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रियो से सबक लेकर करनी होगी टोक्यो की तैयारी

उप निदेशक खेल डॉ. धर्मेंद्र भट्ट ने कहा कि रियो में भारत के प्रदर्शन से सबक लेकर टोक्यो ओलंपिक्स की तैयारी करनी होगी।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 23 Aug 2016 12:16 PM (IST)Updated: Wed, 24 Aug 2016 06:30 AM (IST)
रियो से सबक लेकर करनी होगी टोक्यो की तैयारी

देहरादून, [गौरव गुलेरी]: जोश, जज्बा और जूनुन। खेलों के महाकुंभ ओलंपिक में उम्मीदों का ज्वार और उत्साह का उफान होना लाजिमी है। अब जबकि रियो से खिलाड़ियों की विदाई हो चुकी है तो टोक्यो की तैयारी से पहले कुछ सवाल मथे जाने लगे हैं। सवाल उठने भी चाहिए क्योंकि यह समय बीते प्रदर्शन को बिसारने की बजाय सबक लेकर आगे की सुध लेने का है। 117 खिलाड़ी और दो पदक। आखिर 115 पदक जीतने में क्यों कामयाब नहीं हो सके। खोट नीति में है या नीयत में। ऐसा क्या हो कि 2020 देश की उम्मीदें मायूस न हों।
जागरण विमर्श में इन्हीं सब सवालों में मंथन किया गया। विषय था रियो में क्या कमी रही, कौन ले जिम्मेदारी। मुख्य वक्ता थे उप निदेशक खेल डॉ. धर्मेंद्र भट्ट। भारतीय बॉक्सिंग टीम के कोच रह चुके और अंतरराष्ट्रीय रैफरी डॉ. भट्ट ने न केवल बेबाक राय रखी, बल्कि खेलों का स्तर सुधारने के लिए ठोस सुझाव भी दिए। दैनिक जागरण के राज्य संपादक कुशल कोठियाल ने मुख्य वक्ता का आभार जताते हुए कहा कि खेलों को स्तर को सुधारने के लिए ढांचों में आमूलचूल बदलाव की जरूरत है।

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स्कूलों में अनिवार्य विषय हो खेल
डॉ. भट्ट ने कहा कि हम ओलंपिक में पदक जीतने की बात करते हैं, लेकिन इससे पहले देश में खेल के लिए माहौल तैयार करने की जरूरत है। यह कार्य जमीनी स्तर पर शुरू होने चाहिए।
उन्होंने कहा कि चीन, अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों में खेलों को अनिवार्य विषय के तौर पर स्कूलों में पढ़ाया जाता है, वहीं भारत में खेलों की नर्सरी कहे जाने वाले स्कूलों में यह औपचारिकता बनकर रह गए हैं। जब नर्सरी ही नहीं होगी तो पौध कैसे तैयार होगी। चीन में आज साढ़े पांच हजार स्पोर्टस स्कूल हैं। दरअसल, खेलों को लेकर मानसिकता को बदलना आवश्यक है। जरूरत है अभिभावकों को जगाने की भी है।
टेलेंट सर्च की जरूरत
डॉ. भट्ट ने कहा कि ओलंपिक जैसे आयोजनों के लिए खिलाड़ी तैयार करने को मास लेवल पर टेलेंट सर्च अभियान चलाना होगा। इससे हम खिलाडिय़ों का पूल तैयार कर सकेंगे। उन्होंने उदाहरण दिया कि 1988 के सियोल ओलंपिक में बॉक्सिंग के बेंटम वेट (54 किग्रा वर्ग) में ऐन वक्त पर क्यूबा के स्टार मुक्केबाज की कमर में चोट लग गई। तुरंत ही उसकी जगह दूसरे मुक्केबाज का चयन किया गया। विडंबना देखिए एक हादसे में वह भी घायल हो गया। तब तीसरे नंबर के मुक्केबाज को टीम में शामिल कर रिंग में उतारा गया जो चैंपियन बना।

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कामचलाऊ न हों कोच
बेसिक लेवल पर सामान्य प्रशिक्षक ही कोचिंग कर रहे हैं। बेसिक लेवल पर बच्चों को बेहतर तकनीकी जानकारी नहीं मिलेगी तो अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार करने की बात बेमानी हो जाती है। साथ ही प्रशिक्षकों को खेलों की नवीनतम तकनीकों से रूबरू कराना भी आवश्यक है।
चयन में हो निष्पक्षता व पारदर्शिता
डॉ. भट्ट ने कहा कि सबसे ज्यादा आवश्यकता यह है कि सिस्टम में पारदर्शिता हो और चयन में निष्पक्षता। इसीलिए सबसे पहले खेल संघों का ढांचा पारदर्शी बनाना होगा।
स्पोर्टस साइंस का विकास
आज देश में ज्यादातर खिलाडिय़ों व प्रशिक्षकों को स्पोर्टस साइंस का ज्ञान नहीं है। इस कारण भी हम पिछड़ जाते हैं। खिलाड़ियों की शारीरिक संरचना जानने और खामियों को दूर करने के लिए बायोमैकेनिक्स पर ध्यान दिया जाना चाहिए। साथ ही स्पोर्टस मेडिसिन व मनोविज्ञान के बारे में भी जानकारी दी जानी चाहिए।
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