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    इस गांव के लोग नहीं बनाते शौचालय, देवी के प्रकोप से लगता है डर

    By gaurav kalaEdited By:
    Updated: Thu, 14 Jul 2016 09:29 AM (IST)

    उत्‍तराखंड के इस गांव के लोग शौचालय बनाने से डरते हैं। ये मानते हैं कि ऐसा करके वे देवी के प्रकोप के भागीदार बन जाएंगे।

    उत्तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: देशभर में प्रधानमंत्री के स्वच्छता मिशन को लेकर भले ही उत्साह का माहौल है, लेकिन उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ ब्लाक के नौ गांवों का इस मिशन से कोई लेना-देना नहीं। इन गांवों के लोग आज भी स्वच्छता के प्रतीक शौचालय को अपशकुन मानते हैं।
    ऐसे में स्वच्छता मिशन की प्रेरणा से गांव के जिन लोगों ने शौचालय बनाए भी थे, उन्होंने भी उन्हें तोड़ डाला। ग्रामीणों की इस दकियानूसी सोच को बदलने के लिए स्वजल परियोजना ने कई बार प्रेरक नुक्कड़ नाटक किए, कई बार ग्रामीणों के साथ बैठकें कीं, मगर मजाल क्या है कि उनकी सोच में रत्तीभर भी बदलाव आया हो।

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    इसे देखते हुए अब आज चिन्यालीसौड़ के क्यारी दशगी गांव में महापंचायत बुलाई गई है। जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 60 किलोमीटर दूर चिन्यालीसौड़ ब्लाक के क्यारी दशगी, तराकोट, मथाली, धारगढ़, सूरी, जिब्या, बनोट पल्ला, बदाल्डा व रमोली गांव में 881 परिवार रहते हैं।
    इनमें से 808 परिवार आज भी खुले में शौच के लिए जाते हैं। जिन 73 परिवारों ने घरों में शौचालय बनाए थे, उनमें से भी 30 परिवारों ने उन्हें तोड़ डाला। जबकि, 20 परिवारों ने शौचालयों पर ताला डाला हुआ है। ले-देकर 23 परिवार ही शौचालय का प्रयोग कर रहे हैं।
    ऐसा नहीं कि शौचालय बनाने के लिए इन ग्रामीणों को प्रेरित नहीं किया गया। जिला परियोजना प्रबंधन इकाई स्वजल ने तो अप्रैल 2016 में नुक्कड़ नाटक और फिर जून में ग्रामीणों के साथ बैठक भी की। लेकिन, तब भी ग्रामीणों की सोच नहीं बदली। ग्रामीणों की सोच क्यों नहीं बदल रही, इसकी कहानी भी अजीबोगरीब है।

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    ग्रामीण बताते हैं कि15 साल पहले गांवों में कुछ लोगों ने शौचालय बनाए थे। उसी दौरान गांव में अतिवृष्टि होने से खेत व फसल तबाह हो गई। तब ग्रामीण देवता के पास गए और देवता ने अतिवृष्टि और गांव में होने वाले नुकसान का कारण वहां बने शौचालयों को बताया।
    तराकोट की प्रधान उर्मिला देवी बताती हैं कि उनके गांव में 103 परिवार हैं, लेकिन शौचालय केवल तीन के ही पास है, जो उनका उपयोग भी कर रहे हैं। गांव के अन्य लोग अंधविश्वास के नाम शौचालय नहीं बना रहे। मथाली गांव के भरत सिंह पंवार ने बताया कि देवता के दोष के कारण उन्होंने अपने घर में बने शौचालय को तोड़ दिया है।

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