बरड़ परियोजना की टरबाइन खराब, बिजली उत्पादन ठप
सीमांत जिले के थल क्षेत्र में स्थित बरड़ जल विद्युत परियोजना की दो टरबाइनें ठप पड़ी हैं। इससे 750 किलोवाट का विद्युत उत्पादन ठप हो गया।
पिथौरागढ़, [जेएनएन]: नदी नालों से परिपूर्ण उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश बनाने की सपनों को खुद विभाग ही तार-तार करने में जुटे हुए हैं। जल विद्युत योजनाएं पहले ही क्षमता से कम उत्पादन कर रही हैं। विभागीय उदासीनता के चलते परियोजनाओं में बार-बार उत्पादन ठप हो रहा है। सीमांत जिले के थल क्षेत्र में स्थित बरड़ जल विद्युत परियोजना की दूसरी टरबाइन भी खराब होने से उत्पादन ठप हो गया है।
बरड़ गाड़ में पर्याप्त पानी की उपलब्धता को देखते हुए वर्ष 1995 में बरड़ जल विद्युत परियोजना का निर्माण कराया गया। 750 किलोवाट की इस परियोजना में 375-375 किलोवाट की दो टरबाइन लगाई गई है।
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शुरुआत में योजना का संचालन उत्तराखंड लघु जल विद्युत निगम को सौंपा गया था। तीन वर्ष पूर्व लिए गए एक फैसले के बाद इस परियोजना को उरेडा को सौंप दिया गया। उरेडा इसका संचालन एक ठेकेदार के माध्यम से कर रही है।
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कुछ समय पूर्व परियोजना की एक टरबाइन में खराबी आ गई, जिससे अब तक ठीक नहीं किया जा सका है। तीन रोज पूर्व दूसरी टरबाइन भी खराब हो गई, जिससे परियोजना में उत्पादन ठप हो गया है। परियोजना से उत्पादित होने वाली बिजली नेशनल ग्रिड के जरिए थल कस्बे और आस-पास के गांवों को उपलब्ध कराई जाती है।
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