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उत्‍तराखंड: पौड़ी में चार गांवों पर मानसून का सितम

बादल फटने की घटनाओं से चार गांवों के अस्तित्व पर मंडराते खतरे के बादल। यह पौड़ी जिले में मानसून सीजन में एक जून से अब तक हुई क्षति का लेखा जोखा।

By gaurav kalaEdited By: Published: Wed, 24 Aug 2016 07:47 PM (IST)Updated: Thu, 25 Aug 2016 05:00 AM (IST)
उत्‍तराखंड: पौड़ी में चार गांवों पर मानसून का सितम

पौड़ी, [गुरुवेंद्र नेगी]: औसतन हर हफ्ते एक व्यक्ति की मौत। साथ ही बड़े पैमाने पर खेतों व सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान। बादल फटने की घटनाओं से चार गांवों के अस्तित्व पर मंडराते खतरे के बादल। यह पौड़ी जिले में मानसून सीजन में एक जून से अब तक हुई क्षति का लेखा जोखा।
खासकर, पाबौ ब्लाक के मरोड़ा गांव में तो हालात ज्यादा विकट हो चले हैं, जहां बीते सोमवार को बादल फटने से उफान पर आए बरसाती नाले ने तबाही मचाई थी। नाले से भूकटाव के चलते कई घरों को खतरा पैदा हो गया है, ऐसे में चिंता सता रही कि यदि आने वाले दिनों में मौसम ने फिर तेवर दिखाए तो...।

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ऐसी ही चिंता से मरोड़ा के साथ ही मरखोला, रिटेल और बरई की करीब एक हजार की आबादी भी घुली जा रही है।
विषम भूगोल वाले पौड़ी जिले के सभी 15 विकासखंडों की परिस्थितियां भी दुरूह हैं और हर बार ही आपदा से पर्वतीय इलाके दो-चार होते आ रहे हैं। इस मानसून सीजन की ही बात करें तो एक जून से अब तक जिले में चार गांवों रिटेल (गुराडस्यूं), बरई (पैनों) और मरखोला व मरोड़ा (पाबौ) में बादल फटने से भारी नुकसान हुआ है।
गुजरे शनिवार को मरखोला में आपदा में एक ही परिवार के सात सदस्य काल-कवलित हो गए तो सोमवार शाम मरोड़ा में एक महिला की मौत हो गई।
पहले बात मरोड़ा गांव की
पहले बात 643 की जनसंख्या वाले मरोड़ा गांव की। बादल फटने के बाद वहां बरसाती नाले का रुख गांव की तरफ हुआ है। इससे कुछ घरों के लिए खतरा पैदा हो गया है। यही नहीं, जिन खेतों में फसलें लहलहाती थी, वे आज मलबे से अटे पड़े हैं। ऐसे में ग्रामीणों की व्यथा को महसूस किया जा सकता है।

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आसमान में बादल उमड़ते ही लोगों के चेहरों पर दहशत के भाव उभर आते हैं। मरोड़ा निवासी जनार्दन सिंह रावत कहते हैं कि गांव में जैसे हालात हैं, उसे देखते हुए गांव को तत्काल सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया जाना चाहिए।
वहीं, करीब दो सौ की आबादी वाले ग्राम रिटेल व बरई के लोग भी भविष्य को लेकर चिंतित हैं। ठीक है कि आपदा प्रभावितों को कुछ राहत मिल जाएगी और रास्ते, पैदल पुल, पेयजल व विद्युत लाइनें ठीक हो जाएंगी, लेकिन आपदा में जो जख्म मिले हैं उनकी भरपाई शायद ही हो सके। लेकिन, असल बात तो गांवों के अस्तित्व को बचाने की है।
कब होगा 213 परिवारों का विस्थापन
पौड़ी जिले में पुलिंडा, केष्टा, बढरो, बंता पानी व कसाण गांव आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील हैं। इन गांवों के 213 परिवारों का अन्यत्र सुरक्षित स्थान पर विस्थापन होना है। फाइल भी शासन को गई है, लेकिन विस्थापन कब होगा पता नहीं। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि मरोड़ा जैसे गांवों को इस लिहाज से राहत मिल पाएगी।

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प्रभावितों को मिलेगा मुआवजा
पौड़ी जनपद के जिलाधिकारी चंद्रशेखर भट्ट का कहना है कि बादल फटने की घटनाओं में गांवों में जो नुकसान हुआ है, मानकों के अनुसार प्रभावितों को मुआवजा दिया जा चुका है। जहां घर रहने लायक नहीं हैं, वहां छह माह तक प्रभावित परिवारों की अन्यत्र बसागत को देखते हुए प्रति माह तीन हजार रुपये की राशि देने का प्रावधान है। जहां तक विस्थापन का सवाल है तो शासन से जैसे ही निर्देश प्राप्त होंगे कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
असामयिक मौसम परिवर्तन की सूचना है बादल फटने की घटना
केंद्रीय गढ़वाल विवि के भूगर्भवेता डॉ. एसपी सती का कहना है कि प्रदेश में बादल फटने की घटनाएं असामयिक मौसम परिर्वतन का सूचक हैं। पर्वतीय क्षेत्र में इन घटनाओं से नुकसान की मुख्य वजह बेतहाशा सड़क निर्माण, जंगल कटान, जंगलों में लगी आग व जल निकासी की व्यवस्था न होना मुख्य हैं। क्षति को रोका तो नहीं जा सकता, पर जल निकासी की व्यवस्था दुरुस्त कर इसे 30 से 40 फीसद कम किया जा सकता है।
जिले में आपदा का कहर:
तहसील- मृत्यु
पौड़ी- आठ
कोटद्वार- दो
यमकेश्वर- एक
लैंसडौन- एक

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