टूटी अंधविश्वास की बेड़ियां, बदली शौचालय के लिए सोच
आखिरकार साढ़े पांच घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद प्रशासन व स्वजल के अधिकारी चिन्यालीसौड़ ब्लॉक के नौ गांवों के ग्रामीणों को शौचालय निर्माण कराने को मनाने में सफल रहे।
उत्तरकाशी, [जेएनएन]: आखिरकार साढ़े पांच घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद प्रशासन व स्वजल के अधिकारी चिन्यालीसौड़ ब्लॉक के उन नौ गांवों के ग्रामीणों को मनाने में सफल रहे, जो अंधविश्वास के चलते आज तक घरों में शौचालय बनाने को तैयार नहीं थे।
हालांकि, महापंचायत में अधिकारियों को यह सफलता तब मिली, जब उन्होंने अपने तर्कों से देवता के पश्वा (गांव के जिस व्यक्ति पर देवता आता है) को संतुष्ट कर लिया। अन्यथा ग्रामीण तो किसी भी दशा में उनकी बात मानने को तैयार नहीं थे।
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उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर चिन्यालीसौड़ ब्लॉक के क्यारी दशगी, तराकोट, मथाली, धारगढ़, सूरी, जिब्या, बनोट पल्ला, बदाल्डा व रमोली गांव में 881 परिवार रहते हैं। इनमें से 808 परिवार आज भी खुले में शौच के लिए जाते हैं।
इस गांव में सिर्फ 73 परिवारों ने पास ही शौचालय हैं, लेकिन देवता के डर से इनमें से भी 30 परिवारों ने शौचालय तोड़ डाले। वहीं 20 परिवारों ने शौचालयों पर ताले डाले हुए हैं। ले-देकर 23 परिवार ही शौचालय का प्रयोग कर रहे हैं। बाकी परिवारों को शौचालय बनाने के लिए मनाना प्रशासन के लिए कड़ी चुनौती बना हुआ था।
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उनकी इसी सोच बदलने के बदलने के लिए गत दिवस सुबह से ही क्यारी दशगी गांव में नौ गांवों की महापंचायत शुरू हुई, जो शाम साढ़े चार बजे तक चली। इस दौरान प्रशिक्षु आइएएस नितिका खंडेलवाल, प्रभारी सीडीओ आनंद सिंह व स्वजल के परियोजना प्रबंधक राजेंद्र दत्त जखमोला ने ग्रामीणों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी स्वच्छता अभियान के बारे में बताया। साथ ही शौचालय से होने वाले फायदे भी समझाए।
ग्रामीणों का भी कहना था कि वे शौचालय बनाना चाहते हैं, लेकिन डर है कि कहीं देवता का दोष (अनिष्ट) न लग जाए। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार उन पर नाग देवता का दोष लग चुका है। ऐसे में अधिकारियों के माथों पर बल पड़ गए कि आखिर कैसे ग्रामीणों को समझाया जाए।
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खैर! जब कोई रास्ता नहीं दिखा सूझा तो शाम चार बजे देवता के पश्वा को महापंचायत में बुलाया गया। प्रशिक्षु आइएएस समेत सभी अधिकारियों ने देवता के पश्वा से विनती करते हुए कहा कि वे ग्रामीणों को शौचालय बनाने की अनुमति प्रदान करें।
पहले तो देवता का पश्वा मना करता रहा। लेकिन, जब अधिकारियों ने तर्क रखे कि देशभर में सभी लोग शौचालय बना रहे हैं, सिर्फ यही ऐसा क्षेत्र है, जहां लोगों के घरों में शौचालय नहीं। तब जाकर देवता के पश्वा ने ग्रामीणों को शौचालय बनाने की अनुमति दी।
साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि गांव के पूरब और उत्तर में शौचालय न बनाए जाएं। इस मौके पर जिला पंचायत सदस्य विमला नौटियाल, लक्ष्मण ङ्क्षसह भंडारी, तहसीलदार पूनम रयाल, राजेंद्र रांगड़ सहित कई लोगों मौजूद थे।
अब जल्द बन जाएंगे शौचालय
उत्तरकाशी स्वजल के परियोजना प्रबंधक राजेंद्र दत्त जखमोला के मुताबिक अंधविश्वास के चलते ग्रामीणों में जो भ्रांति चली आ रही थी, उसी को तोड़ने के लिए महापंचायत बुलाई गई थी। सुखद यह है कि गांवों में शौचालय बनाने के लिए ग्रामीण व देवता तैयार हो गए हैं। जल्द ही गांवों में शौचालय बनाने का काम शुरू हो जाएगा।
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