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    दृष्टिहीनता के बावजूद पहाड़ लांघने की तैयारी कर रही मांडवी

    By BhanuEdited By:
    Updated: Wed, 14 Dec 2016 07:00 AM (IST)

    आठ साल पहले रेटनाइटिस पिग्मेंटटोजा बीमारी से आंखों की रोशनी गंवा चुकी मांडवी गर्ग पहाड़ लांघने की तैयारी कर रही है। इसके लिए वह पर्वतारोहण का प्रशिक्षण ले चुकी है।

    उत्तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: सपने तो देखती हूं, आंखें नहीं तो क्या, दिल तो रोशनी से भरा है, नजरें सियाह हैं तो क्या। ऐसे ही हौसले की मिसाल है हिसार (हरियाणा) की मांडवी गर्ग। आठ साल पहले रेटनाइटिस पिग्मेंटटोजा बीमारी से आंखों की रोशनी गंवा चुकी मांडवी गर्ग ने पर्वतारोहण के लिए उत्तरकाशी स्थित नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) से हाल ही में पर्वतारोहण का बेसिक कोर्स किया है।

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    निम से यह कोर्स करने वाली वह पहली ब्लाइंड प्रशिक्षणार्थी है। इससे पहले मांडवी प्रथम भारतीय एवरेस्ट विजेता महिला बछेंद्री पाल के साथ माउंट कनामो पर्वत का आरोहण कर चुकी है। अब उसकी तमन्ना पर्वतारोहण का एडवांस कोर्स कर बड़े पर्वतों का आरोहण करने की है। वह दृष्टिहीनता को अपनी कमजोरी नहीं, बल्कि ताकत बनाना चाहती है।

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    मांडवी का जन्म हिसार के एक मध्यमवर्गीय परिवार में 6 सितंबर 1984 को हुआ। बचपन में मांडवी का सपना जूडो खिलाड़ी बनने का था। लेकिन, 14 साल की उम्र में रेटनाइटिस पिग्मेंटटोजा बीमारी ने उसकी आंखें छीन लीं। फिर भी मांडवी ने हार नहीं मानी और पढ़ाई जारी रखी।

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    जामिया मिलिया इस्लामिया से ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान मांडवी को एक सॉफ्टवेयर का पता चला जो स्क्रीन रीङ्क्षडग कर सकता है। इसके बाद उसने दिल्ली जाकर तीन महीने तक सॉफ्टवेयर की ट्रेनिंग ली। इसके जरिये वह कंप्यूटर ही नहीं, सेलफोन भी आसानी से चला लेती है। वह एंड्रायड फोन में भी टॉक बैक ऑप्शन चालू करके वॉट्सएप, फेसबुक, ट्विटर आदि का प्रयोग करती है।

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    कॉलेज के बाद मांडवी इंडिया ब्लाइंड जूडो टीम की सदस्य रही। इसी दौरान उसकी मुलाकात एवरेस्ट विजेता बछेंद्री पाल से हुई। 2014 में पहली बार मांडवी उत्तरकाशी के दयारा टॉप की ट्रैकिंग को आई। यहां प्रकृति के अद्भुत अहसास ने उसके जीवन की धारा ही बदल दी।

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    उसने पर्वतारोहण के लिए टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन जमशेदपुर में आवेदन किया और 24 अगस्त 2015 को पर्वतारोही बछेंद्रीपाल के साथ दल में शामिल हुई। 30 अगस्त 2015 को मांडवी ने 19600 फीट ऊंचे माउंट कनामो पर्वत का आरोहण किया। इस ऊंचाई पर जाने वाली वह पहली भारतीय ब्लाइंड महिला है।

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    अब मांडवी पर पर्वतारोहण का जुनून सवार हो गया और उसने पर्वतारोहण का प्रशिक्षण लेने की ठान ली। 15 अक्टूबर 2016 से मांडवी ने निम में बेसिक कोर्स शुरू किया। इसके तहत उसने रॉक क्लाइम्बिंग, वॉल क्लाइम्बिंग, झुमाङ्क्षरग, रैपलिंग आदि का प्रशिक्षण लिया।

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    उसे हौसला दिया निम के प्रधानाचार्य कर्नल अजय कोठियाल ने। बकौल मांडवी, 'मैंने कई चोटियों के आरोहण का मन बनाया है। साथ ही निम से एडवांस कोर्स भी करना है।
    आंखों की रोशनी जाने के बाद लोग सोचते हैं कि मांडवी को दिखाई नहीं देता, उसकी सभी इच्छाएं खत्म हो गई हैं। मैं उनकी इसी धारणा को मैं तोड़ना चाहती हूं। ताकि मुझे कोई बेचारी न कहे। वर्तमान में मांडवी हिसार के ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में बतौर ब्रांच मैनेजर तैनात है।

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    निम के प्रधानाचार्य कर्नल अजय कोठियाल ने बताया कि मांडवी पूरी तरह ब्लाइंड है। अपने हौसले और जज्बे से उसने पर्वतारोहण का बेसिक प्रशिक्षण पूरा किया। उसने अपनी कमजोरी को ताकत बनाया है। ऐसी लड़की को मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं हैं।
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