उत्तराखंड: औपचारिकता बना हॉकी के जादूगर का जन्मदिन
उत्तराखंड में मेजर ध्यानचंद के जन्मदिवस को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाने की परंपरा औपचारिकता भर रह गई है। सिर्फ हॉकी की प्रतियोगिता का आयोजन कर दद्दा को याद कर लिया जाता है।
देहरादून, [जेएनएन]: हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद (दद्दा) के जन्मदिवस को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाने की परंपरा औपचारिकता भर रह गई है। राज्य में खेल दिवस के नाम पर सिर्फ हॉकी की प्रतियोगिता का आयोजन कर दद्दा को याद कर लिया जाता है।
राष्ट्रीय खेल दिवस पर एक ओर जहां राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर खिलाड़ियों को सम्मानित करने के साथ ही विभिन्न खेलों का आयोजन किया जाता है। वहीं, सूबे में मात्र हॉकी प्रतियोगिता का आयोजन कर इतिश्री कर ली जाती है। इसका भी दारोमदार खेल विभाग पर है। अंतरराष्ट्रीय फलक पर आगे बढ़ रही सूबे की प्रतिभाओं को सम्मान पाने के लिए राज्य स्थापना दिवस का इंतजार करना पड़ता है। वहीं, सूबे की हॉकी एसोसिएशन के पास खेल दिवस के लिए कोई योजना नहीं होती।
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हां, खेल प्रेमी या संघ दद्दा के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि जरूर दे देते हैं। हॉकी की स्थिति यह है कि सालभर में दो-चार आयोजन को छोड़कर कोई ऐसी प्रतियोगिता नहीं होती जिसमें खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिले। सूबे के पास एक एस्ट्रोटर्फ मैदान है, लेकिन इस मैदान में आज तक किसी बड़ी प्रतियोगिता का आयोजन नहीं हो सका।
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अन्य खेलों का आयोजन भी होना चाहिए
वरिष्ठ खिलाड़ी डीएम लखेड़ा ने बताया कि खेल दिवस पर मात्र हॉकी ही नहीं अन्य खेलों का आयोजन भी होना चाहिए। यह प्रतिभाओं को सम्मानित करने का मौका होता है। मेजर ध्यानचंद का जन्मदिवस मनाने के लिए खेल संघों और विभाग को कार्य योजना बनानी चाहिए।
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खेल दिवस पर दिया जाना चाहिए पुरस्कार
हॉकी खिलाड़ी दीपक बिष्ट ने बताया कि राज्य ने जो पुरस्कार शुरू किए हैं, उन्हें खेल दिवस पर दिया जाना चाहिए। खेल संघों को भी चाहिए कि खेल दिवस से पहले ही विभिन्न खेलों का आयोजन किया जाए। साथ ही हॉकी को बढ़ावा देने के लिए सुविधाएं जुटाई जानी चाहिएं।
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