उत्तराखंडः बिखरी कांग्रेस को खल रही एकता की कमी
कांग्रेस के भीतर चली गुटबाजी और एकला चलो की मुहिम इस चुनाव में हार का सबसे बड़े कारक के रूप में सामने आई है। अब कांग्रेस के नेताओं को एकता की कमी खल र ही है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: हालिया विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के कारण अब छिपे नहीं है। कांग्रेस के भीतर चली गुटबाजी और एकला चलो की मुहिम इस हार का सबसे बड़े कारक के रूप में सामने आई है। यह बात अब कांग्रेस के नेता भली भांति जान भी चुके हैं। यही कारण है कि अब कांग्रेस के बड़े नेता बिखरी कांग्रेस को एकजुट करने के लिए एकता का राग अलाप रहे हैं। नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के स्वागत समारोह में भी इसकी झलक साफ नजर आई। मंच से संबोधन के दौरान तकरीबन सभी नेताओं ने कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर कार्य करने का आह्वान किया।
प्रदेश में सत्ता गंवाने के बाद अब कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को संगठन में हुए नेतृत्व परिवर्तन से आशा की नई किरण नजर आ रही है। दरअसल, वर्ष 2012 में कांग्रेस के सत्ता संभालने के बाद पार्टी के भीतर अंदरूनी गुटबाजी खुलकर सामने आने लगी थी।
यह कांग्रेस के भीतर चल रही खींचतान का ही नतीजा रहा कि दो वर्ष बाद प्रदेश सरकार में नेतृत्व परिवर्तन करना पड़ा। इससे पार्टी के भीतर गुटबाजी की खाई और गहरी हो गई। इसकी परिणति मार्च 2016 में कांग्रेसी विधायकों के विद्रोह के रूप में सामने आई।
बागी तेवर अपनाने वाले नेताओं के पार्टी से बाहर होने के बाद जैसे तैसे कर सरकार तो बच गई लेकिन पार्टी में गुटबाजी खत्म नहीं हुई। स्थिति यह बनी कि सरकार और संगठन के बीच कई बार मतभेद खुल कर सामने आए। रही सही कसर चुनाव में टिकट वितरण में पूरी हो गई।
नतीजा यह हुआ कि कई स्थानों पर कांग्रेस को बागियों के चलते ही हार का मुंह देखना पड़ा। स्थिति इसके बाद भी नहीं बदली। हाल ही में कुछ मुद्दों पर संगठन के शीर्ष नेताओं के बीच आमराय नहीं बन पाई थी। इसे देखते हुए कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन किया।
सूत्रों की मानें तो आलाकमान ने इस दौरान काफी सख्त रवैया अपनाते हुए पार्टी के शीर्ष नेताओं को गुटबाजी से दूर रहने की हिदायत दी थी। इसका असर गुरुवार को कांग्रेस भवन में नवनियुक्त अध्यक्ष के स्वागत समारोह में नजर आया।
स्वयं प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश, प्रदेश सह प्रभारी संजय कपूर और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने एकजुटता का आह्वान किया। अब कार्यकर्ताओं की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि एकजुटता की इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए ये नेता कितने एकजुट होकर कार्य करते हैं।
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