सरकार ने हाथ खड़े किए तो ग्रामीणों ने ही पहाड़ खोदकर बना दी सड़क
उत्तराखंड के चमोली जनपद के दूरस्थ गांव देवाल में ग्रामीणों ने खुद ही पहाड़ खोदकर सड़क बना दी, वह भी सिर्फ चार दिन में। पढ़ें, ग्रामीणों के सामने क्या थी मुश्किल।
देवाल, [चमोली], जेएनएन। डिजिटल इंडिया की बड़ी-बड़ी बातो के बीच पहाड़ में अब भी कई गांव ऐसे है, जहां न सड़के है न बिजली। सड़क नहीं है तो वाहन सुविधा की बात करना ही बेमानी है। ऐसे में ग्रामीणों ने बड़ी पहल करते हुए खुद ही पहाड़ खोदकर सड़क बना डाली। साथ ही सरकार को संदेश दिया कि आप तो कुछ नहीं करेंगे, लेकिन हम नहीं रुकेंगे।
जनपद चमोली के मेलमिंडा गांव के लिए पलवरा से सड़क बनाई जानी थी। लेकिन रैन गांव के लोग इसके आड़े आ गए। देवाल-खेता मोटर मार्ग के अंतर्गत दस किलोमीटर लंबी यह सड़क रैनगांव से गुजरनी थी। लोनिवि के ठेकेदार ने सड़क निर्माण किया लेकिन रैन गांव ने मलबा डालने का विरोध शुरू कर दिया। इससे पलवरा बैड पर दो सौ मीटर सड़क का निर्माण रुक गया।
ग्रामीण दलवीर दानू बताते हैं कि एक माह पहले रैन गांव के ग्रामीणों, तहसील प्रशासन और लोनिवि के मध्य समझौते के बाद प्रशासन के आदेश पर विभाग ने विवादित स्थल पर काम रोक दिया गया था।
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इससे नाराज मेलमिंडा के ग्रामीण प्रधान जानकी देवी और पूर्व प्रधान मोहन सिंह के नेतृत्व में ग्रामीणों ने गेती, फावड़ा और अन्य औजारों को लेकर विवादित स्थल पर पहुंचे और पांच दिन के भीतर गांव तक सड़क बनाने का संकल्प लिया।
ग्रामीणों की मेहनत और हौसला ही था कि यह काम उन्होंने चार दिन में कर दिखाया। मलबे को गांव में नहीं डाला गया। इधर, रैन गांव के ग्रामीणों का कहना है कि उनका विरोध सड़क को लेकर नहीं था बल्कि मलबे को गांव में गिराने को लेकर था। अब फिलहाल कच्ची ही सही सड़क बन जाने से विभाग व प्रशासन इस बात को समझेगा।
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श्रमदान में दलवीर दानू, बलवंत सिंह, गुलाब सिंह, पार सिंह, गोविंदी देवी, गीता मेहरा, कमला देवी, शिल्पा देवी, तुलसी देवी, महादेवी, खगोती देवी, लक्ष्मी देवी, हरेन्द्र सिंह, त्रिलोक सिंह, गोविन्द सिंह, दलीप मेहरा, हीरा सिंह, लखपत सिंह, बलवंत सिंह सहित 50 से अधिक ग्रामीण गांव में सड़क और उस पर वाहन चलने के गवाह बने।
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