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    उत्तराखंडः मंत्रीमंडल में दो रिक्त मंत्री पदों पर टिकी 47 नजरें

    By BhanuEdited By:
    Updated: Fri, 12 May 2017 02:10 AM (IST)

    प्रदेश मंत्रिमंडल में रिक्त दो पदों को लेकर भाजपा के 47 विधायकों की बेकरारी बढ़ती जा रही है। अब विधायकों की नजरें आलाकमान पर टिकी हुई हैं। ...और पढ़ें

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    उत्तराखंडः मंत्रीमंडल में दो रिक्त मंत्री पदों पर टिकी 47 नजरें

    देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रदेश मंत्रिमंडल में रिक्त दो पदों को लेकर भाजपा के 47 विधायकों की बेकरारी बढ़ती जा रही है। अब विधायकों की नजरें आलाकमान पर टिकी हुई हैं। माना जा रहा है कि क्षेत्रीय व जातीय समीकरण इन मंत्री पदों पर नियुक्ति की राह में रोड़ा बन रहे हैं। 

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    सूत्रों की मानें तो आलाकमान की नजरें फिलहाल मौजूदा मंत्रियों के कार्यों के आंकलन पर टिकी हैं। फिलहाल आलाकमान इस मामले में कोई जल्दबाजी करने के मूड में नहीं है। 

    हालिया विधानसभा चुनाव में प्रदेश में भाजपा को जनता ने भारी बहुमत दिया। प्रदेश की 70 विधानसभा सीटों में से 57 भाजपा के पास हैं। भारी बहुमत का ही नतीजा था कि प्रदेश में मुख्यमंत्री व मंत्रिमंडल गठित करने में आलाकमान को खासा समय लगा। 

    पहले चरण में आलाकमान ने मुख्यमंत्री के अलावा सात कैबिनेट मंत्री व दो राज्य मंत्रियों को शपथ दिलाई। संवैधानिक व्यवस्था के मुताबिक उत्तराखंड की 70 सदस्यीय विधानसभा में मंत्रिमंडल का आकार अधिकतम 12 हो सकता है। ऐसे में मंत्रिमंडल में अभी दो मंत्री पद रिक्त चल रहे हैं। 

    पहले यह माना जा रहा था कि मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण के कुछ दिनों बाद ही शेष दो मंत्रियों के भी नाम तय कर लिए जाएंगे, मगर अब यह इंतजार लंबा होता जा रहा है। सरकार बने पौने दो माह का समय हो चुका है और इस बीच विधानसभा के दो विशेष सत्र भी बुलाए जा चुके हैं लेकिन मंत्रिमंडल के रिक्त पदों को लेकर फिलहाल कोई निर्णय नहीं हो पाया है। 

    दरअसल, माना यह जा रहा है कि कई वरिष्ठ विधायक इन मंत्री पदों के लिए दावेदारी कर रही है। इनकी संगठन से लेकर पार्टी में अच्छी पकड़ है। यदि इनमें से किन्हीं दो विधायकों को मंत्री पद दिया जाता है तो इससे पार्टी के भीतर खींचतान बढ़ सकती है। 

    इसे देखते हुए फिलहाल भाजपा आलाकमान मौजूदा मंत्रियों के कार्यों पर नजर रखे हुए हैं। इस कारण वह नए मंत्रियों को लेकर जल्दबाजी नहीं करना चाहता।

    उल्लेखनीय है कि मंत्रिमंडल में दो रिक्त पदों के लिए भाजपा के पास कई पूर्व मंत्री और दो से लेकर आठ बार विधायक रह चुके वरिष्ठ नेता शामिल हैं। ऐसे में किसी मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए, यह फैसला करना मुख्यमंत्री और पार्टी नेतृत्व के लिए किसी चुनौती से कम नहीं। समझा जा रहा है कि अगले वर्ष की शुरुआत में राज्य में होने वाले निकाय चुनाव के मद्देनजर भाजपा काफी सोच-समझकर इस संबंध में फैसला करेगी।

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