीय मंत्री हैं)
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