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    गुलमोहर की दीवानी तनु पथिकों को बांट रही छाया

    By BhanuEdited By:
    Updated: Fri, 12 May 2017 04:10 AM (IST)

    हल्द्वानी की तनु गुलमोहर की दीवानी हैं। इस दीवानगी का आलम यह है कि बीते तीन साल में वह अकेले ही तीन सौ पौधे रोप चुकी हैं। उनकी मुहीम में अब और भी जुड़ने लगे हैं।

    गुलमोहर की दीवानी तनु पथिकों को बांट रही छाया

    हल्द्वानी, [प्रदीप रावत]: हल्द्वानी की तनु गुलमोहर की दीवानी हैं। इस दीवानगी का आलम यह है कि बीते तीन साल में वह अकेले ही तीन सौ पौधे रोप चुकी हैं। एकला चलो की राह पर आगे बढ़ते हुए उन्होंने पौधों की देखभाल शुरू की तो लोग भी साथ आने लगे। नतीजा आज दो सौ पौधे वृक्ष के रूप में जवां हो चुके हैं। 

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    लोगों का साथ मिला और कारवां बनने लगा तो इस बार तनु ने तय किया कि 17 मई को हल्द्वानी में 'गुलमोहर दिवस' मनाया जाए। इस दिन शहर में नैनीताल रोड और पार्को में दो सौ पौधे रोपे जाएंगे।

    बचपन से पेड़-पौधों से लगाव रखने वाली तनुजा जोशी के पिता स्व. सतीश चंद्र जोशी का अपना कारोबार था। एमए, बीएड तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने कुछ समय तक निजी स्कूलों में शिक्षण कार्य भी किया। 

    तनु बताती हैं 'प्रकृति प्रेमी होने की वजह से वह अपने स्कूल के दिनों में भी सहपाठियों को पौधे रोपने के लिए प्रेरित करती थी। वह बताती हैं कि बाद उन्होंने शिक्षण कार्य छोड़ समाज के कुछ करने की ठानी।

    इसी सोच के साथ अस्तित्व में आई सेल्फ रिलायंस इनीसिएटिव संस्था। संस्था के जरिये तनु पर्यावरण संरक्षण के साथ ही महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में कार्य करने लगीं।

    गुलमोहर के पौधे ही क्यों? सवाल के जवाब में वह सवाल करती हैं भला कौन ऐसा होगा जिसे फूलों से लकदक पेड़ न भाते हों। गुलमोहर ही एक ऐसा पेड़ है जब उस पर फूल आते हैं तो आंखें उसी पर ठहर सी जाती हैं। लेकिन बात सिर्फ इतनी नहीं है, तनु बताती हैं कि गुलमोहर ऐसा पेड़ है, जिसकी लकड़ी किसी काम नहीं आती। जलावन में भी इसका प्रयोग नहीं होता। ऐसे में इस पेड़ को काटने का खतरा कम हो जाता है। 

    वह बताती हैं कि उन्होंने गौलापार क्षेत्र में दो किलोमीटर के दायरे में बीज रोपे हैं। बीज जब पेड़ बनेंगे तो पर्यावरण बचेगा ही, मधुमखियों को शहद के लिए मकरंद भी मिलेगा।

    पौधों की देखरेख के लिए समय निकालने के सवाल पर तनु बताती हैं कि इसके लिए वह रोजाना सुबह या शाम के वक्त एक घंटे का समय निकालती हैं। जिन क्षेत्रों में पौधे रोपती हैं, वहां आसपास के लोगों को जागरूक कर पौधों को सुरक्षित रखने की अपील करती हैं। इस मुहिम को लोगों को साथ भी मिल रहा है। अब उनका लक्ष्य है कि अगले पांच वर्ष शहर की मुख्य सड़कों के किनारे एक हजार से अधिक पेड़ लगाए जाएं।  

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