किसाऊ प्रोजेक्ट पर पूरी हुई उत्तराखंड की मुराद
660 मेगावाट के किसाऊ हाइड्रो प्रोजेक्ट पर केंद्र से हरी झंडी मिलने के बाद किसाऊ पावर कॉरपोरेशन गठित किया गया है। इससे लाभ मुख्य रूप से उत्तराखंड और हि ...और पढ़ें

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: 660 मेगावाट के किसाऊ हाइड्रो प्रोजेक्ट को लेकर लंबे अरसे से कसरत में जुटे उत्तराखंड की मुराद पूरी होने जा रही है। केंद्र से हरी झंडी मिलने के बाद किसाऊ पावर कॉरपोरेशन गठित किया गया है। मुख्य सचिव एस रामास्वामी इसके पहले अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं। अध्यक्ष पद वह दो साल के लिए संभालेंगे। इस प्रोजेक्ट को जल्द शुरू करने के लिए उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश दस-दस करोड़ रुपये देंगे।
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश दोनों राज्यों की सीमा पर बनने वाले महत्वाकांक्षी किसाऊ हाइड्रो प्रोजेक्ट से यूं तो छह राज्यों को लाभ मिलेगा। लेकिन इस प्रोजेक्ट से उत्पादित बिजली का लाभ मुख्य रूप से उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को मिलना है।
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हिमाचल प्रदेश चूंकि बिजली उत्पादन के मामले सरप्लस है, जबकि उत्तराखंड के लिए अपनी बढ़ती ऊर्जा जरूरत को पूरा करने के लिए महंगी बिजली खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। यही वजह है कि इस प्रोजेक्ट को लेकर राज्य की ओर से लंबे अरसे से प्रयास किए जा रहे थे।
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केंद्र सरकार राज्य की इस कोशिश को आगे बढ़ा चुकी है। इसके तहत किसाऊ पावर कॉरपोरेशन गठित किया गया है। इसके अध्यक्ष पद पर भागीदार राज्य के मुख्य सचिव रोटेशन के आधार पर बैठेंगे। सूत्रों के मुताबिक कॉरपोरेशन के पहले अध्यक्ष राज्य के मुख्य सचिव एस रामास्वामी बनाए गए हैं। इस प्रोजेक्ट के अन्य भागीदार राज्यों में उत्तरप्रदेश, हरियाणा व दिल्ली शामिल हैं।
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हिमाचल व उत्तराखंड के अलावा अन्य राज्यों की इस प्रोजेक्ट में केवल वाटर कंपोनेंट में ही भागीदारी रहेगी। मंगलवार को सचिवालय में मुख्य सचिव एस रामास्वामी की अध्यक्षता में कॉरपोरेशन की पहली बैठक हुई। इसमें हिमाचल के जलविद्युत निगम के प्रबंध निदेशक और उत्तराखंड जलविद्युत निगम के सभी आला अधिकारी मौजूद रहे। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश दोनों राज्यों की सीमा पर बनने वाले महत्वाकांक्षी किसाऊ हाइड्रो प्रोजेक्ट से यूं तो छह राज्यों को लाभ मिलेगा।

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