यहां की महिलाओं ने सूखते जल स्रोत को दिया जीवन
जिला मुख्यालय पौड़ी से 27 किमी की दूरी पर स्थित है विकासखंड कल्जीखाल के डांगी गांव महिलाओ ने गर्मी से सूखते जल स्रोत को बचाकर नया जीवन दिया।
पौड़ी, [गुरुवेंद्र नेगी]: पहाड़ों में गर्मी की दस्तक के साथ ही कई प्राकृतिक जल स्रोतों की धार भी कुम्हलाने लगी तो ऐसे में डांगी गांव की महिलाओं का अपने प्राकृतिक जल स्रोत को बचाये रखना एक मिसाल ही कहा जा सकता है। गर्मी से स्रोत सूख न जाए, इसके लिए ग्रामीण न केवल इसके आसपास स्वच्छता बनाये हुए हैं, बल्कि स्रोत पर मिट्टी का लेप भी लगाये रखते हैं। यही वजह है कि यह स्रोत आज ग्रामीणों की पेयजल आपूर्ति का बेहतर जरिया बना हुआ है।
जिला मुख्यालय पौड़ी से 27 किमी की दूरी पर स्थित है विकासखंड कल्जीखाल का घंडियाल कस्बा। यहां से करीब तीन किमी की पैदल दूरी पर डांगी गांव पड़ता है। गांव के सामाजिक कार्यकर्ता जगमोहन डांगी बताते हैं कि पहले गांव में एक दर्जन से अधिक प्राकृतिक जल स्रोत थे। लेकिन, ठीक ढंग से संरक्षण न होने के कारण इनमें से ज्यादातर सूखते चले गए। ऐसे में गांव की महिलाओं ने बचे हुए स्रोतों के संरक्षण के लिए आगे आने की पहल की।
वह कहते हैं, डांगी गांव में भले ही अब तक सड़क न पहुंची हो, लेकिन गांव की महिलाओं व युवाओं की सूझ ने इन प्राकृतिक जल स्रोतों को संजीवनी देने का कार्य किया है। स्रोतों के नजदीक साफ-सफाई के साथ ही स्रोत पर मिट्टी का लेप लगाया जाता है। ताकि वहां नमी बनी रहे। महिलाओं की यह मुहिम रंग लाई और अन्य गांवों के लोग भी इससे प्रेरणा ले रहे हैं।
ग्राम प्रधान सरस्वती देवी, महिला मंगल दल अध्यक्ष संगीता देवी, कांता देवी, अनुसूया देवी, दमयंती देवी, पुष्पा देवी व पवित्री देवी बताती हैं कि जब से महिलाओं ने गांव के प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण के लिए कार्य करना शुरू किया, तब से गर्मियों के दौरान भी गांव में पानी की समस्या नहीं होती।
पेयजल स्रोत की करते हैं पूजा
ग्रामीण जगमोहन डांगी बताते हैं कि प्राकृतिक जल स्रोत संरक्षित रहे, इसके लिए सभी ग्रामीण मिलकर वर्ष में एक बार उसकी पूजा भी करते हैं। इससे होता यह है कि स्रोत यदि कहीं क्षतिग्रस्त हो तो ग्रामीण उसकी नए सिरे से मरम्मत कर देते हैं।
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