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    पढ़ी-लिखी बेटी ने उठाया सरकारी महकमे के झूठ से पर्दा

    By BhanuEdited By:
    Updated: Sun, 14 May 2017 05:05 AM (IST)

    उत्तराकाशी जनपद के मोरी ब्लाक के राला गांव की सुशीला ने सरकारी महकमे के झूठ से पर्दा उठा दिया। इस गांव के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं और कागजों में वहां पर्याप्त पानी मिल रहा है।

    पढ़ी-लिखी बेटी ने उठाया सरकारी महकमे के झूठ से पर्दा

    उत्तरकाशी, [राधेकृष्ण उनियाल]: पढ़ी-लिखी बेटी ने सरकारी कार्यशैली का सच उजागर कर दिया। उत्तरकाशी के सुदूरवर्ती क्षेत्र मोरी ब्लाक के राला गांव की सुशीला ने गांव में पानी की किल्लत को देखते हुए क्षतिग्रस्त पेयजल योजना की मरम्मत के बारे में आरटीआइ लगाई तो पता चला कि योजना की मरम्मत का कार्य तो हो चुका है। इस पर साढ़े छह लाख रुपये खर्च किए गए हैं। हकीकत में योजना की हालत जस की तस है। 

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    इस आधार पर सुशीला ने उत्तरकाशी के तत्कालीन जिलाधिकारी को पत्र लिखा। डीएम ने पटवारी से जांच कराई और जांच रिपोर्ट में इसकी पुष्टि भी हो गई। रिपोर्ट में मुकदमा दर्ज करने के संस्तुति भी की गई, लेकिन कुछ नहीं हुआ। 

    हालांकि उत्तरकाशी के नए जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव इस पर कार्रवाई की बात कह रहे हैं। यह अलग बात है कि जल संस्थान के सहायक अभियंता आरएस रावत अभी भी इस पर कायम हैं कि नवंबर 2016 में लाइन दुरुस्त हो चुकी है। वह शिकायत को ग्रामीणों का आपसी विवाद बता रहे हैं।

    आइए पहले राला गांव के भूगोल से परिचित हो जाएं। 25 परिवारों वाले इस गांव के लिए जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 137 किलोमीटर दूर जखोल गांव तक सड़क से पहुंचा जा सकता है। इसके बाद राला तक पहुंचने के लिए 12 किलोमीटर की दूरी पैदल ही नापनी होगी।

    गांव में प्राथमिक विद्यालय तो है, लेकिन आगे की शिक्षा के लिए जखोल ही जाना पड़ता है। 26 साल की सुशीला गांव में सबसे ज्यादा पढ़ी-लिखी है। इस वक्त वह देहरादून के डीएवी कॉलेज से एमए कर रही है। सुशीला के पिता नेगी सिंह गांव में ही खेती करते हैं। 

    सुशीला बताती हैं कि 35 साल पहले गांव के लिए पेयजल लाइन बनी थी, जो लाइन 2007 में क्षतिग्रस्त हो गई। तब से गांव वाले एक किलोमीटर दूर मटचा स्रोत से पानी ला रहे हैं। कई बार अधिकारियों से लाइन दुरुस्त करने की मांग की, लेकिन सिवाए आश्वासन के कुछ नहीं मिला। 

    सुशीला के अनुसार उसने मई 2016 में जल संस्थान में आरटीआइ के जरिये योजना की स्थिति जाननी चाहिए। जो जवाब मिला चौंकाने वाला था। पता चला कि योजना की मरम्मत हो चुकी है। इसके लिए जलसंस्थान ने 2015-16 में जिला प्लान से तीन लाख और विश्व बैंक योजना से 3.60 लाख की धनराशि खर्च की है। 

    इसके बाद ग्रामीणों के साथ मिलकर सुशीला तत्कालीन जिलाधिकारी से मिली। डीएम के निर्देश पर 25 दिसंबर 2016 को राजस्व निरीक्षक प्रेम सिंह राणा ने जांच रिर्पोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में विभाग और ठेकेदार के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने की संस्तुति की गई थी। लेकिन आज न तो मुकदमा दर्ज हो पाया और न गांव में पानी पहुंच पाया है। 

    अप्रैल 2017 में सुशील ने उत्तरकाशी के जिलाधिकारी तथा जल संस्थान के महाप्रबंधक को पत्र भेजा है। सुशीला कहती हैं कि जरूरत पड़ी तो इस मामले को लेकर वे जल्द ही पेयजल मंत्री तथा मुख्यमंत्री से मिलेंगी। जिससे गांव में पानी जा सके। 

    इस संबंध में उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि सबसे पहले गांव को पेयजल देने के लिए कार्यवाही की जाएगी। जांच रिपोर्ट के आधार पर निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी।

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