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    हाई कोर्ट: काम पर लौटें शिक्षक, वरना बर्खास्त करे उत्‍तराखंड सरकार

    By gaurav kalaEdited By:
    Updated: Sat, 17 Sep 2016 05:00 AM (IST)

    नैनीताल हाई कोर्ट का कहना है कि हड़ताली शिक्षक काम पर लौटें, वरना सरकार उन्हें बर्खास्त कर प्रशिक्षित योग्य बेरोजगारों की भर्ती करे।

    नैनीताल, [जेएनएन]: उत्तराखंड में शिक्षकों की हड़ताल पर नैनीताल हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है। खंडपीठ ने जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कहा है कि हड़ताली शिक्षक काम पर लौटें, वरना सरकार उन्हें बर्खास्त कर प्रशिक्षित योग्य बेरोजगारों की भर्ती करे। कोर्ट के इस आदेश से आंदोलित शिक्षकों को झटका लगा है।
    राज्य में प्राथमिक शिक्षक संघ, राजकीय शिक्षक संघ व जूनियर हाई स्कूल शिक्षक अलग-अलग मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय आह्वान पर प्रदेश के करीब 20 हजार राजकीय शिक्षक 12 सितंबर से हड़ताल पर हैं।
    इससे राज्य के राजकीय हाई स्कूल व इंटर कॉलेजों में पठन-पाठन करीब-करीब ठप है। प्रधानाचार्य व चंद अतिथि शिक्षक ही वादन पढ़ा पा रहे हैं। इधर, अधिवक्ता मनोज लखचौरा ने कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा कि प्रदेश के 72 हजार शिक्षकों की हड़ताल से छात्रों का पठन-पाठन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

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    मोटी पगार व अत्यधिक अवकाश के बावजूद शिक्षक हड़ताल पर गए हैं। शिक्षक संगठन हड़ताल कर नागरिकों संविधान के अनुच्छेद-21(ए) के तहत मिले शिक्षा का अधिकार का हनन कर रहे हैं।
    वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीके बिष्ट व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने शिक्षकों से तत्काल हड़ताल वापस लेने व ऐसा न करने वालों को बर्खास्त करने के निर्देश सरकार को दिए। साथ ही योग्य बेरोजगारों को नियुक्ति देने को कहा।
    उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 2300 राजकीय हाई स्कूल-इंटर कॉलेजों में करीब 20 हजार राजकीय शिक्षक नियुक्त हैं।

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    उप्र की हड़ताल का कोर्ट ने किया जिक्र
    नैनीताल हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में 1970 में हुई शिक्षकों की हड़ताल के बाद सरकार द्वारा अपनाए गए वैकल्पिक मार्ग का भी जिक्र किया। इसी आधार पर आदेश भी सुनाया।

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