Gorakhpur AIIMS: गोरखपुर एम्स में 12 दिन में नहीं कर पाए वृद्ध का आपरेशन, किया रेफर
दिव्यनगर कालोनी निवासी 84 वर्षीय केपी राम त्रिपाठी के कूल्हे की हड्डी 19 अप्रैल को टूट गई थी। उनको एम्स में भर्ती कराया गया। जांच में यूरिन में खून आने के साथ ही हृदय की समस्या मिली। स्वजन का आरोप है कि इसके बाद भी डाक्टर एक-एक दिन कहकर आपरेशन टालते रहे। बेटे गोविंद राम त्रिपाठी ने मंगलवार को डाक्टरों से बात की तब हायर सेंटर जाने को कहा गया।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर में बुजुर्ग का 12 दिन बाद भी आपरेशन नहीं हो सका। विभागों से फिटनेस को लेकर अनापत्ति प्रमाण पत्र न मिलने के बाद स्वजन ने बुजुर्ग को रेफर करने को कहा।
काफी मशक्कत के बाद मंगलवार को बुजुर्ग को डिस्चार्ज किया जा सका। आरोप है कि यदि दिक्कत ज्यादा थी तो इतने दिनों क्यों इंतजार किया गया। दिव्यनगर कालोनी निवासी 84 वर्षीय केपी राम त्रिपाठी के कूल्हे की हड्डी 19 अप्रैल को टूट गई थी। उनको एम्स में भर्ती कराया गया।
जांच में यूरिन में खून आने के साथ ही हृदय की समस्या मिली। स्वजन का आरोप है कि इसके बाद भी डाक्टर एक-एक दिन कहकर आपरेशन टालते रहे। बेटे गोविंद राम त्रिपाठी ने मंगलवार को डाक्टरों से बात की, तब हायर सेंटर जाने को कहा गया। गोविंद का आरोप है कि 12 दिनों से डाक्टर दौड़ाते रहे। जब केस खराब हो गया, तब रेफर करने की सलाह दी।
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जेआर और कर्मचारियों का व्यवहार ठीक नहीं केपी राम त्रिपाठी के दामाद सेवानिवृत्त जेल अधीक्षक डीसी मिश्र ने कहा कि एम्स के वरिष्ठ डाक्टर बहुत अच्छे हैं, लेकिन जूनियर डाक्टरों और कर्मचारियों का व्यवहार अच्छा नहीं है। वह सही से बात नहीं करते और पूछने पर कहते हैं कि सीनियर को सूचना दे दी गई है, वह कब आएंगे मैं क्या जानूं। जब तक सीनियर डाक्टर रहते हैं, व्यवस्था दुरुस्त रहती है।
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एम्स गोरखपुर सह मीडिया प्रभारी डा. विजयलक्ष्मी ने कहा कि बुजुर्ग रोगी के पेशाब के रास्ते खून आ रहा था। इसके उपचार के लिए रोका गया था। उनको हृदय की भी समस्या थी। हृदय रोग के उपचार की सुविधा न होने के कारण स्वजन के अनुरोध पर रेफर किया गया। लापरवाही नहीं हुई है।