नैनीताल हाई कोर्ट ने दिए उत्तराखंड को नशामुक्त बनाने के निर्देश
उत्तराखंड में चरस समेत नशे के तमाम कारोबारों पर लगाम कसने के लिए नैनीताल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को कड़े निर्देश दिए हैं। ...और पढ़ें

नैनीताल, [जेएनएन]: उत्तराखंड में शराब व चरस समेत अन्य प्रकार के नशे से बर्बाद हो रही युवा पीढ़ी को व्यसन मुक्त बनाने के लिए न्यायपालिका आगे आई है। नैनीताल हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की एकल पीठ ने देहरादून में पकड़ी गई ढाई किलो चरस के मामले में सजायाफ्ता की अपील पर सुनवाई करते हुए पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
कोर्ट ने मादक पदार्थों का उत्पादन, परिवहन, व्यापार करने वालों के खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई करने तथा स्पेशल टास्क फोर्स का गठन कर मादक पदार्थों की रोकथाम करने के निर्देश दिए हैं।
पढ़ें-हाई कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से पूछा, कब तक खाली होंगे पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले
कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि मादक पदार्थों के साथ पकड़े गए आरोपी किसी तरह सलाखों से पीछे से छूटने न पाएं।
एकल पीठ के समक्ष देहरादून निवासी हरिहर राम की अपील पर सुनवाई हुई। हरिहर ढाई किलो चरस के साथ पकड़ा गया था। निचली कोर्ट से उसे दस साल कैद व एक लाख जुर्माने की सजा सुनाई गई थी।
निचली कोर्ट के फैसले को हरिहर द्वारा हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। एकल पीठ ने अपील को खारिज करते हुए निचली कोर्ट का फैसला बरकरार रखा, साथ ही राज्य को व्यसन मुक्त बनाने के दिशा-निर्देश जारी किए।
पढ़ें- बंदरों के आतंक पर हाई कोर्ट सख्त, राज्य और केंद्र सरकार से मांगा जवाब
कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक से अधीनस्थों को यह दिशा-निर्देश जारी करने को कहा है कि मादक पदार्थों का स्रोत क्या हैं, उसके आवागमन के रास्ते और किस आदमी तक कैसे पहुंचता है, यह बताने को कहा है।
सचिव गृह को राज्य के नशा प्रभावित जिलों में भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी के अधीन टास्क फोर्स का गठन करने तथा मादक पदार्थों के व्यापारिक स्तर पर पकड़े जाने पर जांच आइपीएस के निर्देशन में करने के निर्देश दिए हैं।
इस मामले में लापरवाही बरतने वाले पुलिस कर्मियों तथा गवाही से पलटने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने तथा बेहतर व तेजतर्रार पुलिस कर्मियों को इस काम में लगाने को कहा है।
पढ़ें: उत्तराखंड में 150 फार्मासिस्टों की नियुक्ति का रास्ता साफ
कोर्ट ने सभी शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों को अपने संस्थान को नशामुक्त करने की जिम्मेदारी सौंपते हुए शिक्षण संस्थानों के आसपास सादी वर्दी में पुलिस कर्मियों की तैनाती करने के निर्देश दिए हैं।
न्यायालय ने मुख्य चिकित्साधिकारी को निर्देश दिए हैं कि काई भी दुकानदार ऐसी किसी दवा, जिसमें मादक द्रव्य अथवा कफ सीरप को 18 साल से कम आयु के बच्चे को न दें। मादक द्रव्यों से कमाए गए अवैध धन के विरुद्ध मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं। सभी धार्मिक संस्था प्रमुखों से अपने-अपने स्तर से राज्य के युवाओं को नशामुक्त बनाने का प्रयास करने की अपील की है। एकल पीठ ने तीन सप्ताह के भीतर स्पेशल टास्क फोर्स की नियुक्ति करने के सख्त आदेश दिए हैं।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।