उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों का चिह्नीकरण 30 अप्रैल तक
सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण के लिए लंबित आवेदन पत्रों के निस्तारण की अंतिम तिथि की समय सीमा बढ़ा कर 30 अप्रैल 2017 कर दी है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: उत्तराखंड सरकार ने चुनाव के मद्देनजर अब राज्य आंदोलनकारियों को साधने का प्रयास किया है। इस कड़ी में सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण के लिए लंबित आवेदन पत्रों के निस्तारण की अंतिम तिथि की समय सीमा बढ़ा कर 30 अप्रैल 2017 कर दी है। हालांकि, इस आदेश में यह स्पष्ट नहीं है कि इसमें किस तिथि तक के लंबित आवेदन चिह्नीकरण के लिए लिए जाएंगे।
राज्य आंदोलनकारी इस समय सरकारी सेवा में आरक्षण और पेंशन समेत तमाम मुद्दों पर आवाज बुलंद किए हैं। चुनावी दौर में सरकार राज्य आंदोलन को भावनात्मक रूप से छूने का प्रयास कर रही है, इस कारण सरकार आंदोलनकारियों को नाराज नहीं करना चाहती।
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सरकार ने कुछ समय पूर्व चिह्नित आंदोलनकारियों को पेंशन देने की घोषणा की थी और 21 आंदोलनकारियों को राज्य स्थापना दिवस के दिन पेंशन भी वितरित की। अब इस कड़ी में सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण की तिथि बढ़ाने का निर्णय लिया है।
प्रमुख सचिव गृह उमाकांत पंवार की ओर से इस संबंध में आदेश जारी किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि पूर्व में राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण के लिए 31 मार्च 2014 तक समय सीमा तय की गई थी। अब इसे बढ़ाकर 30 अप्रैल 2017 किया जा रहा है। आदेश में यह भी कहा गया है कि भविष्य में आवेदन पत्रों के निस्तारण के लिए कोई तिथि नहीं बढ़ाई जाएगी।
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इस आदेश के बाद आंदोलनकारियों में उत्साह है तो असमंजस भी। दरअसल वर्ष 2013 में जिस आदेश के तहत चिह्नीकरण की अंतिम तिथि 31 मार्च 2014 की गई थी उसमें यह स्पष्ट किया गया था कि दिसंबर 2012 तक जो आवेदन आए हैं उन्हीं का निस्तारण किया जाएगा।
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इस बार जारी शासनादेश में यह नहीं बताया गया है कि इसमें आवेदन कब तक स्वीकारे जाएंगे। हालांकि, इसका आशय यह निकाला जा रहा है कि अभी तक प्राप्त सभी आवेदन पत्रों पर सरकार विचार कर सकती है।
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अभी तक नहीं मिली पेंशन
राज्य सरकार की ओर से सभी चिह्नित आंदोलनकारियों को 3100 रुपये पेंशन दिए जाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए बकायदा शासन ने 18 करोड़ रुपये भी जारी कर दिए हैं। बावजूद इसके प्रदेश में अभी तक राज्य स्थापना के दिन सम्मान पेंशन प्राप्त करने वाले आंदोलनकारियों के अलावा किसी को पेंशन नहीं मिल पाई है। इसका कारण अभी तक पुलिस मुख्यालय में जिलों से चिह्नित आंदोलनकारियों की सूची न पहुंचना बताया जा रहा है।
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फैसले का स्वागत
राज्य आंदोलनकारी सम्मान परिषद के अध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से राज्य के भीतर एवं दिल्ली समेत अन्य स्थानों के आंदोलनकारियों को चिह्नित किया जा सकेगा।
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