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खुद का टिकट कटने और बेटे को मौका मिलने पर पहली बार खुलकर बोले बृजभूषण शरण सिंह, भाजपा के लिए कह दी ये बात

बृजभूषण पार्टी ने भाजपा से शिकायत की चर्चाओं को लोकतंत्र का हिस्सा बताते हुए कहा कि छोटी मोटी शिकायतें तो बनी ही रहती हैं। जो हो गया सो हो गया अब शिकायत की बात क्या बात है... उन्होंने कहा कि भाग्य से बड़ा कोई होता नहीं है ये पार्टी का निर्णय है शायद ऊपर वाले का भी यही निर्णय रहा हो इसलिए कोई दिक्कत नहीं है।

By Jagran News Edited By: Nitesh Srivastava Published: Fri, 10 May 2024 02:20 PM (IST)Updated: Fri, 10 May 2024 02:20 PM (IST)
BJP ने कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह की जगह उनके छोटे बेटे करण भूषण सिंह पर दांव लगाया है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कैसरगंज की राजनीति डेढ़ दशक से सांसद बृजभूषण शरण सिंह के इर्द-गिर्द घूम रही है। 2009 से वह लगातार तीन बार इस सीट से सांसद चुने गए हैं। इस बार भारतीय जनता पार्टी ने कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह की जगह उनके छोटे बेटे करण भूषण सिंह पर दांव लगाया है। टिकट कटने और बेटे को मौका मिलने के सियासी घटनाक्रम के बीच पहली बार बृजभूषण शरण सिंह ने दिल खोलकर अपनी बात कही है।

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समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान उन्होंने पार्टी से शिकायत के बातों को लोकतंत्र का हिस्सा बताते हुए कहा कि छोटी मोटी शिकायतें तो बनी ही रहती हैं। जो हो गया सो हो गया, अब शिकायत की बात क्या बात है... उन्होंने कहा कि भाग्य से बड़ा कोई होता नहीं है, ये पार्टी का निर्णय है, शायद ऊपर वाले का भी यही निर्णय रहा हो, इसलिए कोई दिक्कत नहीं है।

एक सवाल का जवाब देते हुए बृजभूषण सिंह ने यह माना कि पार्टी हर वक्त उनके खड़ी रही। उन्होंने कहा कि मेरे स्थान पर किसी और को नहीं बल्कि मेरे पुत्र को टिकट दिया गया है। अगर मेरे स्थान पर किसी अन्य को टिकट दिया जाता तो यह बात उठती कि पार्टी ने मेरा साथ नहीं दिया है। बकौल बृजभूषण, भाजपा ने मेरे पुत्र को टिकट दिया है, उसमें कई बातें समाहित हो जाती हैं।

वहीं जब सांसद के बेटे करण भूषण सिंह से सवाल पूछा गया कि आप पहली बार आप चुनाव लड़ रहे हैं। समय कम है, ऐसे में चुनाव को कैसे मैनेज करेंगे ? इसके जवाब उन्होंने कहा कि मैं, चुनाव तो पहली बार लड़ रहा हूं, लेकिन क्षेत्र के लिए लोगों के लिए नया नहीं हूं। जब पिताजी व भइया चुनाव लड़ते थे तो भी मैं, जनता के बीच जाता था। सभी लोग एक विधानसभा की जिम्मेदारी लेते थे, लेकिन मैं, दो विधानसभा की। घर पर जब पिताजी या भइया नहीं रहते थे तो सुबह दस बजे से 12 बजे तक बैठकर जनता की समस्याएं सुनता था। यह कार्य मैं, बीते 15 वर्ष से कर रहा हूं। मेरा चुनाव तो जनता खुद लड़ रही है।

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